कृषि विभाग ने किसानों के लिए पराली जलाने से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए एक उपाय खोज निकाला है। किसानों को कृषि में पराली जलाने से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए धान की कटाई के समय कंबाइन हार्वेस्टर मशीन के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (एसएसएमएस) लगाया जाएगा। इससे किसानों की पराली धान कटाई के समय ही छोटे-छोटे टुकड़ों में कट कर भूसा बन जाएगी, जिससे किसानों को पराली को जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
पराली क्या है
पराली धान की फसल के कटने बाद बचा बाकी हिस्सा होता है जिसकी जड़ें धरती में होती हैं। किसान पकने के बाद फसल का ऊपरी हिस्सा काट लेते हैं क्योंकि वही काम का होता है बाकी अवशेष होते हैं जो किसान के लिए बेकार होते हैं, उन्हें अगली फसल बोने के लिए खेत खाली करने होते हैं तो सूखी पराली को आग लगा दी जाती है।
पराली के प्रबंधन के लिए किसानों को अनुदान पर यंत्र भी उपलब्ध कराएं जांएगे। कृषि विभाग द्वारा पराली जलाने से खेतों में मित्र कीटों व पर्यावरण के नुकसान को देखते हुए किसानों को प्रबंधन के लिए अनुदान पर न केवल कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जाएंगे, बल्कि प्रबंधन के उपाय भी सुझाए जाएंगे। धान की कटाई के समय सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम का प्रयोग न करने पर कटाई के बाद फसल प्रबंधन के यंत्रों जैसे सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, मल्चर आदि का प्रयोग खेत में अवश्य किया जाएगा। क्राप रीपर, रीपर कम बाइंडर, रेक व बेलर का प्रयोग किया जाएगा।
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