कोरोना संक्रमित वकीलों को बार कौंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश द्वारा आर्थिक सहायता देने में भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाने के आरोप में दाखिल याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जवाब मांगा है। कौंसिल द्वारा पीड़ित वकीलों को 25 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की गई है। इससे पहले कोर्ट ने उप्र बार काउंसिल से पूछा था कि अधिवक्ताओं को भुगतान क्यों नहीं किया जा रहा। यदि जानकारी नहीं दी गई तो कोर्ट दंडात्मक निर्देश जारी करेगी। इसके बाद दो बार सुनवाई टली और अब 12 जुलाई की तिथि निर्धारित की गई है।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश संजय यादव तथा न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने आगरा के 77 वर्षीय सीनियर सिटिजन वकील महेश कुमार शर्मा की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि वह 13 नवंबर 69 से वकालत कर रहा है। कोरोना पीड़ित होने के बाद वह 21 से 28 अक्तूबर 20 तक आइसोलेशन सेंटर में इलाज के लिए भर्ती था।बार कौंसिल की घोषणा के बाद सारे दस्तावेज के साथ 13 नवंबर 20 को अर्जी दी है। किंतु उसे सहायता राशि का भुगतान नहीं किया गया। याची अधिवक्ता का कहना है कि बार काउंसिल ने चुनिंदा लगभग दो सौ वकीलों को ही आर्थिक सहायता दी है। पहुंच न रखने वाले आम वकीलों की मदद नहीं की जा रही है। याचिका में बार कौंसिल पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए घोषित आर्थिक सहायता दिए जाने की मांग की गई है।
कोरोना संक्रमित वकीलों को बार कौंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश द्वारा आर्थिक सहायता देने में भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाने के आरोप में दाखिल याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जवाब मांगा है। कौंसिल द्वारा पीड़ित वकीलों को 25 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की गई है।
इससे पहले कोर्ट ने उप्र बार काउंसिल से पूछा था कि अधिवक्ताओं को भुगतान क्यों नहीं किया जा रहा। यदि जानकारी नहीं दी गई तो कोर्ट दंडात्मक निर्देश जारी करेगी। इसके बाद दो बार सुनवाई टली और अब 12 जुलाई की तिथि निर्धारित की गई है।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश संजय यादव तथा न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने आगरा के 77 वर्षीय सीनियर सिटिजन वकील महेश कुमार शर्मा की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि वह 13 नवंबर 69 से वकालत कर रहा है। कोरोना पीड़ित होने के बाद वह 21 से 28 अक्तूबर 20 तक आइसोलेशन सेंटर में इलाज के लिए भर्ती था।
बार कौंसिल की घोषणा के बाद सारे दस्तावेज के साथ 13 नवंबर 20 को अर्जी दी है। किंतु उसे सहायता राशि का भुगतान नहीं किया गया। याची अधिवक्ता का कहना है कि बार काउंसिल ने चुनिंदा लगभग दो सौ वकीलों को ही आर्थिक सहायता दी है। पहुंच न रखने वाले आम वकीलों की मदद नहीं की जा रही है। याचिका में बार कौंसिल पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए घोषित आर्थिक सहायता दिए जाने की मांग की गई है।
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