विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए स्नातक में न्यूनतम 45 प्रतिशत अंक होने की अनिवार्यता को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका पर सुनवाई के दौरान उच्चतर शिक्षा आयोग के अधिवक्ता ने कहा कि न्यूनतम अंकों की अनिवार्यता का आदेश वापस लिया जा चुका है। आयोग के वकील ने कोर्ट से यह जानकारी प्राप्त करने के लिए समय मांगा कि जिन अभ्यर्थियों के आवेदन निरस्त किए जा चुके हैं उनको दुबारा अवसर दिया जाएगा या नहीं। मामले की अगली सुनवाई पांच अप्रैल को होगी। प्रदीप कुमार सोनकर व सात अन्य की याचिकाओं पर न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय सुनवाई कर रहे हैं। याची के अधिवक्ता जिया उद्दीन का कहना था कि 18 जुलाई 2018 की केंद्र सरकार की अधिसूचना के अनुसार अब सहायक प्ेोफेसर नियुक्ति के लिए परास्तानक में 55 प्रतिशत और नेट या पीएचडी की अनिवार्यता कर दी गई है। स्नातक में न्यूनतम अंकों की अर्हता का कोई जिक्र नहीं है। इसलिए नए भर्ती विज्ञापन के तहत स्नातक में न्यूनतम 45 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए। कोर्ट ने इस मामले में आयोग से जवाब मांगा था। जिस पर आयोग के अधिवक्ता ने बताया कि स्नातक में द्वितीय श्रेणी पास होने की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है और अब सिर्फ पास होना जरूरी है।
विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए स्नातक में न्यूनतम 45 प्रतिशत अंक होने की अनिवार्यता को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका पर सुनवाई के दौरान उच्चतर शिक्षा आयोग के अधिवक्ता ने कहा कि न्यूनतम अंकों की अनिवार्यता का आदेश वापस लिया जा चुका है। आयोग के वकील ने कोर्ट से यह जानकारी प्राप्त करने के लिए समय मांगा कि जिन अभ्यर्थियों के आवेदन निरस्त किए जा चुके हैं उनको दुबारा अवसर दिया जाएगा या नहीं। मामले की अगली सुनवाई पांच अप्रैल को होगी। प्रदीप कुमार सोनकर व सात अन्य की याचिकाओं पर न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय सुनवाई कर रहे हैं।
याची के अधिवक्ता जिया उद्दीन का कहना था कि 18 जुलाई 2018 की केंद्र सरकार की अधिसूचना के अनुसार अब सहायक प्ेोफेसर नियुक्ति के लिए परास्तानक में 55 प्रतिशत और नेट या पीएचडी की अनिवार्यता कर दी गई है। स्नातक में न्यूनतम अंकों की अर्हता का कोई जिक्र नहीं है। इसलिए नए भर्ती विज्ञापन के तहत स्नातक में न्यूनतम 45 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए। कोर्ट ने इस मामले में आयोग से जवाब मांगा था। जिस पर आयोग के अधिवक्ता ने बताया कि स्नातक में द्वितीय श्रेणी पास होने की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है और अब सिर्फ पास होना जरूरी है।
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