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सुमित शर्मा, कानपुरकानपुर में कोरोना संक्रमण बेकाबू हो गया है। इसका अंदाजा आप संक्रमितों की मौत के आकड़ों से लगा सकते है। एक दिन में संक्रमण की चपेट में आने से 36 लोगों को अपनी जान गवांनी पड़ी है। कानपुर में संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार भैरवघाट और भगवतदास घाट के विद्युत शवदाह गृह में किया जा रहा है। विद्युत शवदाह गृह की भट्ठियां दिन-रात धधक रही हैं। संक्रमितों के शवों को दिन-रात भट्ठियां में जलाया जा रहा है। संक्रमित शवों के परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए 5 से 7 घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है।एक दिन में भैरवघाट विद्युत शवदाह गृह में 34 शवों का अंतिम संस्कार किया गया। क्षमता से अधिक शव आने पर पहली बाद विद्युत शवदाह गृह परिसर में 17 शवों को लकड़ियों से अंतिम संस्कार किया गया। बीते सोमवार सुबह लगभग 03 बजे भगवतदास घाट पर शव का अंतिम संस्कार करते वक्त इलेक्ट्रानिक भट्ठी के गेट में लगी चेन टूट गई थी। जिसकी वजह से इलेक्ट्रानिक भट्ठी खराब हो गई, उस वक्त भट्ठी का तापमान 600 डिग्री था। सोमवार सुबह 11 बजे तक भट्ठी को ठंडा किया गया। देर शाम तक भट्ठी की मरम्मत के काम को पूरा किया गया। इसके बाद संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार किया गया।बीते रविवार को आए शवों का सोमवार सुबह तक हुआ अंतिम संस्कारभैरवघाट विद्युत शवदाह गृह में दो इलेक्ट्रानिक भट्ठियां लगी हैं, जिनमें संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। बीते रविवार को आए शवों कों भैरवघाट की विद्युत शवदाह गृह की दोनों भट्ठियों में सोमवार सुबह 5 बजे तक अंतिम संस्कार किया गया।भैरवघाट विद्युत शवदाह गृह में तीन शिफ्टों में कर्मचारी रहते हैं। पहली शिफ्ट सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक, दूसरी शिफ्ट दो बजे से रात 10 बजे तक और तीसरी शिफ्ट रात 10 बजे होती है। तीसरी शिफ्ट के कर्मचारी सभी शवों को जलाने के बाद ही जाते हैं।विद्युत शवदाह गृह में एक शव को जलाने में लगते हैं दो घंटेविद्युत शवदाह गृह में संक्रमित शवों की लाइन लगी है। इलेक्ट्रानिक भट्ठी में एक शव को जलाने में लगभग 2 से सवा दो घंटे का समय लगता है। इसके साथ ही इलेक्ट्रानिक भट्ठी को बीच-बीच में ठंडा भी करना पड़ता है। जिसकी वजह से शवों को जलाने के लिए भट्ठियां दिन-रात धधक रही है।अंतिम संस्कार कराने के लिए 5 से 7 घंटे का करना पड़ रहा इंतजारसोमवार दोपहर तक एक बार फिर से संक्रमित शवों का अंबार लग गया। सोमवार तक देर शाम तक एंबुलेंस से शवों के पहुंचने का सिलसिला चलता रहा। शवों की संख्या को देखते हुए पहली बार भैरवघाट विद्युत शवदाह गृह परिसर में पीछे की तरफ लकड़ियों से अंतिम संस्कार कराया गया।
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