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अपर निजी सचिव (एपीएस) के ढाई सौ पदों पर भर्ती अटकी हुई है, जबकि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) भर्ती के लिए इन पदों का अधियाचन महीनों पहले मिल चुका है। सिर्फ यही नहीं, आठ साल पहले शुरू हुई एपीएस-2013 की भर्ती भी आयोग अब तक पूरी नहीं कर सका है। पुरानी भर्ती फंसी है और नई भर्ती शुरू नहीं हो सकी है, जिसका सबसे अधिक नुकसान उन अभ्यर्थियों को हो रहा है जो नई भर्ती परीक्षा में शामिल होने के लिए ओवरएज हो रहे हैं।यूपीपीएससी ने एपीएस की नई भर्ती शुरू करने के लिए शासन को पाठ्यक्रम संशोधन का प्रस्ताव भेजा था, जिसे अभी तक मंजूरी मिलने का इंतजार है। अभ्यर्थियों का कहना है कि प्रस्ताव भेजे महीनों बीत चुके हैं, लेकिन आयोग और शासन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा। अभ्यर्थी एपीएस-2013 की अधूरी पड़ी भर्ती को लेकर भी सवाल उठा रहे हैं, जिसके तहत 176 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। इन पदों पर भर्ती के लिए लिखित परीक्षा और शॉर्टहैंड परीक्षा आयोजित की जा चुकी है, लेकिन नियमावली से जुड़े एक विवाद के कारण कंप्यूटर परीक्षा नहीं कराई जा सकी।एपीएस के 176 पदों पर आठ साल पुरानी भर्ती फंसी हुई है। तमाम अभ्यर्थी ओवरएज हो रहे हैं। अगर एपीएस-2013 में उनका चयन नहीं हुआ तो ओवरएज होने के कारण वे एपीएस की नई भर्ती से भी वंचित रह जाएंगे, जबकि आयोग के पास ढाई सौ पदों का अधियाचन महीनों से पड़ा रहा है। अभ्यर्थियों का कहना है कि आयोग ने वर्ष 2017 और 2018 के कैलेंडर में भी एपीएस भर्ती को शामिल किया था, लेकिन परीक्षा नहीं कराई। ऐसे में ओवरएज होने के कारण भर्ती से वंचित होने वाले वाले अभ्यर्थियों की संख्या भी हर साल बढ़ती जा रही है।
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अपर निजी सचिव (एपीएस) के ढाई सौ पदों पर भर्ती अटकी हुई है, जबकि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) भर्ती के लिए इन पदों का अधियाचन महीनों पहले मिल चुका है। सिर्फ यही नहीं, आठ साल पहले शुरू हुई एपीएस-2013 की भर्ती भी आयोग अब तक पूरी नहीं कर सका है। पुरानी भर्ती फंसी है और नई भर्ती शुरू नहीं हो सकी है, जिसका सबसे अधिक नुकसान उन अभ्यर्थियों को हो रहा है जो नई भर्ती परीक्षा में शामिल होने के लिए ओवरएज हो रहे हैं।
यूपीपीएससी ने एपीएस की नई भर्ती शुरू करने के लिए शासन को पाठ्यक्रम संशोधन का प्रस्ताव भेजा था, जिसे अभी तक मंजूरी मिलने का इंतजार है। अभ्यर्थियों का कहना है कि प्रस्ताव भेजे महीनों बीत चुके हैं, लेकिन आयोग और शासन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा। अभ्यर्थी एपीएस-2013 की अधूरी पड़ी भर्ती को लेकर भी सवाल उठा रहे हैं, जिसके तहत 176 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। इन पदों पर भर्ती के लिए लिखित परीक्षा और शॉर्टहैंड परीक्षा आयोजित की जा चुकी है, लेकिन नियमावली से जुड़े एक विवाद के कारण कंप्यूटर परीक्षा नहीं कराई जा सकी।
एपीएस के 176 पदों पर आठ साल पुरानी भर्ती फंसी हुई है। तमाम अभ्यर्थी ओवरएज हो रहे हैं। अगर एपीएस-2013 में उनका चयन नहीं हुआ तो ओवरएज होने के कारण वे एपीएस की नई भर्ती से भी वंचित रह जाएंगे, जबकि आयोग के पास ढाई सौ पदों का अधियाचन महीनों से पड़ा रहा है। अभ्यर्थियों का कहना है कि आयोग ने वर्ष 2017 और 2018 के कैलेंडर में भी एपीएस भर्ती को शामिल किया था, लेकिन परीक्षा नहीं कराई। ऐसे में ओवरएज होने के कारण भर्ती से वंचित होने वाले वाले अभ्यर्थियों की संख्या भी हर साल बढ़ती जा रही है।
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