मयंक श्रीवास्तव, अयोध्याअयोध्या नगरी में 500 वर्षों के बाद पहली बार राम जन्मभूमि में विराजमान भगवान श्री रामलला जन्मोत्सव पर सोने का मुकुट को धारण किया है। यह मुकुट विशेष रूप से भगवान श्रीराम विवाह के जन्मोत्सव के लिए भक्तों की ओर से समर्पित किया गया था।बुधवार को रामनवमी पर भगवान श्रीराम का जन्म कर्क लग्न में दोपहर 12 बजे हुआ था, तभी से भगवान राम का जन्मोत्सव चैत्र की नवमी तिथि को दोपहर 12 बजे मनाया जाता है। जन्मोत्सव के दौरान चारों भाइयों सहित सोने का मुकुट धारण कराया गया। 1992 से लेकर अब तक रामलला चांदी के मुकुट में सोने की पॉलिश का मुकुट धारण करते रहे हैं, लेकिन अब रामलला के साथ चारों भाइयों को शुद्ध सोने का मुकुट धारण कराया गया है। यह मुकुट राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को किसी भक्त ने गोपनीय दान था। वहीं, श्री रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सतेंद्र दास का कहना है कि ट्रस्ट को किसी भक्त ने रामलला को पहनने के लिए सोने का मुकुट अर्पित किया है। भगवान राम को चारों भाइयों सहित यह सोने का मुकुट राम जन्मोत्सव के दिन नए वस्त्र पहना कर धारण करा दिया गया है। आचार्य सतेंद्र दास का कहना है कि कोरोना संकट की घड़ी में भी रामलला का जन्मोत्सव वैसे ही मनाया गया। जैसे पहले मनाते रहे हैं। पूजा अर्चना, भोग में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। राम जन्मोत्सव में भगवान राम को तीन तरह की पंजीरी का प्रसाद भोग लगाया जाता है। पंचामृत से रामलला का स्नान कराया जाता है। इसके बाद पेड़ा , फल, फलाहारी पकौड़ी से भगवान का भोग लगाया गया। भगवान को सरयू जल से स्नान कराया गया, उसके बाद इत्र का लेप भगवान के बाल रूप विग्रह पर लाया गया, फिर भगवान को नवीन वस्त्र धारण कराया गया। नए वस्त्र के साथ भगवान राम चारों भाइयों सहित सोने का मुकुट धारण किया। इसके बाद जन्म की अन्य वैदिक प्रक्रिया की गई। भगवान को पकवान का भोग और केसर युक्त खीर का भोग लगाया गया है। इस बार राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने विशेष तरह का पैकेट छपवाया है. जिसमें भोग का प्रसाद लोगों के यहां तक पहुंचाया जाएगा।
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