अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश में राजनीतिक बिसात बिछने लगी है। भाजपा से शुरू हुई अगले चुनावों की हलचल कांग्रेस और बसपा में शुरू हो गई है। बसपा ने तो अपने दो कद्दावर नेताओं को गुरुवार को पार्टी से बाहर कर दिया। इनमें से लालजी वर्मा के बारे में बताया जा रहा है कि वे बीते कुछ महीनों से समाजवादी पार्टी के संपर्क में थे। वहीं दूसरी ओर चर्चा यह भी है कि समाजवादी पार्टी से कुछ अन्य पार्टियों के नाराज नेता और विधायक संपर्क में हैं।
बसपा का बड़ा राजनैतिक दांव, दो नेता निकाले
उत्तर प्रदेश की राजनीति में गुरुवार को बहुजन समाज पार्टी ने अपने दो सबसे बड़े कद्दावर नेताओं को पार्टी से निष्कासित करके आने वाले विधानसभा चुनावों का बिगुल बजा दिया। सूत्रों के मुताबिक पंचायत चुनाव में जिस तरीके के आंकड़े बहुजन समाज पार्टी के पास आए हैं उससे बसपा सुप्रीमो बहुत खुश नहीं थीं। सूत्रों का कहना है पार्टी ने विधानमंडल दल के नेता और बसपा के कद्दावर नेता लालजी वर्मा लगातार नजर बनाए रखने के बाद यह फैसला किया कि वर्मा दूसरी पार्टी के नेताओं से मिले हुए हैं।बसपा सूत्रों का कहना है कि मायावती को इस बात का अहसास था कि लालजी वर्मा को आगामी विधानसभा चुनावों तक पार्टी में रखा गया तो बहुजन समाज पार्टी को अच्छा खासा नुकसान हो सकता है। पार्टी नेता रामअचल राजभर के बारे में भी बसपा सुप्रीमो को इसी बात की जानकारी मिली थी कि अगर उन्हें लंबे समय तक पार्टी में रखा गया तो आगामी विधानसभा चुनावों में यह भी पार्टी का बड़ा नुकसान कर सकते हैं। गुरुवार को इसी वजह से पार्टी ने बड़ा फैसला लेते हुए दोनों नेताओं को तत्काल प्रभाव से पार्टी से न सिर्फ निष्कासित किया बल्कि यह भी एलान किया कि आने वाले वक्त में कभी भी इन्हें पार्टी से टिकट देकर चुनाव नहीं लड़ाया जाएगा।इन दो बड़े नेताओं को निकाले जाने से पहले बसपा सुप्रीमो मायावती लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से राज्य सरकार पर कोरोना के इलाज में हो रही लापरवाही पर निशाना साधती रही हैं। बसपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मायावती ने बीते कुछ समय पहले पार्टी की कोर कमेटी के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर आगामी विधानसभा चुनावों की पूरी रूपरेखा तैयार की है। इस बैठक में उनके भतीजे और पार्टी के नेशनल कॉर्डिनेटर आकाश और सतीश चंद्र मिश्र समेत कुछ अन्य प्रमुख नेता शामिल थे।
समाजवादी पार्टी भी खेल रही दाव
बसपा के दो नेताओं को निकाले जाने के बाद माना जा रहा है कि विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा समाजवादी पार्टी से लगातार संपर्क में है। सपा सूत्रों का कहना है कि वर्मा की बीते कुछ समय में समाजवादी पार्टी के बड़े नेताओं से मुलाकात हुई है। बसपा के इस बड़े कदम के पीछे समाजवादी पार्टी के अंदरखाने चल रही दूसरी पार्टी के बड़े नेताओं को अपनी ओर खींचने की रणनीति सामने आई है। पार्टी सूत्रों का कहना है कुछ अन्य पार्टियों के नाराज नेता और विधायक भी सपा के संपर्क में हैं। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता और पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव को लेकर उनकी पूरी तैयारियां चल रही हैं। उन्होंने कहा उत्तर प्रदेश की राजनीति में होने वाली तमाम उठापटक पर समाजवादी पार्टी निश्चित तौर पर गहरी नजर बनाए है। लेकिन इन सबसे अलग उनका और उनकी पार्टी का पूरा मकसद अपने संगठन को आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए पूरी तरीके से मुस्तैद करने के लिए है। राजेन्द्र चौधरी ने बताया कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए उनकी पार्टी की ओर से बूथ स्तर तक पर सभी दिशा निर्देश जारी कर दिए गए।
भाजपा ने तेज की उत्तर प्रदेश में चुनावी सरगर्मियां
प्रदेश के सबसे पहले भाजपा ने चुनावी राजनैतिक सरगर्मियां को हवा दी। फिर कांग्रेस लगातार कोरोना में मदद के माध्यम से राजनीतिक बिसात को बिछाने में लग गयी। इस दौरान कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने गांव में लोगों से अपने ब्लॉक अध्यक्षों और चिट्ठी के माध्यम से सीधा संपर्क करना शुरू किया। इन दोनों पार्टियों के अलावा उत्तर प्रदेश की दो प्रमुख पार्टियां बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी उस तरीके से अभी तक सक्रिय नहीं थी। लेकिन बसपा के दो बड़े नेताओं को निकाले जाने और इनका समाजवादी पार्टी से संपर्क होने से इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि बसपा और समाजवादी पार्टी भी पूरी तरीके से विधानसभा की तैयारियों में जुट गई है।
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