हाइलाइट्स:अलीगढ़ के दीनदयाल अस्पताल में 16 साल के बच्चे ने पिता को कराया था भर्तीइलाज के दौरान पिता की हुई मौत, अस्पताल प्रशासन ने नाबालिग को शव देने से किया इनकारकाफी प्रयास के बाद भी नहीं मिला शव तो लौटा नाबालिग10 दिनों के बाद एक शख्स की मदद से मिला शव, फिर हुआ दाह संस्कारअलीगढ़कोरोना काल में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। यहां एक 16 साल के बेटे को अपने पिता के शव के लिए दस दिनों तक इंतजार करना पड़ा। बच्चे को उसके पिता का शव सिर्फ इसलिए नहीं दिया गया क्योंकि वह नाबालिग है। बेटे ने डॉक्टरों से अनुरोध किया कि उसके पिता और वह अकेले ही रहते थे। उनका इस दुनिया में और कोई नहीं है। लेकिन तमाम गिड़गिड़ाने पर भी अस्पताल प्रशासन ने बच्चे को उसके पिता की लाश नहीं दी। आखिर पुलिस के हस्तक्षेप के बाद उसे पिता का शव मिल सका।लड़के ने बताया कि उसके पिता की तबीयत खराब होने पर वह 21 अप्रैल को उन्हें अस्पताल लेकर आया। उन्हें अस्पताल में भर्ती किया। दो दिनों बाद 23 अप्रैल को उनकी मौत हो गई। उसे पिता के मरने की सूचना मिली तो वह टूट गया क्योंकि उसका इस दुनिया में पिता के अलावा कोई नहीं है।डॉक्टरों से गिड़गिड़ाया लेकिन किसी ने नहीं सुनीलड़के ने बताया कि वह इंतजार करने लगा कि उसके पिता का शव उसे दिया जाएगा। काफी इंतजार के बाद भी उसे शव नहीं मिला। वह डॉक्टरों के पास गया तो उसे कहा गया कि किसी बड़े परिजन को बुलाया। उसने उन्हें बताया कि उन लोगों को और कोई नहीं है तो डॉक्टरों ने शव देने से इनकार कर दिया।मकान मालिक ने भी घर से निकालालड़के ने बताया कि वह परेशान होकर अपने मकान मालिक के पास गया। वहां उन्होंने उसकी मदद का झूठ बोला। अस्पताल से लौटकर कहा कि उसके पिता का दाह संस्कार कर दिया गया है। उसके बाद उन्होंने उसे घर से भी निकाल दिया। उन्होंने कहा कि वह उसे किराया नहीं दे सकता है इसलिए घर किराए पर नहीं देंगे।3 मई को ऐसे निकाला गया शवबेघर, बच्चा सड़कों पर घूमता रहा। वह परेशान था। उसे खिरनी गेट के पास रहने वाले महेश मिश्रा ने देखा। उन्होंने उसकी मदद के लिए हाथ बढ़ाया और उसे अपनी वर्कशॉप में काम पर रख लिया। महेश मिश्रा ने सासनीगेट पुलिस से संपर्क किया, जिन्होंने 3 मई को बच्चे के पिता का शव अस्पताल से निकलवाया।एनजीओ की मदद से हुआ दाह संस्कारबच्चे के पास दाह संस्कार के रुपये भी नहीं थे इसलिए एक एनजीओ की मदद से शव का अंतिम संस्कार किया गया। अलीगढ़ के सीएमओ बीपी कल्याणी ने अस्पताल की ओर से लापरवाही स्वीकार की। उन्होंने कहा कि 10 दिन तक शव मॉर्चरी में रखा था। अस्पताल प्रशासन ने पुलिस तक की सूचना नहीं दी। यह बहुत बड़ी लापरवाही है।सीएमएस को किया गया निलंबितसीएमओ ने कहा कि इस मामले की जांच एसडीएम कर रहे हैं। रिपोर्ट आने के बाद आरोपियों पर कार्रवाई की जाएगी। दीनदयाल अस्पताल के सीएमएस डॉ. एबी सिंह को निलंबित कर दिया गया है। हालांकि उन्होंने आरोपों को खारिज किया है।प्रतीकात्मक चित्र
Nationalism Always Empower People
More Stories
Lucknow की ‘लेडी डॉन’ ने आईएएस की पत्नी बनकर महिलाओं से ठगी की, 1.5 करोड़ रुपये हड़पे
Rishikesh में “अमृत कल्प” आयुर्वेद महोत्सव में 1500 चिकित्सकों ने मिलकर बनाया विश्व कीर्तिमान, जानें इस ऐतिहासिक आयोजन के बारे में
Jhansi पुलिस और एसओजी की जबरदस्त कार्रवाई: अपहृत नर्सिंग छात्रा नोएडा से सकुशल बरामद