अर्हता के विवाद के कारण एलटी ग्रेड कला और हिंदी विषय में सहायक अध्यापक के सैकड़ों पद खाली रह गए। इस परीक्षा का विज्ञापन तीन साल पहले जारी किया था और केवल लिखित परीक्षा के आधार पर अंतिम चयन परिणाम जारी किया जाना था। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने दोनों विषयों का रिजल्ट जारी कर चुका है। इसके बावजूद सैकड़ों पद खाली पड़े हैं।कला विषय में अर्हता से जुड़े दो तरह के विवाद हैं। आयोग ने जब भर्ती का विज्ञापन जारी किया था तो उसमें अर्हता निर्धारित की थी कि अभ्यर्थी के पास बैचलर ऑफ फाइन आर्ट (बीएफए) के साथ बीएड की डिग्री होनी चाहिए। फॉर्म भरने वालों में तमाम अभ्यर्थियों के पास बीएफए की डिग्री थी, लेकिन उन्होंने बीएड नहीं किया था।ऐसे अभ्यर्थियों को केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय में सहायक अध्यापक पद के लिए अर्ह माना जाता है। केवल बीएफए की डिग्री वाले तकरीबन 97 अभ्यर्थी थे, जिनके बारे में आयोग ने एनसीटीई और यूजीसी से दिशा-निर्देश मांगे थे। सूत्रों के अनुसार इस पर एनसीटीई ने आयोग को अपना जवाब भी भेज दिया था, जिसमें कहा गया था कि बीएफए की डिग्री चार वर्ष की होती है और इसमें भी प्रशिक्षण दिया जाता है। ऐसे में बीएड की डिग्री अनिवार्य नहीं है। ऐसे अभ्यर्थी सहायक अध्यापक पद के लिए अर्ह हैं। हालांकि आयोग ने ऐसे अभ्यर्थियों की नियुक्ति की संस्तुति अभी तक माध्यमिक शिक्षा निदेशालय को नहीं भेजी है। वहीं, तकरीबन ढाई सौ अभ्यर्थी ऐसे थे, जिन्होंने प्राविधिक कला से इंटरमीडिएट किया था और उनके पास बीएड की डिग्री थी, लेकिन उन्होंने बीएफए नहीं किया था और बहुत से अभ्यर्थियों के पास बीएफ एवं बीएड दोनों डिग्री नहीं थी। अशासकीय महाविद्यालयों में सहायक अध्यापक पद पर भर्ती के लिए ऐसे अभ्यर्थियों को अर्ह माना जाता है, लेकिन आयोग ने इन्हें अनर्ह मानते हुए पिछले साल अक्तूबर में लगभग ढाई सौ अभ्यर्थियों का चयन निरस्त करते हुए उन्हें नोटिस जारी कर दिया था। कला विषय में कुल 470 पद थे और इनमें से अब तक लगभग 134 अभ्यर्थियों की नियुक्ति की संस्तुति ही निदेशालय को भेजी गई है। इन अभ्यर्थियों के पास विज्ञापन के अनुसार बीएफए और बीएड की डिग्री थी।उधर, हिंदी में भी अर्हता के विवाद के कारण बड़ी संख्या में पर रिक्त पड़े हैं। विज्ञापन में अर्हता निर्धारित की गई थी कि इंटर में संस्कृत और बीए में हिंदी विषय होना चाहिए। साथ ही अभ्यर्थी के पास बीएड की डिग्री होनी चाहिए। बड़ी संख्या में ऐसे अभ्यर्थियों ने फॉर्म भर दिया था, जिनके पास बीए में संस्कृत एवं हिंदी विषय था और बीएडी की डिग्री थी, लेकिन इंटर में संस्कृत विषय नहीं था। ऐसे तकरीबन 300 अभ्यर्थियों का चयन भी हो गया, लेकिन अर्हता पूरी न होने के कारण इनकी फाइलें आयोग में रोक दी गईं। इसके अलावा अर्हता तिथि के विवाद को लेकर भी पद खाली हैं। आयोग ने आवेदन की तिथि 15 मार्च से 15 अप्रैल 2018 निर्धारित की थी। नियम है कि आवेदन की अंतिम तिथि तक अभ्यर्थी को अर्हता पूरी करनी होगी। तमाम अभ्यर्थियों ने उस वक्त एकल विषय संस्कृत से इंटरमीडिएट की परीक्षा दी थी।आवेदन की अंतिम तिथि तक यूपी बोर्ड का रिजल्ट नहीं आया था। बोर्ड ने 29 अप्रैल 2018 को रिजल्ट जारी किया था। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर आवेदन की तिथि चार से 16 जून तक बढ़ा दी गई थी और इस दौरान बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने आवेदन कर दिए थे। हिंदी विषय में तकरीबन ऐसे 50 अभ्यर्थियों का चयन हो गया, जिन्होंने एकल विषय संस्कृत से इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। अभ्यर्थियों का कहना है कि आवेदन की तिथि बढ़ा दी गई थी और उनका रिजल्ट अंतिम तिथि से पहले आया, ऐसे में वे आवेदन के वक्त अर्हता रखते थे, लेकिन आयोग ने यह मानने को तैयार नहीं है और इसी वजह से ऐसे अभ्यर्थियों की फाइलें आयोग ने रोक कर रखी हैं।
प्रतीक्षा सूची से रिक्त पदों को भरने की मांग
अभ्यर्थी मांग कर रहे हैं कि जहां अर्हता को लेकर विवाद का निपटारा हो चुका है, वहां चयनित अभ्यर्थियों की फाइलें नियुक्ति के लिए तत्काल निदेशालय को भेजी जाएं। प्रतियोगी छात्र मोर्चा के अध्यक्ष विक्की खान का कहना है कि कोई भी पद खाली नहीं रहना चाहिए। आयोग ने अब तक जितने पदों का चयन निरस्त किया है या अन्य कारणों से पद रिक्त रह गए हैं, उन मामलों में आयोग प्रतीक्षा सूची जारी कर रिक्त पदों को भरा जाए। आयोग में नए अभ्यर्थी के ज्वाइन करने के बाद अभ्यर्थी उनसे मिलकर अपनी समस्या बताएंगेअर्हता के विवाद के कारण एलटी ग्रेड कला और हिंदी विषय में सहायक अध्यापक के सैकड़ों पद खाली रह गए। इस परीक्षा का विज्ञापन तीन साल पहले जारी किया था और केवल लिखित परीक्षा के आधार पर अंतिम चयन परिणाम जारी किया जाना था। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने दोनों विषयों का रिजल्ट जारी कर चुका है। इसके बावजूद सैकड़ों पद खाली पड़े हैं।
कला विषय में अर्हता से जुड़े दो तरह के विवाद हैं। आयोग ने जब भर्ती का विज्ञापन जारी किया था तो उसमें अर्हता निर्धारित की थी कि अभ्यर्थी के पास बैचलर ऑफ फाइन आर्ट (बीएफए) के साथ बीएड की डिग्री होनी चाहिए। फॉर्म भरने वालों में तमाम अभ्यर्थियों के पास बीएफए की डिग्री थी, लेकिन उन्होंने बीएड नहीं किया था।
ऐसे अभ्यर्थियों को केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय में सहायक अध्यापक पद के लिए अर्ह माना जाता है। केवल बीएफए की डिग्री वाले तकरीबन 97 अभ्यर्थी थे, जिनके बारे में आयोग ने एनसीटीई और यूजीसी से दिशा-निर्देश मांगे थे। सूत्रों के अनुसार इस पर एनसीटीई ने आयोग को अपना जवाब भी भेज दिया था, जिसमें कहा गया था कि बीएफए की डिग्री चार वर्ष की होती है और इसमें भी प्रशिक्षण दिया जाता है। ऐसे में बीएड की डिग्री अनिवार्य नहीं है। ऐसे अभ्यर्थी सहायक अध्यापक पद के लिए अर्ह हैं। हालांकि आयोग ने ऐसे अभ्यर्थियों की नियुक्ति की संस्तुति अभी तक माध्यमिक शिक्षा निदेशालय को नहीं भेजी है।
वहीं, तकरीबन ढाई सौ अभ्यर्थी ऐसे थे, जिन्होंने प्राविधिक कला से इंटरमीडिएट किया था और उनके पास बीएड की डिग्री थी, लेकिन उन्होंने बीएफए नहीं किया था और बहुत से अभ्यर्थियों के पास बीएफ एवं बीएड दोनों डिग्री नहीं थी। अशासकीय महाविद्यालयों में सहायक अध्यापक पद पर भर्ती के लिए ऐसे अभ्यर्थियों को अर्ह माना जाता है, लेकिन आयोग ने इन्हें अनर्ह मानते हुए पिछले साल अक्तूबर में लगभग ढाई सौ अभ्यर्थियों का चयन निरस्त करते हुए उन्हें नोटिस जारी कर दिया था। कला विषय में कुल 470 पद थे और इनमें से अब तक लगभग 134 अभ्यर्थियों की नियुक्ति की संस्तुति ही निदेशालय को भेजी गई है। इन अभ्यर्थियों के पास विज्ञापन के अनुसार बीएफए और बीएड की डिग्री थी।
उधर, हिंदी में भी अर्हता के विवाद के कारण बड़ी संख्या में पर रिक्त पड़े हैं। विज्ञापन में अर्हता निर्धारित की गई थी कि इंटर में संस्कृत और बीए में हिंदी विषय होना चाहिए। साथ ही अभ्यर्थी के पास बीएड की डिग्री होनी चाहिए। बड़ी संख्या में ऐसे अभ्यर्थियों ने फॉर्म भर दिया था, जिनके पास बीए में संस्कृत एवं हिंदी विषय था और बीएडी की डिग्री थी, लेकिन इंटर में संस्कृत विषय नहीं था। ऐसे तकरीबन 300 अभ्यर्थियों का चयन भी हो गया, लेकिन अर्हता पूरी न होने के कारण इनकी फाइलें आयोग में रोक दी गईं। इसके अलावा अर्हता तिथि के विवाद को लेकर भी पद खाली हैं। आयोग ने आवेदन की तिथि 15 मार्च से 15 अप्रैल 2018 निर्धारित की थी। नियम है कि आवेदन की अंतिम तिथि तक अभ्यर्थी को अर्हता पूरी करनी होगी। तमाम अभ्यर्थियों ने उस वक्त एकल विषय संस्कृत से इंटरमीडिएट की परीक्षा दी थी।
आवेदन की अंतिम तिथि तक यूपी बोर्ड का रिजल्ट नहीं आया था। बोर्ड ने 29 अप्रैल 2018 को रिजल्ट जारी किया था। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर आवेदन की तिथि चार से 16 जून तक बढ़ा दी गई थी और इस दौरान बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने आवेदन कर दिए थे। हिंदी विषय में तकरीबन ऐसे 50 अभ्यर्थियों का चयन हो गया, जिन्होंने एकल विषय संस्कृत से इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। अभ्यर्थियों का कहना है कि आवेदन की तिथि बढ़ा दी गई थी और उनका रिजल्ट अंतिम तिथि से पहले आया, ऐसे में वे आवेदन के वक्त अर्हता रखते थे, लेकिन आयोग ने यह मानने को तैयार नहीं है और इसी वजह से ऐसे अभ्यर्थियों की फाइलें आयोग ने रोक कर रखी हैं।
प्रतीक्षा सूची से रिक्त पदों को भरने की मांग
अभ्यर्थी मांग कर रहे हैं कि जहां अर्हता को लेकर विवाद का निपटारा हो चुका है, वहां चयनित अभ्यर्थियों की फाइलें नियुक्ति के लिए तत्काल निदेशालय को भेजी जाएं। प्रतियोगी छात्र मोर्चा के अध्यक्ष विक्की खान का कहना है कि कोई भी पद खाली नहीं रहना चाहिए। आयोग ने अब तक जितने पदों का चयन निरस्त किया है या अन्य कारणों से पद रिक्त रह गए हैं, उन मामलों में आयोग प्रतीक्षा सूची जारी कर रिक्त पदों को भरा जाए। आयोग में नए अभ्यर्थी के ज्वाइन करने के बाद अभ्यर्थी उनसे मिलकर अपनी समस्या बताएंगे।
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