एसआरएन में भर्ती मिर्जापुर की युवती से दुष्कर्म आरोप मामले में आखिरकार कार्रवाई आगे बढ़ी। पुलिस ने कथित घटना के वक्त ड्यूटी में मौजूद चिकित्सा स्टाफ का बयान दर्ज किया। हालांकि अभी संबंधित सभी स्टाफ का बयान नहीं हो पाया है। शेष का बयान भी जल्द ही दर्ज किया जाएगा। युवती की आठ जून को इलाज के दौरान मौत के बाद कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी।एक दिन पहले तक पुलिस यह कहती रही थी कि चिकित्सा स्टाफ की जानकारी न मिलने के कारण उनका बयान नहीं दर्ज किया जा सका। जबकि अस्पताल एसआईसी डॉ. अजय सक्सेना ने बताया था कि स्टाफ के नाम के साथ ही जांच रिपोर्ट भी पुलिस को उपलब्ध करा दी गई है। आखिरकार शनिवार को पुलिस ने ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सा स्टाफ का बयान दर्ज किया।सूत्रों का कहना है कि फिलहाल दो ही चिकित्सा स्टाफ का बयान शनिवार को लिया जा सका। शेष का बयान भी जल्द ही दर्ज किया जाएगा। उधर मुकदमा वादी से भी सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो व पीड़िता के कथित बयान संबंधित नोट भी मांगा गया है। मामले में पुलिस अफसर ज्यादा कुछ बताने को तैयार नहीं। सीओ कोतवाली सत्येंद्र प्रसाद तिवारी का कहना है कि विवेचना जारी है। साक्ष्य संकलन समेत अन्य कार्रवाई में पुलिस जुटी है।
जनता को किया जा रहा गुमराह
एसआरएन दुष्कर्म आरोप मामले में सपा नेत्री ऋचा सिंह ने डॉक्टरों से जांच में सहयोग की मांग की है। एमएलएन मेडिकल कॉलेज के रेजीडेंट डॉक्टर एसोसिएशन व इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के नाम पर उन्होंने एक पत्र जारी किया। जिसमें मांग उठाई कि डॉक्टर सामूहिक दुष्कर्म आरोप मामले में पुलिस का सहयोग करें। उन्होंने एसएसपी को भी एक पत्र भेजा है जिसमें घटना के 12 दिन बाद भी आरोपियों की पहचान न होने का आरोप लगाकर सवाल उठाया है। आरोप लगाया है कि तीन जून को ही आईजी प्रयागराज ने सुबह 8.08 मिनट पर आरोपी डॉक्टरों को क्लीन चिट अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से दी थी। जिसका आधार सीएमओ प्रयागराज की जांच थी। अब बिना आरोपियों से पूछताछ तो उन्हें क्लीन चिट दी नहीं गई होगी। ऐसे में आरोपियों की पहचान न होने संबंधित बयान गुमराह करने वाला है।
एसआरएन में भर्ती मिर्जापुर की युवती से दुष्कर्म आरोप मामले में आखिरकार कार्रवाई आगे बढ़ी। पुलिस ने कथित घटना के वक्त ड्यूटी में मौजूद चिकित्सा स्टाफ का बयान दर्ज किया। हालांकि अभी संबंधित सभी स्टाफ का बयान नहीं हो पाया है। शेष का बयान भी जल्द ही दर्ज किया जाएगा। युवती की आठ जून को इलाज के दौरान मौत के बाद कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी।
एक दिन पहले तक पुलिस यह कहती रही थी कि चिकित्सा स्टाफ की जानकारी न मिलने के कारण उनका बयान नहीं दर्ज किया जा सका। जबकि अस्पताल एसआईसी डॉ. अजय सक्सेना ने बताया था कि स्टाफ के नाम के साथ ही जांच रिपोर्ट भी पुलिस को उपलब्ध करा दी गई है। आखिरकार शनिवार को पुलिस ने ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सा स्टाफ का बयान दर्ज किया।
सूत्रों का कहना है कि फिलहाल दो ही चिकित्सा स्टाफ का बयान शनिवार को लिया जा सका। शेष का बयान भी जल्द ही दर्ज किया जाएगा। उधर मुकदमा वादी से भी सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो व पीड़िता के कथित बयान संबंधित नोट भी मांगा गया है। मामले में पुलिस अफसर ज्यादा कुछ बताने को तैयार नहीं। सीओ कोतवाली सत्येंद्र प्रसाद तिवारी का कहना है कि विवेचना जारी है। साक्ष्य संकलन समेत अन्य कार्रवाई में पुलिस जुटी है।
जनता को किया जा रहा गुमराह
एसआरएन दुष्कर्म आरोप मामले में सपा नेत्री ऋचा सिंह ने डॉक्टरों से जांच में सहयोग की मांग की है। एमएलएन मेडिकल कॉलेज के रेजीडेंट डॉक्टर एसोसिएशन व इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के नाम पर उन्होंने एक पत्र जारी किया। जिसमें मांग उठाई कि डॉक्टर सामूहिक दुष्कर्म आरोप मामले में पुलिस का सहयोग करें। उन्होंने एसएसपी को भी एक पत्र भेजा है जिसमें घटना के 12 दिन बाद भी आरोपियों की पहचान न होने का आरोप लगाकर सवाल उठाया है। आरोप लगाया है कि तीन जून को ही आईजी प्रयागराज ने सुबह 8.08 मिनट पर आरोपी डॉक्टरों को क्लीन चिट अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से दी थी। जिसका आधार सीएमओ प्रयागराज की जांच थी। अब बिना आरोपियों से पूछताछ तो उन्हें क्लीन चिट दी नहीं गई होगी। ऐसे में आरोपियों की पहचान न होने संबंधित बयान गुमराह करने वाला है।
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