सुमित शर्मा, कानपुरदेश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर की रफ्तार सुस्त पड़ने के साथ ही ब्लैक फंगस ने दस्तक दे दी है। इसके साथ ही कोरोना की तीसरी लहर की भी आशंका जताई जा रही है। कई वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोरोना वायरस और ब्लैक फंगस हवा के जरिए भी नाक और मुंह में पहुंच सकता है। इन दावों के बीच आईआईटी कानपुर ने एक राहत भरी खबर दी है। आईआईटी कानपुर और आईआईटी बांबे ने मिलकर पहला एंटीमाइक्रोबियल एयर प्यूरीफायर तैयार किया है। एंटीमाइक्रोबियल एयर प्यूरीफायर तैयार करने वाली संस्था इनक्यूबेटर एअर्थ का दावा है कि हवा में किसी भी प्रकार के किटाणु, वायरस, फंगस, बैक्टिरिया को डिएक्टिवेट करने मे सक्षम है। एंटीमाइक्रोबियल एयर प्यूरीफायर को आईआईटी के वैज्ञानिकों की देखरेख में तैयार किया गया है। यह प्यूरीफायर 600 वर्गगज की हवा को वायरस और बैक्टिरिया मुक्त रखता है।हवा में वायरस को मारने के सिर्फ दो तरीके मौजूद हैंएअर्थ कंपनी के सीईओ रवि कौशिक के मुताबिक हॉस्पिटल के पास सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि, मरीजों के आसपास की हवा से किटाणुओं को कैसे निकाला जाए। अस्पतालों के पास हवा में बैक्टिरिया, फंगस, वायरस को मारने के सिर्फ दो तरीके हैं। पहला यूवी लाइट्स का इस्तेमाल करके और दूसरा केमिकल को हवा में स्प्रे करके किया जा सकता है। इन दोनों तरीकों का इस्तेमाल तब किया जा सकता है, जब वहां पेशेंट मौजूद नहीं हों। यह दोनों तरीके इंसानों के लिए हार्मफुल होते हैं। यह पूरी तरह से सुरक्षित हैरवि कौशिक ने बताया कि इसे ध्यान में रखते हुए आईआईटी कानपुर और आईआईटी बांबे एक नई डिवाईस को डेवलप किया है। जिसको एंटीमाइक्रोबियल एयर प्यूरीफायर कहते है। यह तीन बातों पर आधारित है। पहला यह फंगस, बैक्टिरिया, वायरस का रियल टाइम डिएक्टिवेशन कर सकता है। दूसरी बात इसका हम लोग पूरे टाइम अपने आसपास इस्तेमाल कर सकते हैं। तीसरी बात यह पूरी तरह से सुरक्षित है, इसका किसी तरह से शरीर पर बुरा असर नहीं पड़ता है। एंटीमाइक्रोबियल एयर प्यूरीफायर किसी भी एयर प्यूरीफायर से एकदम अलग है। कोई भी एयर प्यूरीफायर एक कैप्चर मैकेनिजम पर काम करता है। जिसमें एक फिल्टर यूज करते है। किटाणु फिल्टर में आकर कैप्चर हो जाता है, लेकिन किटाणु वहां से बाहर भी निकल सकता है। एंटीमाइक्रोबियल एयर प्यूरीफायर एक अलग प्रक्रिया पर काम करता है। तीन स्टेप में करता है कामस्टेप वन डिएक्टिवेट-किटाणु जब एंटीमाइक्रोबियल एयर प्यूरीफायर में आते हैं, उनका डिएक्टिवेशन शुरू हो जाता है। स्टेप टू कैप्चरिंग-हम इन किटाणुओं को स्पेशल फिल्टर में कैप्चर करते हैं। स्टेप थ्री-हम सिस्टम में दोबारा से वायरस, किटाणुओं को दोबारा से डिएक्टिवेट करते हैं।यह तीनों स्टेप आपस में एक दूसरे की सहायता करते हैंएंटीमाइक्रोबियल एयर प्यूरीफायर की टेस्टिंग दो अलग-अलग लैब में की गई है। जिसमें पाया गया कि कोरोना वायरस और फंगल जैसे छोटे पार्टिकल को भी डिएक्टिवेट कर सकते हैं। हमारे आसपास की हवा 99 फीसदी शुद्ध रहती है।
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