कानपुरकानपुर में कोरोना की दूसरी लहर के सामने स्वास्थ्य विभाग ने घुटने टेक दिए हैं। अस्पतालों में बेड और ऑक्सिजन नहीं है। कोरोना की जांच कराने वाले मरीजों की रिपोर्ट आने में एक हफ्ते से ज्यादा का वक्त लग रहा है। वहीं, शहर में ऐसे भी हजारों लोग हैं, जिन्होने कोरोना जांच कराई और 8 दिन बीत जाने के बाद भी कोरोना की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट नहीं आई है। जांच कराने वाले मरीजों को एक हफ्ते तक पता नहीं चल पाता है कि वे कोरोना पॉजिटिव है या नहीं। डॉक्टर आरटी-पीसीआर रिपोर्ट देखे बिना उपचार नहीं करते है, तब तक पेशेंट हालत और ज्यादा बिगड़ जाती है। कोरोना रिपोर्ट नहीं आने पर मरीज मेडिकल स्टोर लेकर दवा अंदाजे से लेते हैं। स्वास्थ्य विभाग की नाकामी का खामियाजा संक्रमितों को भुगतना पड़ रहा है। आरटी-पीसीआर रिपोर्ट नहीं आना या फिर देर से आना संक्रमितों की घटती हुई संख्या दिखाना तो नहीं है। कोरोना जांच की रिपोर्ट नहीं होने की वजह से कई जिंदगियां घरों में ऑक्सिजन के सहारे सांसें भर रही हैं।कोरोना रिपोर्ट के जरिए आकड़ों से खेलसंक्रमित मरीजों की संख्या कम दिखाने के लिए आकड़ों से खेल किया जा रहा है। यदि किसी शख्स ने कोरोना जांच के लिए सैंपल दिया तो उसके अलावा किसी को नहीं जानकारी नहीं हो पाती है कि रिपोर्ट आई कि नहीं आई। जिसकी कोरोना रिपोर्ट नहीं आती है, वह दोबारा जांच करा लेता है। नेगेटिव आने पर आकड़ा जारी कर दिया जाता है और पॉजिटिव आने पर रोक लिया जाता है या फिर आगे पीछे कर आकड़ों को जारी कर दिया जाता है। इस तरह से भ्रमित करने का खेल किया जा रहा है।शहर में तमाम ऐसे लोग हैं, जिन्होने कोरोना जांच कराई थी, लेकिन 8 दिन बीत जाने के बाद भी उनकी रिपोर्ट नहीं आई है। लोगों ने शहर के अलग-अलग स्वास्थ्य केंद्रों में सैंपल दिए थे। वहीं, बाद में सैंपल देने वालें मरीजों की रिपोर्ट आ गई है।कोविड लैब के कर्मचारी हैं संक्रमितजीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरबी कमल का कहना है कि कोविड लैब के प्रभारी और कर्मचारी कोरोना संक्रमित हैं, इसलिए दूसरे स्टाफ से जांचें कराई जा रही हैं, इसलिए समय पर जांच और डाटा फीड का काम प्रभावित है। प्रतिदिन 3 हजार सैंपल की रिपोर्ट जारी की जा रही है, जबकि पांच हजार से अधिक सैंपल टेस्ट के लिए आ रहे हैं।
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