विकास पाठक, वाराणसीवाराणसी समेत पूर्वांचल के जिलों, खासकर गंगा किनारे के ग्रामीण इलाकों में कोरोना के कारण दहशत है। शवों से श्मशान घाट पटे हुए हैं। गाजीपुर, बलिया से लेकर बिहार की सीमा तक गंगा में शव बहते मिल रहे हैं। इन इलाकों के घरों में बुखार-खांसी सहित अन्य लक्षण वाले मरीज बड़ी संख्या में मिल रहे हैं। लेकिन आरोप है कि न तो जांच हो रही है और न ही लोग सतर्क हैं।
सरकार जो भी दावा करे, लेकिन हकीकत यही है कि बड़ी संख्या में मौतों के बाद भी स्वास्थ्य विभाग की टीम गांवों में नहीं पहुंच रही है। दुकानों पर दवाओं की किल्लत है। इन सबके बीच झोलाझाप डॉक्टरों की दुकानें चल निकली हैं।
घर-घर लोग बीमार, न जांच और न इलाजवाराणसी के शहरी इलाकों में कोरोना संक्रमण की चेन एक महीने बाद टूटी है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में संक्रमण को रोकने की चुनौती है। गांवों में कोई घर ऐसा नहीं जहां कोरोना के लक्षण वाले एक-दो लोग न मिल जाएं। जांच और इलाज की व्यवस्था न होने से बड़ी संख्या में महिलाओं और युवाओं की जान जा रही है।
ग्रामीण इलाके के गौरा उपरवार, चंद्रावती, कैथी, सरसौल, बलुआ और रामपुर श्मशान घाटों पर रोज शवों को जलाने के लिए कतार लगने के साथ लकड़ियों की किल्लत है। ग्रामीण इलाकों में पोलियो अभियान की तर्ज पर घर-घर जांच और दवाओं की किट वितरण के लिए आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को मैदान में उतारने का प्रशासन दावा कर रहा है, लेकिन सुविधाओं का लाभ न मिलने वालों की संख्या ज्यादा है।
बलिया में दूसरी लहर ने मचाई तबाहीसंक्रमण की दूसरी लहर ने बलिया में तबाही मचाई है। केवरा, छोटकी सेरिया, बेउर समेत दर्जनों गांवों में रोज ही पांच-दस लोगों की जान जा रही है। बांसडीह तहसील के छोटकी सेरिया गांव निवासी घनश्याम तिवारी का पूरा परिवार दो दिन में ही उजड़ गया। पहले घनश्याम तिवारी की मौत हुई। इसके बाद पत्नी कुंती और 32 साल के बेटे उज्जवल ने भी दम तोड़ दिया।
रोजाना 150 अंतिम संस्कारतिखमपुर गांव के शैलेंद्र पांडेय बताते हैं कि स्थिति भयावह है। सड़कों पर लोग नहीं, सिर्फ शवयात्री ही दिख रहे हैं। पंचरुखिया श्मशान घाट पर जहां सामान्य दिनों में दस-बीस शव पहुंचते रहे, वहां रोजाना 150 तक शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है। महाबीर गंगा नदी घाट समेत अन्य श्मशान घाटों पर रोज अंतिम संस्कार के लिए जाए जाने वाले शवों की संख्या सात से आठ सौ तक पहुंच रही है।
गाजीपुर में कोरोना बेकाबूगाजीपुर जिले के सौरम ग्राम पंचायत में कोरोना के लक्षण वाले 16 लोगों की मौतों ने गांव को झकझोर दिया है। घरों में चूल्हे नहीं जल रहे हैं। गंगा किनारे बैकुंठधाम के संचालक का कहना है कि ऐसा नजारा उन्होंने कभी नहीं देखा था। यहां सामान्य दिनों में दस-पंद्रह शव आते रहे। महामारी के प्रकोप के चलते रोज दो सौ से ज्यादा शव अंतिम संस्कार के लिए आ रहे हैं। उधर, गांवों में लकड़ी के अभाव में जल प्रवाह किए जाने से गंगा में शव बहते दिख रहे हैं। यहां मंगलवार को ही करीब सौ शवों को प्रशासन ने निकलवाकर गड्ढे में दफन कराया।
भदोही में भी तेज संक्रमणभदोही के ग्रामीण इलाकों में जान बचाने को दवाएं और ऑक्सिजन नहीं मिल रही है। बेरवा, पहाड़परु, जोगिनका, महाराजगंज, तिलंगा जैसे इलाकों में संक्रमण का प्रकोप ज्यादा ही है। श्मशान घाटों पर शवों की लाइन से अंतिम संस्कार के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। डिप्टी सीएमओ अमित कुमार दुबे ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में हुई मौत का आंकड़ा तो नहीं दे सकते, लेकिन अब डोर टू डोर टेस्टिंग व दवाइयां वितरित किए जाने से स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है।
सोनभद्र के श्मशान शवों से पटेसोनभद्र जिले में 2700 की आबादी वाले म्योरपुर गांव को ही लें तो यहां एक हफ्ते में दस लोगों की मौत होने से लोग भयभीत हैं। गांव के संजय कुमार बताते हैं कि बुखार से पीड़ित लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। ऐसे में इलाज के लिए सरकारी अस्पताल में जाने पर कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट मांगी जा रही है। इलाज के अभाव में लगातार लोग दम तोड़ रहे हैं। श्मशान घाटों पर रोजाना बड़ी संख्या में शव पहुंच रहे हैं।
राबर्ट्सगंज के नजदीक स्थित हिंदुआरी श्मशान घाट, जिसका इस्तेमाल इक्का-दुक्का शवों को जलाने के लिए किया जाता था वहां रोजना दर्जनों शव अंतिम संस्कार के लिए लाए जा रहे हैं। इसी तरह चोपन, ओबारा रेणुकूट द्धुदी व घोरावल इलाके के श्मशान घाटों पर भी शवों की कतारें देखने को मिल रही हैं। सबसे ज्यादा मौतें दुद्धी तहसील क्षेत्र में हो रही है।
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