लोक निर्माण विभाग में फर्जी डिग्री के आधार पर प्रोन्नति पाने वाले अभियंताओं पर जल्दी ही गाज गिर सकती है। उन्हें पद से हटाकर बाबू की श्रेणी में रखा जा सकता है। इस मामले को लेकर विभाग में अंदर ही अंदर तैयारी चल रही है। पदोन्नति पाने वाले बाबुओं की संख्या सौ से अधिक है। मामले की जांच प्रयागराज के मुख्य अभियंता ने की थी। उन्होंने पदोन्नति पाने वाले कई अभियंताओं की डिग्री फर्जी और अवैध पाई थी। कार्रवाई की बात सामने आने पर विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। लोक निर्माण विभाग में पांच साल पहले सौ से अधिक बाबुओं ने दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से सिविल इंजीनियरिंग में तीन साल का डिप्लोमा कर विभाग में पदोन्नति पा ली। लेकिन, इन जूनियर अभियंताओं को तकनीकी ज्ञान न होने से विभाग का कामकाज प्रभावित होने लगा। मामले में शासन स्तर पर शिकायत हुई तो जांच बैठा दी गई। प्रयागराज के पूर्व मुख्य अभियंता एचएन पांडेय ने इसकी तकरीबन दो साल तक जांच कर जूनियर अभियंता के पद पर पदोन्नति पाने वाले बाबुओं की डिग्री को फर्जी और अवैध पाया था। उन्होंने इस रिपोर्ट को शासन को भी सौंप दिया था।फर्जी और अवैध डिग्री पाए जाने के आधार पर पदोन्नति पाने वाले जूनियर अभियंताओं को फिर से बाबु की श्रेणी में पदानवति करने को कहा गया लेकिन तबसे यह मामला लटका हुआ था। विभाग के सूत्रों का कहना है कि मामले में फिर से फाइल खोली गई है। फर्जी डिग्री के आधार पर पदोन्नति पाने वालों को चिह्नित किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि जल्दी ही ऐसे लोगों को चिह्नित कर उन्हें फिर से बाबुओं की श्रेणी में पदानवति कर दिया जाएगा। इसके साथ ही उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी करने की तैयारी है। मामले में प्रमुख अभियंता पीके सक्सेना से संपर्क किया गया लेकिन उनकी ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं दिया गया है।
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लोक निर्माण विभाग में फर्जी डिग्री के आधार पर प्रोन्नति पाने वाले अभियंताओं पर जल्दी ही गाज गिर सकती है। उन्हें पद से हटाकर बाबू की श्रेणी में रखा जा सकता है। इस मामले को लेकर विभाग में अंदर ही अंदर तैयारी चल रही है। पदोन्नति पाने वाले बाबुओं की संख्या सौ से अधिक है। मामले की जांच प्रयागराज के मुख्य अभियंता ने की थी। उन्होंने पदोन्नति पाने वाले कई अभियंताओं की डिग्री फर्जी और अवैध पाई थी। कार्रवाई की बात सामने आने पर विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
लोक निर्माण विभाग में पांच साल पहले सौ से अधिक बाबुओं ने दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से सिविल इंजीनियरिंग में तीन साल का डिप्लोमा कर विभाग में पदोन्नति पा ली। लेकिन, इन जूनियर अभियंताओं को तकनीकी ज्ञान न होने से विभाग का कामकाज प्रभावित होने लगा। मामले में शासन स्तर पर शिकायत हुई तो जांच बैठा दी गई। प्रयागराज के पूर्व मुख्य अभियंता एचएन पांडेय ने इसकी तकरीबन दो साल तक जांच कर जूनियर अभियंता के पद पर पदोन्नति पाने वाले बाबुओं की डिग्री को फर्जी और अवैध पाया था। उन्होंने इस रिपोर्ट को शासन को भी सौंप दिया था।
फर्जी और अवैध डिग्री पाए जाने के आधार पर पदोन्नति पाने वाले जूनियर अभियंताओं को फिर से बाबु की श्रेणी में पदानवति करने को कहा गया लेकिन तबसे यह मामला लटका हुआ था। विभाग के सूत्रों का कहना है कि मामले में फिर से फाइल खोली गई है। फर्जी डिग्री के आधार पर पदोन्नति पाने वालों को चिह्नित किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि जल्दी ही ऐसे लोगों को चिह्नित कर उन्हें फिर से बाबुओं की श्रेणी में पदानवति कर दिया जाएगा। इसके साथ ही उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी करने की तैयारी है। मामले में प्रमुख अभियंता पीके सक्सेना से संपर्क किया गया लेकिन उनकी ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं दिया गया है।
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