प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमाखोरों से जब्त रेमडेसिविर इंजेक्शन सहित जीवनरक्षक दवाओं की बर्बादी पर संज्ञान लिया है। साथ कोरोना मामले की पीआईएल पर सुनवाई के दौरान पड़ताल की जानकारी देने वाले अधिवक्ता से पूरी बात अर्जी के माध्यम से दाखिल करने को कहा है। इस मामले में अब सात जून से प्रारंभ हो रहे सप्ताह में सुनवाई होगी।बृहस्पतिवार को जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान एडवोकेट विभू राय ने मीडिया में छपी खबर की कटिंग दिखाते हुए बतौर कोर्ट अफसर कहा कि न्यायालय ने सात मई के आदेश में प्रदेश के सभी न्यायिक मजिस्ट्रेट को जमाखोरों से जब्त किए गए रेमडेसिविर इंजेक्शन एवं कोरोना से बचाव की अन्य जीवनरक्षक दवाओं को जल्द रिलीज करने के लिए संबंधित मामलों का तीन दिन में निस्तारण करने का आदेश दिया था। साथ ही डीजीपी से सर्कुलर जारी कर सभी पुलिस अधिकारियों को निर्देश देने को कहा कि जब्त की गई दवाएं रिलीज कराने के लिए 24 घंटे में संबंधित मजिस्ट्रेट से संपर्क करें।लेकिन मीडिया रिपोर्ट से पता चलता है कि न्यायालय के आदेश के अनुपालन में रेमडेसिवर इंजेक्शन व जीवनरक्षक दवाएं रिलीज कराना तो दूर उन्हें बचाया भी नहीं गया। नतीजतन जिन इंजेक्शन को खरीदने के लिए कई कोरोना पीड़ितों को हजारों रुपये खर्च करने पड़े और कई की जान इनके न मिलने के कारण चली गई। एडवोकेट राय का कहना था कि ऐसा करके न्यायालय के आदेश की अवहेलना की गई है। इस पर न्यायालय ने एडवोकेट विभू राय से अपनी पूरी बात अर्जी के माध्यम से दाखिल करने को कहा है।
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमाखोरों से जब्त रेमडेसिविर इंजेक्शन सहित जीवनरक्षक दवाओं की बर्बादी पर संज्ञान लिया है। साथ कोरोना मामले की पीआईएल पर सुनवाई के दौरान पड़ताल की जानकारी देने वाले अधिवक्ता से पूरी बात अर्जी के माध्यम से दाखिल करने को कहा है। इस मामले में अब सात जून से प्रारंभ हो रहे सप्ताह में सुनवाई होगी।
बृहस्पतिवार को जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान एडवोकेट विभू राय ने मीडिया में छपी खबर की कटिंग दिखाते हुए बतौर कोर्ट अफसर कहा कि न्यायालय ने सात मई के आदेश में प्रदेश के सभी न्यायिक मजिस्ट्रेट को जमाखोरों से जब्त किए गए रेमडेसिविर इंजेक्शन एवं कोरोना से बचाव की अन्य जीवनरक्षक दवाओं को जल्द रिलीज करने के लिए संबंधित मामलों का तीन दिन में निस्तारण करने का आदेश दिया था। साथ ही डीजीपी से सर्कुलर जारी कर सभी पुलिस अधिकारियों को निर्देश देने को कहा कि जब्त की गई दवाएं रिलीज कराने के लिए 24 घंटे में संबंधित मजिस्ट्रेट से संपर्क करें।
लेकिन मीडिया रिपोर्ट से पता चलता है कि न्यायालय के आदेश के अनुपालन में रेमडेसिवर इंजेक्शन व जीवनरक्षक दवाएं रिलीज कराना तो दूर उन्हें बचाया भी नहीं गया। नतीजतन जिन इंजेक्शन को खरीदने के लिए कई कोरोना पीड़ितों को हजारों रुपये खर्च करने पड़े और कई की जान इनके न मिलने के कारण चली गई। एडवोकेट राय का कहना था कि ऐसा करके न्यायालय के आदेश की अवहेलना की गई है। इस पर न्यायालय ने एडवोकेट विभू राय से अपनी पूरी बात अर्जी के माध्यम से दाखिल करने को कहा है।
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