हाइलाइट्स:एनजीटी के आदेश के चलते बैन हैं 15 साल से अधिक पुराने वाहननोएडा की सड़कें और सोसायटियों में खड़े हैं वाहनकई लग्जरी गाड़ियां भी हो रहीं कबाड़, सोसायटीज भी परेशानअम्बरीश त्रिपाठी, नोएडाएनजीटी के आदेश के अनुपालन में परिवहन विभाग की ओर से 15 साल से अधिक के वाहनों के संचालन पर रोक है। इसके चलते यूपी में नोएडा के सेक्टरों में अच्छी खासी हालत में होने के बावजूद कई लग्जरी कारें कबाड़ बनी हुई हैं। ये कारें अब सेक्टर की साफ-सफाई में भी रोड़ा बन रही हैं।इन कारों के नीचे जमा कूड़ा लंबे समय तक नहीं हटता। वहीं, पुलिस की कार्रवाई के बाद लाई गई कारें भी कई जगह डंप की गई हैं। इससे प्राधिकरण के स्वच्छता अभियान पर भी असर पड़ रहा है।रात में अराजकों के छिपने का बना ठिकानाइस समय 15 साल से अधिक की पुरानी कारें बड़ी संख्या में कबाड़ बनी हैं। ऐसी कारें जिस जगह पर पार्क होती हैं, वहां पर साफ सफाई करने में समस्या होने के साथ-साथ सुरक्षा भी प्रभावित होती है।रात के समय ऐसी कारों में आराजक तत्वों के छिपने का ठिकाना भी बन सकती हैं। एनजीटी के आदेश के तहत एनसीआर क्षेत्र में 15 साल की समय सीमा तय करने से ऐसी गाड़ियों की संख्या बढ़ रही है।नोएडा में आसपास इलाकों में डंप की गई गाड़ियांग्रीन बेल्ट बनी कबाड़ का अड्डावहीं, पुलिस कार्रवाई के बाद सेक्टर के आसपास डंप की गई गाड़ियों से भी समस्या हो रही है। सेक्टर-34 के ग्रीन बेल्ट में काफी दिनों से गाड़ियां डंप की गई हैं। जिसको लेकर वहां की आरडब्ल्यूए की ओर से कई बार हटाने के लिए लिखित में मांग संबंधित विभाग से की है। इसके बावजूद भी उस पर सार्थक कदम न उठाने से सेक्टर की खूबसूरती खो रही है।स्क्रैप पॉलिसी से मिलेगी मददसड़क परिवहन और राजमार्ग की नई स्क्रैपिंग नीति के तहत प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को सड़कों पर से हटाने में मदद मिलेगी। स्क्रैपिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार लोगों को रोड टैक्स में छूट के साथ डिस्काउंट और दूसरी व्यवस्थाएं भी देगी। इसमें रजिस्ट्रेशन की सीमा समाप्त होते ही उनका फिटनेस टेस्ट करना अनिवार्य होगा।एक पैसेंजर वाहन की लाइफ 20 साल और एक कमर्शियल वाहन की समय सीमा 15 साल होगी। वहीं, अगर कोई भी वाहन फिटनेस टेस्ट में फेल हो जाता है, तो इसे एंड-ऑफ-लाइफ माना जाएगा।इस तरह से खड़ी गाड़ियों से लोगों को हो रही परेशानी क्या कहता है RWAराजीव गर्ग (आरडब्ल्यूए अध्यक्ष, सेक्टर- 34) ने बताया कि सेक्टर के अंदर पुरानी गाड़ियों को लोगों ने खड़ी कर रखा है। इसे हटवाने के लिए डीसीपी ट्रैफिक, आरटीओ और प्राधिकारण अधिकारियों से मांग की गई है। इसके बाद भी स्थिति जस की तस है। सेक्टर के लोगों की आरडब्ल्यूए के पास बराबर शिकायतें आती हैं।फोनरवा महासचिव केके जैन ने बताया कि सेक्टर की ग्रीन बेल्ट में पुलिस कार्रवाई के बाद गाड़ियां डंप की गई हैं। जिसको हटाने के लिए कई बार पुलिस के उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा गया है, लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं की गई। फेडरेशन आरडल्यूए, सेक्टर-34 के महासचिव धर्मेंद्र शर्मा ने कहा कि पुलिस की गाड़ियां डंप होने के साथ ही सेक्टर के कई जगहों पर 15 साल से अधिक के ऐसे वाहन खड़े हैं।कई सोसायटियों में भी ऐसे वाहन पार्क हैं। जिससे स्वच्छता अभियान पर असर पड़ रहा है। गाड़ियों पर धूल जमा होने के साथ ही आसपास गंदगी फैली रहती है।कबाड़ बनीं गाड़ियां
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