पूरे विश्व में पर्यावरणीय असंतुलन गंभीर चिन्ता का विषय है. बावजूद इसके इस वर्ष कई दशकों के बाद मानसून ने भारत में समय से पहले ही दस्तक दे दी है. निश्चित रूप से यह प्रकृति की उदारता है जो विभिन्न कारणों से प्रदूषण के हाथों बिगड़ते पर्यावरण के सुधारे जाने के लिए एक संदेश भी है. इसी पर मैने मानसून का विश्लेषण करते हुए रोचक एवं जानकारी मूलक तथ्यों को समाहित करते हुए एक लेख लिखा है, जो कि मानसून के संदर्भ में बेहद प्रासंगिक लगेगा. विश्वास है कि लेख प्रकाशनार्थ अवश्य उपयोगी लगेगा. इसी आशा के साथ भेज रहा हूँ.