दो दिन पहले हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल कर पंचायत अध्यक्ष चुनाव में मतदान के लिए बंधक बनाए जाने का आरोप लगाने वाले हाथरस के जिला पंचायत सदस्य मनोज कुमार और उनकी पत्नी रजनी शुक्रवार को हाईकोर्ट में पेश किए जाने पर अपने आरोपों से मुकर गए। उन्होंने कहा कि उनको कोई खतरा नहीं है और न ही किसी ने बंधक बनाया है। इसलिए उनको किसी प्रकार की सुरक्षा की दरकरार नहीं है। 30 जून को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाथरस के जिला पंचायत सदस्य मनोज कुमार और उनकी पत्नी रजनी को अदालत के समक्ष दो जुलाई को पेश करने का आदेश दिया था। पहले मनोज कुमार ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी, फिर उनकी ओर से उनकी पत्नी रजनी ने दूसरी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल कर कहा कि उनके पति को पंचायत चुनाव में मतदान के लिए एक प्रत्याशी ने बंधक बना लिया है। उनको मुक्त कराकर कोर्ट के समक्ष पेश किया जाए। इस पर कोर्ट ने कहा था कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल करने वाले दोनों याची दो जुलाई को महानिबंधक हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत हों। याचिकाओं पर न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने सुनवाई की। शुक्रवार को जब दोनों कोर्ट के सामने पेश हुए तो मनोज कुमार ने कहा कि वह चुनाव में व्यस्तता के कारण घर नहीं पहुंच सके थे, जबकि उनको किसी ने अगवा नहीं किया और न ही किसी प्रकार का खतरा है। सुरक्षा भी नहीं चाहिए। उनकी पत्नी ने भी कोर्ट को बताया कि पति कई दिन से घर नहीं आए थे, जिससे उनको संदेह हुआ कि किसी ने अगवा कर लिया है। दोनों के बयान सुनने के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है।
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