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पंचायत चुनावों की प्रक्रिया परवान चढ़ने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध शराब की तस्करी और जहरीली शराब से होने वाली मौतों का सिलसिला तेज हो गया है। ग्राम पंचायतों में विकास के लिए बढ़ता पैसा और प्रधान पद की प्रतिष्ठा को देखकर प्रत्याशी अपनी जीत पक्की करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।पंचायत चुनाव की घोषणा के बाद से प्रतापगढ़ और बदायूं में जहरीली शराब से एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। दोनों स्थानों पर प्रधान पद के दावेदारों ने यह शराब बंटवाई थी। चुनाव की घोषणा से पहले प्रयागराज, बदायूं, अयोध्या व बुलंदशहर में जहरीली शराब से मौत हो चुकी है। कई जिलों में बड़ी मात्रा में अवैध शराब जब्त होना दिखाता है कि गांवों में वोटरो को रिझाने के लिए दारू, मुर्गे और पैसे के दौर खूब चल रहा हैं। पंचायत चुनावों के दौरान गांवों में कच्ची दारू बनाने का भी कारोबार बढ़ गया है।जाति और पैसों पर भी मतदाता का झुकावगांवों में जमीनी हकीकत जानी, तो जाति के साथ शराब, दावत और पैसों का लालच भी हावी दिखा। प्रत्याशियों के साथ शराब कारोबारियों ने भी धंधा चमकाने के लिए तैयारियां पहले से शुरू कर दी थीं। सोनभद्र के विसुंधरी गांव के चौराहे पर लोगों से घिरे बैठे राजकरन सिंह कहते हैं, यहां मार्च से ही पानी की समस्या शुरू हो जाती है, टैंकर मंगवाने पड़ते हैं, शौचालय व आवास की भी दिक्कत है। प्रत्याशी इन चीजों का लालच भी देते हैं, लेकिन चुनावी मौसम के डेढ़-दो महीने में दारू, मुर्गा और पैसे बांटने का असर सबसे ज्यादा रहता है।रसगुल्ले से लेकर गुलाब जामुन तक नाव में जहां शराब-कबाब की दावतें चल रही हैं, वहीं अमरोहा में मतदाताओं को बांटने के लिए लाए गए रसगुल्ले और गुलाब जामुन जब्त हो रहे हैं। रुखालू पंचायत में प्रधान के दावेदार से एक क्विंटल गुलाब जामुन और हुसैनपुर मालीखेड़ा 400 डिब्बे रसगुल्ले जब्त किए हैं।10 दिन में जब्त हुई 77 हजार लीटर अवैध शराबपंचायत चुनावों की सरगर्मी को भांपते हुए उत्तर प्रदेश आबकारी विभाग ने 22 मार्च से 31 मार्च तक विशेष अभियान चलाकर 77,735 लीटर अवैध शराब जब्त करते हुए 772 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया। विभाग ने अवैध शराब की तस्करी रोकने के लिए एक कंट्रोल रूम बनाते हुए टोल फ्री नंबर और व्हाट्सएप नंबर जारी किया है। जहरीली शराब से की मौत के बाद चेती प्रतापगढ़ पुलिस ने 2 अप्रैल को बड़ी कार्रवाई करते हुए 50,000 लीटर अवैध शराब का जखीरा जब्त किया। इसकी कीमत 10 करोड़ रुपये से अधिक है। प्रतापगढ़ में रविवार को भी 70 लााख की शराब पकड़ी गई।
विसुंधरी के ही शंकर सिंह चौहान कहते हैं, पंचायत का चुनाव लड़ना, लोहे के चने चबाने जैसा है। कौन कितना पैसा खर्च करता है, इसमें आगे निकलने की होड़ होती है। जनता भी इसका लाभ उठाती है। हम कई बार से देख रहे हैं कि ज्यादातर प्रधानी के चुनाव मुर्गा और दारू पर ही चले जाते हैं। चुनाव लड़ने वाला ज्यादा दिमागदार होता है, वो हमारी कमजोरी को पकड़ लेता है, जो कमजोरी होती है उससे काम चला लेता है।ऐसा हाल अधिकतर ग्राम पंचायत में मिल जाएगा, जहां प्रत्याशी वादों के साथ दारू और मुर्गे की पार्टियों का इंतजाम करने में लग गए हैं। हालांकि, पिछली बार राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रधान और क्षेत्र पंचायत (बीडीसी) सदस्य के चुनाव खर्च की सीमा 75,000 और जिला पंचायत सदस्य की खर्च सीमा 1,50,000 रखी थी।कच्ची शराब के धंधे में तेजी…पंचायतों में थोक के भाव शराब खरीद कर रखने में प्रत्याशियों को डर रहता है, इसलिए गांव के लोगों को नकद पैसे देकर शराब खरीदने की सलाह भी दी जाती है। गांवों में इन दिनों कच्ची शराब का धंधा भी खूब शुरू हो जाता है। इसी का परिणाम है कि जहरीली शराब से होने वाली मौतों में बाढ़ आ गई है।दारू सबकी वोट किसी एक को…प्रतापगढ़ की शहाबपुर ग्राम पंचायत के पूर्व प्रधान प्रभाकर सिंह कहते हैं, दारु पीने वाला व्यक्ति सभी दावेदारों या उम्मीदवारों से शराब लेता है लेकिन वोट उसी को देता है, जिसे देना पहले से तय कर लिया है। जो व्यक्ति दारु और पैसे बांटता है वो पैसे कमाने के लिए चुनाव लड़ रहा है। चुनावों में शराब के चलन के खिलाफ अभियान की जरुरत है। महिलाओं को जाग्रत करने की कोशिश करनी चाहिए। ये काम महिलाएं ही कर पाएंगी, क्योंकि इससे सबसे अधिक नुकसान उन्हीं का होता है। प्रभाकर सिंह की पंचायत को अच्छे कार्यों के लिए कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है, जो एक आदर्श ग्राम पंचायत है।गांवों में पहुंचने लगे गाड़ियों के काफिले…त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के पदों का चुनाव तो जिला पंचायत सदस्यों और क्षेत्र पंचायत सदस्यों के चुनाव के बाद होता है। लेकिन नेता अपने समर्थकों के समर्थन में अपने काफिलों के साथ गांवों और कस्बों में घूमने लगे हैं। सोनभद्र के उम्भा गांव में जिला पंचायत के चुनाव के लिए अपनी पत्नी के समर्थन में प्रचार करने पहुंचे बीजेपी नेता भूपेन्द्र प्रताप सिंह कहते हैं, हम अपने समर्थकों को अधिक से अधिक जितवाना चाहते हैं।
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पंचायत चुनावों की प्रक्रिया परवान चढ़ने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध शराब की तस्करी और जहरीली शराब से होने वाली मौतों का सिलसिला तेज हो गया है। ग्राम पंचायतों में विकास के लिए बढ़ता पैसा और प्रधान पद की प्रतिष्ठा को देखकर प्रत्याशी अपनी जीत पक्की करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।
पंचायत चुनाव की घोषणा के बाद से प्रतापगढ़ और बदायूं में जहरीली शराब से एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। दोनों स्थानों पर प्रधान पद के दावेदारों ने यह शराब बंटवाई थी। चुनाव की घोषणा से पहले प्रयागराज, बदायूं, अयोध्या व बुलंदशहर में जहरीली शराब से मौत हो चुकी है। कई जिलों में बड़ी मात्रा में अवैध शराब जब्त होना दिखाता है कि गांवों में वोटरो को रिझाने के लिए दारू, मुर्गे और पैसे के दौर खूब चल रहा हैं। पंचायत चुनावों के दौरान गांवों में कच्ची दारू बनाने का भी कारोबार बढ़ गया है।
जाति और पैसों पर भी मतदाता का झुकाव
गांवों में जमीनी हकीकत जानी, तो जाति के साथ शराब, दावत और पैसों का लालच भी हावी दिखा। प्रत्याशियों के साथ शराब कारोबारियों ने भी धंधा चमकाने के लिए तैयारियां पहले से शुरू कर दी थीं। सोनभद्र के विसुंधरी गांव के चौराहे पर लोगों से घिरे बैठे राजकरन सिंह कहते हैं, यहां मार्च से ही पानी की समस्या शुरू हो जाती है, टैंकर मंगवाने पड़ते हैं, शौचालय व आवास की भी दिक्कत है। प्रत्याशी इन चीजों का लालच भी देते हैं, लेकिन चुनावी मौसम के डेढ़-दो महीने में दारू, मुर्गा और पैसे बांटने का असर सबसे ज्यादा रहता है।
रसगुल्ले से लेकर गुलाब जामुन तक
नाव में जहां शराब-कबाब की दावतें चल रही हैं, वहीं अमरोहा में मतदाताओं को बांटने के लिए लाए गए रसगुल्ले और गुलाब जामुन जब्त हो रहे हैं। रुखालू पंचायत में प्रधान के दावेदार से एक क्विंटल गुलाब जामुन और हुसैनपुर मालीखेड़ा 400 डिब्बे रसगुल्ले जब्त किए हैं।
10 दिन में जब्त हुई 77 हजार लीटर अवैध शराब
पंचायत चुनावों की सरगर्मी को भांपते हुए उत्तर प्रदेश आबकारी विभाग ने 22 मार्च से 31 मार्च तक विशेष अभियान चलाकर 77,735 लीटर अवैध शराब जब्त करते हुए 772 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया। विभाग ने अवैध शराब की तस्करी रोकने के लिए एक कंट्रोल रूम बनाते हुए टोल फ्री नंबर और व्हाट्सएप नंबर जारी किया है। जहरीली शराब से की मौत के बाद चेती प्रतापगढ़ पुलिस ने 2 अप्रैल को बड़ी कार्रवाई करते हुए 50,000 लीटर अवैध शराब का जखीरा जब्त किया। इसकी कीमत 10 करोड़ रुपये से अधिक है। प्रतापगढ़ में रविवार को भी 70 लााख की शराब पकड़ी गई।
लोगों की कमजोरी का फायदा उठाते हैं दावेदार
पंचायत चुनाव।
– फोटो : amar ujala
विसुंधरी के ही शंकर सिंह चौहान कहते हैं, पंचायत का चुनाव लड़ना, लोहे के चने चबाने जैसा है। कौन कितना पैसा खर्च करता है, इसमें आगे निकलने की होड़ होती है। जनता भी इसका लाभ उठाती है। हम कई बार से देख रहे हैं कि ज्यादातर प्रधानी के चुनाव मुर्गा और दारू पर ही चले जाते हैं। चुनाव लड़ने वाला ज्यादा दिमागदार होता है, वो हमारी कमजोरी को पकड़ लेता है, जो कमजोरी होती है उससे काम चला लेता है।ऐसा हाल अधिकतर ग्राम पंचायत में मिल जाएगा, जहां प्रत्याशी वादों के साथ दारू और मुर्गे की पार्टियों का इंतजाम करने में लग गए हैं। हालांकि, पिछली बार राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रधान और क्षेत्र पंचायत (बीडीसी) सदस्य के चुनाव खर्च की सीमा 75,000 और जिला पंचायत सदस्य की खर्च सीमा 1,50,000 रखी थी।कच्ची शराब के धंधे में तेजी…पंचायतों में थोक के भाव शराब खरीद कर रखने में प्रत्याशियों को डर रहता है, इसलिए गांव के लोगों को नकद पैसे देकर शराब खरीदने की सलाह भी दी जाती है। गांवों में इन दिनों कच्ची शराब का धंधा भी खूब शुरू हो जाता है। इसी का परिणाम है कि जहरीली शराब से होने वाली मौतों में बाढ़ आ गई है।दारू सबकी वोट किसी एक को…प्रतापगढ़ की शहाबपुर ग्राम पंचायत के पूर्व प्रधान प्रभाकर सिंह कहते हैं, दारु पीने वाला व्यक्ति सभी दावेदारों या उम्मीदवारों से शराब लेता है लेकिन वोट उसी को देता है, जिसे देना पहले से तय कर लिया है। जो व्यक्ति दारु और पैसे बांटता है वो पैसे कमाने के लिए चुनाव लड़ रहा है। चुनावों में शराब के चलन के खिलाफ अभियान की जरुरत है। महिलाओं को जाग्रत करने की कोशिश करनी चाहिए। ये काम महिलाएं ही कर पाएंगी, क्योंकि इससे सबसे अधिक नुकसान उन्हीं का होता है। प्रभाकर सिंह की पंचायत को अच्छे कार्यों के लिए कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है, जो एक आदर्श ग्राम पंचायत है।गांवों में पहुंचने लगे गाड़ियों के काफिले…त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के पदों का चुनाव तो जिला पंचायत सदस्यों और क्षेत्र पंचायत सदस्यों के चुनाव के बाद होता है। लेकिन नेता अपने समर्थकों के समर्थन में अपने काफिलों के साथ गांवों और कस्बों में घूमने लगे हैं। सोनभद्र के उम्भा गांव में जिला पंचायत के चुनाव के लिए अपनी पत्नी के समर्थन में प्रचार करने पहुंचे बीजेपी नेता भूपेन्द्र प्रताप सिंह कहते हैं, हम अपने समर्थकों को अधिक से अधिक जितवाना चाहते हैं।
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लोगों की कमजोरी का फायदा उठाते हैं दावेदार
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