जितिन प्रसाद ने थामा भारतीय जनता पार्टी का हाथजितिन प्रसाद के बाबा ज्योति प्रसाद और पिता जितेंद्र प्रसाद भी कांग्रेस पार्टी के नेता थेमनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रह चुके हैं जितिन प्रसादश्रेयांश त्रिपाठी, लखनऊ2 दशक पहले कांग्रेस पार्टी की यूथ विंग से अपना राजनीतिक सफरनामा शुरू करने वाले जितिन प्रसाद (Jitin Prasada) ने बुधवार को अपनी एक नई सियासी यात्रा का आगाज किया है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और बीजेपी चीफ जेपी नड्डा की मौजूदगी में जितिन प्रसाद भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं। जितिन प्रसाद पूर्व में मनमोहन सिंह सरकार के मंत्री रहे हैं और उन्हें यूपी में कांग्रेस के चर्चित युवा चेहरों में से एक कहा जाता था। वो राहुल गांधी के करीबी नेताओं में से एक रहे हैं और प्रदेश में ब्राह्मण वोटों की गोलबंदी में कांग्रेस उन्हें एक बड़े चेहरे के रूप में इस्तेमाल करना चाहती थी। प्रसाद के पिता जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस के उपाध्यक्ष और पूर्व कांग्रेसी प्रधानमंत्री राजीव गांधी के राजनीतिक सलाहकार रहे हैं।जितिन प्रसाद का जन्म 29 नवंबर 1973 में यूपी के शाहजहांपुर जिले में हुआ था।
उनके पिता जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस के बड़े नेताओं में से एक थे। जितेंद्र प्रसाद राजीव गांधी के बेहद करीबी नेताओं में से एक थे। जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस के उपाध्यक्ष और पूर्व पीएम राजीव गांधी एवं नरसिम्हा राव के राजनीतिक सलाहकार थे। वहीं जितिन प्रसाद के बाबा ज्योति प्रसाद भी कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेता थे।पहले सिंधिया और अब जितिन भी खिसक गए, राहुल की ‘चौकड़ी’ में बचे बस दो नामजितिन की परदादी गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की भतीजी थीं। दून स्कूल और दिल्ली के प्रसिद्ध श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से शिक्षा हासिल करने वाले जितिन प्रसाद ने साल 2001 में कांग्रेस की यूथ विंग का जनरल सेक्रेटरी बनकर अपने सियासी सफर की शुरुआत की थी।मनमोहन सरकार में कई विभागों के मंत्री रहे2004 में जितिन प्रसाद ने पहली बार धौरहरा सीट से चुनाव लड़ा और इसके बाद वो 2008 में मनमोहन सिंह सरकार में इस्पात राज्यमंत्री बने।
2009 में शाहजहांपुर के सुरक्षित लोकसभा सीट होने के बाद जितिन ने धौरहरा सीट से चुनावी दावेदारी की और विजयी हुए। यूपीए-2 में उन्हें केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) का राज्यमंत्री बनाया गया। इस दौरान उन्होंने अभ्यर्थियों के लिए यूपीएससी में अवसरों की संख्या बढ़वाने में एक प्रमुख भूमिका निभाई।जब जितिन के पिता जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी को दी थी चुनौती, पढ़ें पूरा किस्सा2014 में हारे लोकसभा चुनाव, लेकिन बने कांग्रेस महासचिव2014 के लोकसभा चुनाव में जितिन प्रसाद प्रचंड मोदी लहर में चुनाव हार गए। उन्हें बीजेपी की रेखा वर्मा ने पराजित किया। बाद में कांग्रेस पार्टी ने उन्हें दल का महासचिव बनाया और फिर वह 2020 में पश्चिम बंगाल चुनाव में कांग्रेस के प्रभारी बनाए गए। हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस लेफ्ट से गठबंधन के बावजूद कोई खास प्रदर्शन ना कर सकी। इसी दौरान प्रियंका गांधी की यूपी में सक्रियता के वक्त में जितिन प्रसाद कई महत्वपूर्ण मौकों पर उनके सारथी बने दिखे। हाथरस के रेप कांड से लेकर लखनऊ में योगी सरकार के खिलाफ कई बड़े प्रदर्शनों के दौरान जितिन ने प्रियंका के साथ सक्रिय भूमिका निभाई। इसके अलावा वो ब्राह्मण वोटों की गोलबंदी में भी कांग्रेस के प्रमुख चेहरे के रूप में उभरे।
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