नोएडाउत्तर प्रदेश में लखनऊ के बाद सबसे ज्यादा वीआईपी लोगों के घर व रिश्तेदार नोएडा में रहते हैं। कोरोना कहर के बीच मची जान बचाने की इस जंग में शहर के अस्पतालों पर वीआईपी लोगों के परिवार व रिश्तेदारों को भर्ती करने का दबाव इस कदर बढ़ गया है कि आम जरुरतमंदों को दो-दो दिन की धक्के खाने के बाद भी बेड नहीं मिल पा रहे है। हर रोज ऐसे केस आ रहे हैं जहां आम लोग सुबह से शाम तक बेड के लिए भटकते दम तोड़ रहे हैं। वहीं माइल्ड इंफेक्शन व सामान्य हालत वाले लोग शहर के अस्पतालों में बेड घेरे हुए हैं।बता दें कि जिला प्रशासन के अनुसार पिछले दो दिन में 300 से ज्यादा ऐसे बेड खाली कराए गए हैं जिन पर माइल्ड कोरोना इंफेक्शन व सामान्य स्थिति वाले मरीज भर्ती थे। जानकारी के अनुसार इनमें तमाम लोग किसी न किसी सिफारिश पर भर्ती हुए थे।बेड न मिल पाने का बयां कर रहे दर्दकई अस्पतालों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हम लोग भी क्या करें, सुबह से शाम तक तमाम वीआईपी अपने मरीजों को भर्ती कराने का दबाव बनाए रहते हैं। शहर के वॉट्सऐप ग्रुप से लेकर सोशल मीडिया पर सुबह से शाम तक आम लोग अस्पतालों में बेड न मिलने का अपना दर्द बयां करते रहते हैं।’मॉनिटरिंग की जरूरत’नोएडा के जैसा वीआईपी कल्चर प्रदेश के दूसरे शहरों में नहीं है। इसलिए इस समस्या के समाधान के लिए प्रशासन को लोकल स्तर पर ही अपना नियम बनाना होगा और फिर उसी के अनुसार अस्पतालों की मॉनिरिंग करनी होगी।ठीक हालत वालों की अस्पताल से हो रहे छुट्टीजिलाधिकारी सुहास एलवाई का कहना है कि यह वीआईपी कल्चर को कंट्रोल करने के लिए ही हम दो दिन से अस्पतालों में ऐसे मरीजों से बेड खाली करा रहे हैं, जिनकी हालत ठीक है और घर पर उनका इलाज हो सकता है। जहां तक सीएम के निर्देश का सवाल है इसे लागू कराने का प्रयास जारी है।अस्पतालवालों को दिए गए यह निर्देशअस्पतालों को इसके बारे में निर्देशित कर दिया गया है। हमारा प्रयास है कि हम एक संयुक्त पोर्टल पर इस संपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराएं। साथ ही अस्पताल अपने गेट पर भी इसकी जानकारी चस्पा करें।
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