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प्रतीकात्मक तस्वीर।
– फोटो : Social media
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कोरोना संक्रमण से गंभीर मरीजों के लिए संजीवनी साबित हो रहा इंजेक्शन रेमडेसिविर का संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। जिले में दो हजार रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग है, पर आपूर्ति शनिवार को सिर्फ सौ की हुई। संक्रमितों की जान बचाने के लिए तीमारदार स्टाकिस्टों के यहां घंटों धूप में खड़े रहते हैं। चार सौ गंभीर मरीजों को पहली डोज के लिए दो-दो इंजेक्शन कब और कैसे मिलेंगे, इसकी कोई ठोस जानकारी देने वाला नहीं है। थोक दवा विक्रेताओं के यहां कंपनियों से करीब सौ रेमडेसिविर इंजेक्शन की दूसरी खेप शनिवार को पहुंची। संक्रमितों के तीमारदार स्टाकिस्टों से गिड़गिड़ाते रहे। देर रात तक करीब 70 मरीजों के लिए इंजेक्शन दिए गए। इनमें कुछ को पहली डोज में दो तथा कुछ को दूसरी डोज के लिए एक-एक इंजेक्शन लिए। एसआरएन अस्पताल में भर्ती मरीजों की बढ़ी मुश्किलजिले के ही नहीं आसपास के कई जिलों के कोविड संक्रमित एसआरएन अस्पताल में भर्ती हैं। एसआरएन में ड्यूटी कर रहे डॉक्टर बाहर से इंजेक्शन खरीदने का पर्चा लिखते नहीं और स्टाकिस्ट बिना पर्चे के इंजेक्शन देने से साफ मना कर रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि शासनादेश के तहत वह मजबूर हैं। वहीं दुकानदारों का कहना है कि बिना पर्चे के इंजेक्शन देने पर कालाबाजारी का आरोप लगता है। प्रशासन ने भी आधार, कोविड रिपोर्ट और अस्पताल के नाम संग मरीजों का विवरण और पर्चा लेने के बाद ही इंजेक्शन की बिक्री करने का निर्देश दिया है। शासन और प्रशासन के निर्देशों का अनुपालन करते हुए रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। कड़ी निगरानी की जा रही है ताकी इंजेक्शन की कालाबाजारी न हो। -गोविंद लाल गुप्ता, औषधि निरीक्षकथोक दवा विक्रेता एमआरपी पर नहीं न्यूनतम मूल्य पर जरूरतमंदों को रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध करा रहे हैं। सभी को स्टॉक आने पर इंजेक्शन अब सोमवार को दिए जाएंगे।- अनिल दुबे अध्यक्ष इलाहाबाद केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन
विस्तार
कोरोना संक्रमण से गंभीर मरीजों के लिए संजीवनी साबित हो रहा इंजेक्शन रेमडेसिविर का संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। जिले में दो हजार रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग है, पर आपूर्ति शनिवार को सिर्फ सौ की हुई। संक्रमितों की जान बचाने के लिए तीमारदार स्टाकिस्टों के यहां घंटों धूप में खड़े रहते हैं। चार सौ गंभीर मरीजों को पहली डोज के लिए दो-दो इंजेक्शन कब और कैसे मिलेंगे, इसकी कोई ठोस जानकारी देने वाला नहीं है।
थोक दवा विक्रेताओं के यहां कंपनियों से करीब सौ रेमडेसिविर इंजेक्शन की दूसरी खेप शनिवार को पहुंची। संक्रमितों के तीमारदार स्टाकिस्टों से गिड़गिड़ाते रहे। देर रात तक करीब 70 मरीजों के लिए इंजेक्शन दिए गए। इनमें कुछ को पहली डोज में दो तथा कुछ को दूसरी डोज के लिए एक-एक इंजेक्शन लिए।
एसआरएन अस्पताल में भर्ती मरीजों की बढ़ी मुश्किल
जिले के ही नहीं आसपास के कई जिलों के कोविड संक्रमित एसआरएन अस्पताल में भर्ती हैं। एसआरएन में ड्यूटी कर रहे डॉक्टर बाहर से इंजेक्शन खरीदने का पर्चा लिखते नहीं और स्टाकिस्ट बिना पर्चे के इंजेक्शन देने से साफ मना कर रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि शासनादेश के तहत वह मजबूर हैं। वहीं दुकानदारों का कहना है कि बिना पर्चे के इंजेक्शन देने पर कालाबाजारी का आरोप लगता है। प्रशासन ने भी आधार, कोविड रिपोर्ट और अस्पताल के नाम संग मरीजों का विवरण और पर्चा लेने के बाद ही इंजेक्शन की बिक्री करने का निर्देश दिया है।
शासन और प्रशासन के निर्देशों का अनुपालन करते हुए रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। कड़ी निगरानी की जा रही है ताकी इंजेक्शन की कालाबाजारी न हो। -गोविंद लाल गुप्ता, औषधि निरीक्षक
थोक दवा विक्रेता एमआरपी पर नहीं न्यूनतम मूल्य पर जरूरतमंदों को रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध करा रहे हैं। सभी को स्टॉक आने पर इंजेक्शन अब सोमवार को दिए जाएंगे।- अनिल दुबे अध्यक्ष इलाहाबाद केमिस्ट एंड
ड्रगिस्ट एसोसिएशन
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