सुमित शर्मा, कानपुरकुख्यात अपराधी विकास दुबे की मौत के बाद बिकरू गांव में 25 साल बाद लोकतंत्र बाहाल हुआ है। बिकरू को ढाई दशक बाद निर्वाचित महिला प्रधान मिली है। गांव में देश की आजादी जैसा माहौल है, लोग जश्न मना रहे हैं। विकास दुबे ने 25 साल तक लोकतंत्र को अपनी कोठी की चौखट से बंधक बनाकर रखा था। गांव में विकास दुबे की मर्जी से निर्विरोध ग्राम प्रधान चुने जाते थे। किसी कि हिम्मत नहीं थी कि विकास दुबे के प्रत्याशी के विरोध में नामांकन करा दे।विकास दुबे एनकाउंटर के पहली बार ऐसा हुआ है कि बिकरू गांव से ग्राम प्रधान के लिए प्रत्याशियों ने नामांकन किया था। बिकरू में 25 साल बाद गांव में प्रत्याशियों ने खुल कर प्रचार प्रसार किया था। गांव में होर्डिंग और पोस्टर दिखे थे। यह नाजारा कुछ इस तरह का था कि जिस प्रकार देश की आजादी के बाद पहला चुनाव था। रविवार को हुई काउंटिंग में बिकरू गांव की मधु ने अपने विरोधी बिंद कुमार को 54 वोटों से हरा दिया। मधु को 381 वोट मिले हैं और बिंद कुमार को 327 वोट मिले हैं। मधु और बिंद कुमार के बीच कांटे की टक्कर थी।पहले लोकतंत्र की चाभी विकास के हाथ में थी, लेकिन अब निर्वाचित प्रत्याशी के हाथ में गांव के विकास की चाभी है। बिकरू गांव की नवनिर्वाचित प्रधान मधु देवी का कहना है कि 25 साल बाद गांव ने अपना प्रधान चुना है। पहले विकास के हाथ में सत्ता की चाभी थी, लेकिन एक निर्वाचित प्रधान के हाथ में गांव के विकास की चाभी है। मुझे पूरा यकीन है कि गांव के विकास में मुझे ग्रामीणों का पूरा समर्थन मिलेगा।विकास दुबे ने 8 पुलिस कर्मियों की बेरहमी से की थी हत्यादुर्दांत अपराधी विकास दुबे ने बीते 2 जुलाई की रात अपने गुर्गों के साथ मिलकर आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी थी। इस हत्याकांड के बाद यूपी एसटीएफ ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर विकास दुबे समेत उसके 6 साथियों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। विकास दुबे की मौत के बाद ही बिकरू गांव में लोकतंत्र एक बार फिर से ‘जिंदा’ हो गया था। पंचायत चुनाव 2021 बिकरू गांव के लिए नया सबेरा लेकर आया है।अनुसूचितजाति जनजाति के खाते में गई थी सीटपंचायत चुनाव 2021 में बिकरू गांव में ग्राम प्रधान की सीट अनुसूचित जाति जनजाति के खाते में गई थी। बिकरू ग्रामसभा में डिब्बानिवादा मजरा आता है। गांव की आबादी लगभग 800 थे। बिकरू गांव में 7 दावेदारों और मजरा डिब्बानिवादा से 3 दावेदारों ने नामांकन किया था।25 वर्षों में कौन-कौन बना प्रधानहिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का जैसे-जैसे कद बढ़ता गया। उसकी जड़ें मजबूत होती चली गईं। विकास जिसको चाहता था, उसको ग्राम प्रधान बनाता था। 1995 में विकास दुबे पहली बार ग्राम प्रधान चुना गया था। चुनाव जीतने के बाद लोकतंत्र की चाभी उसके हाथ लग गई। सन् 2000 में अनुसूचित जाति की सीट होने पर विकास ने गांव की गायत्री देवी को प्रत्याशी बनाया था। गायत्री देवी चुनाव जीत कर प्रधान बन गई। 2005 में जनरल सीट होने पर विकास के छोटे भाई दीपक की पत्नी अंजली को निर्विरोध प्रधान चुना गया। सन् 2010 में बैकवर्ड सीट होने पर विकास ने रजनीश कुशवाहा को मैदान में उतारा था। रजनीश कुशवाहा ग्राम प्रधान चुना गया। 2015 में अंजली दुबे दोबारा निर्विरोध ग्राम प्रधान चुनी गई थी। प्रधान कोई भी बने लेकिन उसकी चाभी विकास के हाथों में रहती थी।
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