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सीएम से शिकायत के बाद छापा, प्रभारीमंत्री के फोन के बाद लाइसेंस निलंबित

मुनाफाखोरी के आरोपी मेहता सर्जिकल स्टोर के मालिक अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट पहुंचे12 मई को एसडीएम के नेतृत्व में पडा छापा, कार्रवाई में हो रही थी टालमटोल
बरेली। कोरोना से तबाही के बीच मुनाफाखोरी की हदें पार कर देने वाले मेहता सर्जिकल स्टोर का लाइसेंस आखिरकार एफएसडीए ने निलंबित कर दिया है। हालांकि पुलिस अब तक आरोपियों को गिरफ्तार करने में नाकाम रही है। इस बीच आरोपियों ने अग्रिम जमानत के लिए अदालत में अर्जी भी दाखिल कर दी है।डीडीपुरम के मेहता सर्जिकल स्टोर के खिलाफ मार्च में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद से ही जरूरी चिकित्सीय साजोसामान पर बड़े पैमाने पर मुनाफाखोरी करने की शिकायतें शुरू हो गई थीं। सोशल मीडिया पर भी कई मामले गूंजते रहे लेकिन फिर भी एफएसडीए ने कोई कार्रवाई नहीं की। स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के अफसरों की ओर से भी इसका कोई संज्ञान नहीं लिया गया। आठ मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आने पर कई विधायकों ने इस बारे में उनसे शिकायत की जिसके बाद 12 मई को एसडीएम सदर की अगुवाई में एफएसडीए की टीम ने मेहता सर्जिकल स्टोर पर छापा मारा।इस छापे में स्टोर पर इस कदर गंभीर गड़बड़ियां मिलीं कि अफसर भी हैरान रह गए। बिना किसी लाइसेंस के कोरोना के इलाज के लिए जरूरी आयटम बनाए जा रहे थे। एक्सपायर सामान को भी दोबारा पैक किया जा रहा था और उन पर कई गुना ज्यादा मूल्य के टैग भी लगाए जा रहे थे। गोदाम में मिले स्टॉक के बिल तक उपलब्ध नहीं थे, न ही उनकी सेल का कोई ब्योरा स्टोर मालिक छापा मारने वाली टीम को दे पाए। इससे साफ हो गया कि स्टोर मालिक एक तरफ कोरोना से सताए लोगों की जेबें खाली करा रहे थे तो दूसरी तरफ सरकार को भी राजस्व का चूना लगा रहे थे। छापे के बाद रिपोर्ट तैयार एफएसडीए की ओर से थाना प्रेमनगर में एफआइआर कराई। सूत्रों के मुताबिक एफएसडीए की तहरीर में भी मामले को हल्का करने की कोशिश की गई लेकिन एसडीएम सदर विशु राजा की दखलंदाजी से इसमें कामयाबी नहीं मिल पाई।छापे के बाद मेहता सर्जिकल के मालिकों को विभिन्न बिंदुओं पर जवाब देने के लिए तीन दिन का समय दिया गया था लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। हालांकि इसके बावजूद लाइसेंस निलंबित करने में एफएसडीए अधिकारियों ने पांच दिन का समय लगा दिया। उधर, पुलिस अभी इस प्रकरण में आरोपी बनाए गए लोगों को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। इस बीच बुधवार को मेहता स्टोर के मालिक अजय मेहता, उसकी पत्नी सोनिका मेहता, बेटे सुशांत मेहता समेत आरोपियों की ओर से अग्रिम जमानत के लिए अदालत में अर्जी दाखिल कर दी गई। अदालत ने इस पर सुनवाई के लिए चार जून की तारीख तय की है।
लाइसेंसी के नाम का खुलासा करने में लगा पूरा सप्ताह
बताया जाता है कि एफएसडीए ऑक्सीजन की कालाबाजारी और मेहता सर्जिकल पर पकड़ी गई गड़बड़ियों के मामले को दबाए रखने में जुटा रहा। यही वजह है कि सप्ताह भर बाद मेहता सर्जिकल स्टोर के लाइसेंसी और उसके साझेदार का नाम उजागर किया गया। ऑक्सीजन कालाबाजारी में आरोपित पारस गुप्ता के पास कोई भी वैध लाइसेंस नहीं है, लेकिन इसके बावजूद एफएसडीए अफसरों ने विभागीय रिपोर्ट में आईपीसी धारा 274 और 275 का इस्तेमाल नहीं किया गया। इन दोनों मामलों में प्रेमनगर पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।
मेहता सर्जिकल की दूसरी दुकान भी बंद
बरेली। डीडीपुरम में मेहता सर्जिकल्स पर छापे के बाद प्रेमनगर पुलिस ने मुकदमे में नगर निगम के पीछे स्थित मेहता ट्रेडर्स (सर्जिकल्स) के मालिकान के नाम भी शामिल कर लिए हैं। इसके बाद मेहता सर्जिकल की इस दुकान पर भी बुधवार को ताला डालकर उस पर बैठने वाले खिसक गए।औषधि निरीक्षक उर्मिला वर्मा की ओर से थाना प्रेमनगर में डीडीपुरम के मेहता सर्जिकल स्टोर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद मंगलवार को प्रेमनगर पुलिस ने इस मुकदमे में आरोपियों के नाम खोले हैं। इसमें डीडीपुरम की फर्म के अजय मेहता, उनकी पत्नी सोनिका मेहता, बेटा सुशांत मेहता और भाई सुनील मेहता, उनकी पत्नी राखी मेहता और बेटा राहुल मेहता शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि छापे के दौरान अजय मेहता और सुशांत मेहता स्टोर पर मिले थे। बाकी आरोपियों के नाम विभाग से जारी लाइसेंस के आधार पर शामिल किए गए हैं।सुनील मेहता का नगर निगम के पीछे मेहता ट्रेडर्स (सर्जिकल्स) के नाम से स्टोर है जिस पर मुकदमे में नाम खुलने के बाद बुधवार को ताला लग गया। सुनील मेहता का कहना है कि 2015 में वह अपने भाई अजय मेहता से कारोबार अलग कर चुके हैं। वह अधिकारियों से मिलकर अपना पक्ष रखेंगे।
पुलिस ने पहले ही कहा था… पारस ने भी दी अग्रिम जमानत के लिए अर्जी
ऑक्सीजन की कालाबाजारी के मामले में वांछित पारस गुप्ता अब तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया है। पुलिस ने अंदेशा जताया था कि वह अदालत से अग्रिम जमानत करा सकता है और बुधवार को ऐसा ही हुआ। पारस ने कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दी है जिस पर 20 मई को सुनवाई होनी है। बता दें कि उसके खिलाफ भी थाना प्रेमनगर में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। इंस्पेक्टर प्रेमनगर अवनीश यादव ने बताया कि पारस की तलाश की जा रही है लेकिन कुछ पता नहीं लग रहा है।

मुनाफाखोरी के आरोपी मेहता सर्जिकल स्टोर के मालिक अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट पहुंचे

12 मई को एसडीएम के नेतृत्व में पडा छापा, कार्रवाई में हो रही थी टालमटोल
बरेली। कोरोना से तबाही के बीच मुनाफाखोरी की हदें पार कर देने वाले मेहता सर्जिकल स्टोर का लाइसेंस आखिरकार एफएसडीए ने निलंबित कर दिया है। हालांकि पुलिस अब तक आरोपियों को गिरफ्तार करने में नाकाम रही है। इस बीच आरोपियों ने अग्रिम जमानत के लिए अदालत में अर्जी भी दाखिल कर दी है।

डीडीपुरम के मेहता सर्जिकल स्टोर के खिलाफ मार्च में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद से ही जरूरी चिकित्सीय साजोसामान पर बड़े पैमाने पर मुनाफाखोरी करने की शिकायतें शुरू हो गई थीं। सोशल मीडिया पर भी कई मामले गूंजते रहे लेकिन फिर भी एफएसडीए ने कोई कार्रवाई नहीं की। स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के अफसरों की ओर से भी इसका कोई संज्ञान नहीं लिया गया। आठ मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आने पर कई विधायकों ने इस बारे में उनसे शिकायत की जिसके बाद 12 मई को एसडीएम सदर की अगुवाई में एफएसडीए की टीम ने मेहता सर्जिकल स्टोर पर छापा मारा।

इस छापे में स्टोर पर इस कदर गंभीर गड़बड़ियां मिलीं कि अफसर भी हैरान रह गए। बिना किसी लाइसेंस के कोरोना के इलाज के लिए जरूरी आयटम बनाए जा रहे थे। एक्सपायर सामान को भी दोबारा पैक किया जा रहा था और उन पर कई गुना ज्यादा मूल्य के टैग भी लगाए जा रहे थे। गोदाम में मिले स्टॉक के बिल तक उपलब्ध नहीं थे, न ही उनकी सेल का कोई ब्योरा स्टोर मालिक छापा मारने वाली टीम को दे पाए। इससे साफ हो गया कि स्टोर मालिक एक तरफ कोरोना से सताए लोगों की जेबें खाली करा रहे थे तो दूसरी तरफ सरकार को भी राजस्व का चूना लगा रहे थे। छापे के बाद रिपोर्ट तैयार एफएसडीए की ओर से थाना प्रेमनगर में एफआइआर कराई। सूत्रों के मुताबिक एफएसडीए की तहरीर में भी मामले को हल्का करने की कोशिश की गई लेकिन एसडीएम सदर विशु राजा की दखलंदाजी से इसमें कामयाबी नहीं मिल पाई।

छापे के बाद मेहता सर्जिकल के मालिकों को विभिन्न बिंदुओं पर जवाब देने के लिए तीन दिन का समय दिया गया था लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। हालांकि इसके बावजूद लाइसेंस निलंबित करने में एफएसडीए अधिकारियों ने पांच दिन का समय लगा दिया। उधर, पुलिस अभी इस प्रकरण में आरोपी बनाए गए लोगों को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। इस बीच बुधवार को मेहता स्टोर के मालिक अजय मेहता, उसकी पत्नी सोनिका मेहता, बेटे सुशांत मेहता समेत आरोपियों की ओर से अग्रिम जमानत के लिए अदालत में अर्जी दाखिल कर दी गई। अदालत ने इस पर सुनवाई के लिए चार जून की तारीख तय की है।
लाइसेंसी के नाम का खुलासा करने में लगा पूरा सप्ताह
बताया जाता है कि एफएसडीए ऑक्सीजन की कालाबाजारी और मेहता सर्जिकल पर पकड़ी गई गड़बड़ियों के मामले को दबाए रखने में जुटा रहा। यही वजह है कि सप्ताह भर बाद मेहता सर्जिकल स्टोर के लाइसेंसी और उसके साझेदार का नाम उजागर किया गया। ऑक्सीजन कालाबाजारी में आरोपित पारस गुप्ता के पास कोई भी वैध लाइसेंस नहीं है, लेकिन इसके बावजूद एफएसडीए अफसरों ने विभागीय रिपोर्ट में आईपीसी धारा 274 और 275 का इस्तेमाल नहीं किया गया। इन दोनों मामलों में प्रेमनगर पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।

मेहता सर्जिकल प्रतिष्ठान डीडी पुरम का लाइसेंस बुधवार शाम निलंबित कर दिया गया है। आदेश में निलंबन अवधि नहीं है, क्योंकि अभी जांच चल रही है। आरोपी अपेक्षित सहयोग नहीं कर रहे हैं, जिससे जांच में बाधा आ रही हैं। -उर्मिला वर्मा, औषधि निरीक्षक

मेहता सर्जिकल की दूसरी दुकान भी बंद
बरेली। डीडीपुरम में मेहता सर्जिकल्स पर छापे के बाद प्रेमनगर पुलिस ने मुकदमे में नगर निगम के पीछे स्थित मेहता ट्रेडर्स (सर्जिकल्स) के मालिकान के नाम भी शामिल कर लिए हैं। इसके बाद मेहता सर्जिकल की इस दुकान पर भी बुधवार को ताला डालकर उस पर बैठने वाले खिसक गए।

औषधि निरीक्षक उर्मिला वर्मा की ओर से थाना प्रेमनगर में डीडीपुरम के मेहता सर्जिकल स्टोर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद मंगलवार को प्रेमनगर पुलिस ने इस मुकदमे में आरोपियों के नाम खोले हैं। इसमें डीडीपुरम की फर्म के अजय मेहता, उनकी पत्नी सोनिका मेहता, बेटा सुशांत मेहता और भाई सुनील मेहता, उनकी पत्नी राखी मेहता और बेटा राहुल मेहता शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि छापे के दौरान अजय मेहता और सुशांत मेहता स्टोर पर मिले थे। बाकी आरोपियों के नाम विभाग से जारी लाइसेंस के आधार पर शामिल किए गए हैं।

सुनील मेहता का नगर निगम के पीछे मेहता ट्रेडर्स (सर्जिकल्स) के नाम से स्टोर है जिस पर मुकदमे में नाम खुलने के बाद बुधवार को ताला लग गया। सुनील मेहता का कहना है कि 2015 में वह अपने भाई अजय मेहता से कारोबार अलग कर चुके हैं। वह अधिकारियों से मिलकर अपना पक्ष रखेंगे।

औषधि विभाग के छापे के दौरान अजय मेहता और सुशांत मेहता मौके पर मौजूद मिले थे। बाकी नाम औषधि विभाग से मिले प्रमाणित दस्तावेजों के आधार पर बढ़ाए गए हैं। पूरे कारोबार का एक ही सामूहिक लाइसेंस है।- मनोज कुमार, एसएसआई एवं विवेचक, थाना प्रेमनगर

पुलिस ने पहले ही कहा था… पारस ने भी दी अग्रिम जमानत के लिए अर्जी
ऑक्सीजन की कालाबाजारी के मामले में वांछित पारस गुप्ता अब तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया है। पुलिस ने अंदेशा जताया था कि वह अदालत से अग्रिम जमानत करा सकता है और बुधवार को ऐसा ही हुआ। पारस ने कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दी है जिस पर 20 मई को सुनवाई होनी है। बता दें कि उसके खिलाफ भी थाना प्रेमनगर में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। इंस्पेक्टर प्रेमनगर अवनीश यादव ने बताया कि पारस की तलाश की जा रही है लेकिन कुछ पता नहीं लग रहा है।