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उत्तर प्रदेश: प्रधानमंत्री के भरोसेमंद एके शर्मा बनाए गए पार्टी के उपाध्यक्ष, 2022 के चुनाव में संगठन को करेंगे मजबूत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद और पूर्व आईएएस अधिकारी एके शर्मा को भाजपा ने उत्तर प्रदेश का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया है। प्रदेश संगठन में तीन लोगों की नियुक्ति हुई है। एमएलसी एके शर्मा के अलावा अर्चना मिश्रा और अमित वाल्मिकी को प्रदेश भाजपा में मंत्री बनाया गया है। इस तरह से साफ हो गया है कि एके शर्मा की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में एंट्री नहीं होने जा रही है। अभी वह संगठन को मजबूत बनाएंगे और 2022 के विधानसभा चुनाव बाद सरकार बनने की दशा में उन्हें महत्वपूर्ण पद मिल सकता है। संगठन में नियुक्तियों के बाद उत्तर प्रदेश सरकार भी अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल, विस्तार कर सकती है।प्रदेश भाजपा नेताओं के अनुसार राज्य सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को करना है। वह उपयुक्त समय देखकर इसे आगे बढ़ाएंगे। समझा जा रहा है कि जून के आखिरी सप्ताह तक मुख्यमंत्री इस बारे में निर्णय ले सकते हैं। यह पूरी कवायद आगामी विधानसभा चुनाव तैयारियों के मद्देनजर हो रही है। उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है। इसके लिए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने संगठन मंत्री सुनील बंसल के साथ व्यापक रोडमैप बनाकर भाजपा को मजबूत बनाने की प्रक्रिया शुरू की है। समझा जा रहा है कि सुनील बंसल ने इस रोडमैप को केंद्रीय नेतृत्व के साथ हुए सलाह-मशविरे के बाद तैयार किया है।

मोर्चा प्रभारियों की भी नियुक्ति
प्रदेश भाजपा ने युवा मोर्चा के लिए फर्रुखाबाद के प्रांशुदत्त द्विवेदी, महिला मोर्चा के लिए गीता शाक्य (राज्यसभा सदस्य), किसान मोर्चा के लिए गोरखपुर के कामेश्वर सिंह को अध्यक्ष बनाया है। पिछड़ा वर्ग मोर्चा की जिम्मेदारी पूर्व सांसद नरेंद्र कश्यप को, अनुसूचित जाति मोर्चा की जिम्मेदारी सांसद कौशल किशोर को और अनुसूचित जनजाति मोर्चा की जिम्मेदारी संजय गोल्ड को दी गई है। कु. बासित अली मेरठ की हैं और उनके पास अल्पसंख्यक मोर्चा का प्रभार रहेगा। इसमें सबसे महत्वपूर्ण नाम प्रांशु दत्त द्विवेदी का है। प्रांशु दत्त द्विवेदी फरुर्खाबाद से भाजपा के पूर्व नेता और राज्य सरकार में मंत्री रहे स्व. ब्रह्मदत्त द्विवेदी के भाई के पुत्र हैं। स्व. ब्रह्मदत्त द्विवेदी के पुत्र मेजर सुनीलदत्त द्विवेदी फर्रुखाबाद से सदर विधायक हैं। लेकिन दोनों चचेरे भाइयों में महत्वाकांक्षा को लेकर आपस में काफी खींचतान रहती है। प्रांशु दत्त द्विवेदी को प्रदेश मंत्री बनाए जाने पर भी सुनील दत्त के समर्थकों में रोष था। लेकिन प्रदेश भाजपा के रणनीतिकारों ने समय की गंभीरता को देखकर प्रांशुदत्त को आगे बढ़ाना जारी रखा है। वहीं किसान मोर्चा की जिम्मेदारी संभालने वाले कामेश्वर सिंह भी एक अच्छा नाम हैं।
जून के आखिरी सप्ताह तक उत्तर प्रदेश सरकार लेगी निर्णय

संगठन में रिक्त पदों को भरने के साथ-साथ अब बारी राज्य सरकार की भी है। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह पहले अनुकूल समय पर मंत्रिमंडल विस्तार, फेरबदल को लकर मुख्यमंत्री द्वारा निर्णय लेने का संकेत दे चुके हैं। समझा जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जून के आखिरी सप्ताह में ऐसा कर सकते हैं। मंत्रिमंडल में सात मंत्रियों की जगह रिक्त है। इसके अलावा कुछ मंत्रियों के विभागों में फेरबदल भी हो सकता है। कुछ चेहरों को संगठन के साथ जोड़कर कुछ नए चेहरों को भी अवसर दिया जा सकता है। फिलहाल अभी राज्य में अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग आयोग के पदाधिकारों की नियुक्तियां चल रही हैं। अन्य आयोगों के पदाधिकारियों की नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार गंभीर है।

ऑपरेशन डैमेज कंट्रोल बनाएगा योगी आदित्यनाथ की मजबूत छवि
जून महीने के आरंभ में उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर मीडिया में बड़ा राजनीतिक भूचाल था। यह भूचाल राज्य सरकार और प्रदेश भाजपा के नेताओं में भी हलचल पैदा कर रहा था। राज्य सरकार के कुछ मंत्रिमंडलीय सहयोगी की महत्वाकांक्षा भी कुलांचे भर रही थी, लेकिन अब भीतर चाहे जितनी हलचल हो लेकिन सतह पर काफी कुछ शांत है। बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय नेतृत्व कोरोना की दूसरी लहर के बाद उपजे हालात को लेकर काफी संवेदनशील था। उसकी इच्छा योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में विस्तार और फेरबदल के साथ-साथ एके शर्मा को बड़ी जिम्मेदारी देने की थी।शर्मा का नाम उपमुख्यमंत्री पद तक के लिए उछाला गया था। मऊ के एके शर्मा आईएएस अधिकारी रहे हैं। प्रधानमंत्री की सलाह पर उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा देकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में प्रवेश लिया है। पार्टी ने उन्हें एमएलसी बनाया और प्रधानमंत्री ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उन्हें अपने संसदीय क्षेत्र बनारस में स्थिति को संभालने की जिम्मेदारी दी थी। लेकिन बताते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगे के हालातों को लेकर अपना पक्ष रखा। शीर्ष नेताओं से विचार विमर्श, संघ और पार्टी के नेताओं से मंत्रणा के बाद आगे की रणनीति पर काम किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद और पूर्व आईएएस अधिकारी एके शर्मा को भाजपा ने उत्तर प्रदेश का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया है। प्रदेश संगठन में तीन लोगों की नियुक्ति हुई है। एमएलसी एके शर्मा के अलावा अर्चना मिश्रा और अमित वाल्मिकी को प्रदेश भाजपा में मंत्री बनाया गया है। इस तरह से साफ हो गया है कि एके शर्मा की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में एंट्री नहीं होने जा रही है। अभी वह संगठन को मजबूत बनाएंगे और 2022 के विधानसभा चुनाव बाद सरकार बनने की दशा में उन्हें महत्वपूर्ण पद मिल सकता है। संगठन में नियुक्तियों के बाद उत्तर प्रदेश सरकार भी अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल, विस्तार कर सकती है।

प्रदेश भाजपा नेताओं के अनुसार राज्य सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को करना है। वह उपयुक्त समय देखकर इसे आगे बढ़ाएंगे। समझा जा रहा है कि जून के आखिरी सप्ताह तक मुख्यमंत्री इस बारे में निर्णय ले सकते हैं। यह पूरी कवायद आगामी विधानसभा चुनाव तैयारियों के मद्देनजर हो रही है। उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है। इसके लिए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने संगठन मंत्री सुनील बंसल के साथ व्यापक रोडमैप बनाकर भाजपा को मजबूत बनाने की प्रक्रिया शुरू की है। समझा जा रहा है कि सुनील बंसल ने इस रोडमैप को केंद्रीय नेतृत्व के साथ हुए सलाह-मशविरे के बाद तैयार किया है।

मोर्चा प्रभारियों की भी नियुक्ति
प्रदेश भाजपा ने युवा मोर्चा के लिए फर्रुखाबाद के प्रांशुदत्त द्विवेदी, महिला मोर्चा के लिए गीता शाक्य (राज्यसभा सदस्य), किसान मोर्चा के लिए गोरखपुर के कामेश्वर सिंह को अध्यक्ष बनाया है। पिछड़ा वर्ग मोर्चा की जिम्मेदारी पूर्व सांसद नरेंद्र कश्यप को, अनुसूचित जाति मोर्चा की जिम्मेदारी सांसद कौशल किशोर को और अनुसूचित जनजाति मोर्चा की जिम्मेदारी संजय गोल्ड को दी गई है। कु. बासित अली मेरठ की हैं और उनके पास अल्पसंख्यक मोर्चा का प्रभार रहेगा। इसमें सबसे महत्वपूर्ण नाम प्रांशु दत्त द्विवेदी का है। प्रांशु दत्त द्विवेदी फरुर्खाबाद से भाजपा के पूर्व नेता और राज्य सरकार में मंत्री रहे स्व. ब्रह्मदत्त द्विवेदी के भाई के पुत्र हैं। स्व. ब्रह्मदत्त द्विवेदी के पुत्र मेजर सुनीलदत्त द्विवेदी फर्रुखाबाद से सदर विधायक हैं। लेकिन दोनों चचेरे भाइयों में महत्वाकांक्षा को लेकर आपस में काफी खींचतान रहती है। प्रांशु दत्त द्विवेदी को प्रदेश मंत्री बनाए जाने पर भी सुनील दत्त के समर्थकों में रोष था। लेकिन प्रदेश भाजपा के रणनीतिकारों ने समय की गंभीरता को देखकर प्रांशुदत्त को आगे बढ़ाना जारी रखा है। वहीं किसान मोर्चा की जिम्मेदारी संभालने वाले कामेश्वर सिंह भी एक अच्छा नाम हैं।
जून के आखिरी सप्ताह तक उत्तर प्रदेश सरकार लेगी निर्णय

संगठन में रिक्त पदों को भरने के साथ-साथ अब बारी राज्य सरकार की भी है। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह पहले अनुकूल समय पर मंत्रिमंडल विस्तार, फेरबदल को लकर मुख्यमंत्री द्वारा निर्णय लेने का संकेत दे चुके हैं। समझा जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जून के आखिरी सप्ताह में ऐसा कर सकते हैं। मंत्रिमंडल में सात मंत्रियों की जगह रिक्त है। इसके अलावा कुछ मंत्रियों के विभागों में फेरबदल भी हो सकता है। कुछ चेहरों को संगठन के साथ जोड़कर कुछ नए चेहरों को भी अवसर दिया जा सकता है। फिलहाल अभी राज्य में अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग आयोग के पदाधिकारों की नियुक्तियां चल रही हैं। अन्य आयोगों के पदाधिकारियों की नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार गंभीर है।

ऑपरेशन डैमेज कंट्रोल बनाएगा योगी आदित्यनाथ की मजबूत छवि
जून महीने के आरंभ में उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर मीडिया में बड़ा राजनीतिक भूचाल था। यह भूचाल राज्य सरकार और प्रदेश भाजपा के नेताओं में भी हलचल पैदा कर रहा था। राज्य सरकार के कुछ मंत्रिमंडलीय सहयोगी की महत्वाकांक्षा भी कुलांचे भर रही थी, लेकिन अब भीतर चाहे जितनी हलचल हो लेकिन सतह पर काफी कुछ शांत है। बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय नेतृत्व कोरोना की दूसरी लहर के बाद उपजे हालात को लेकर काफी संवेदनशील था। उसकी इच्छा योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में विस्तार और फेरबदल के साथ-साथ एके शर्मा को बड़ी जिम्मेदारी देने की थी।शर्मा का नाम उपमुख्यमंत्री पद तक के लिए उछाला गया था। मऊ के एके शर्मा आईएएस अधिकारी रहे हैं। प्रधानमंत्री की सलाह पर उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा देकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में प्रवेश लिया है। पार्टी ने उन्हें एमएलसी बनाया और प्रधानमंत्री ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उन्हें अपने संसदीय क्षेत्र बनारस में स्थिति को संभालने की जिम्मेदारी दी थी। लेकिन बताते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगे के हालातों को लेकर अपना पक्ष रखा। शीर्ष नेताओं से विचार विमर्श, संघ और पार्टी के नेताओं से मंत्रणा के बाद आगे की रणनीति पर काम किया है।