असगर, सुलतानपुरत्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की अधिसूचना शुक्रवार को जारी हो गई है। आयोग 2015 की आरक्षण सूची के आधार पर निष्पक्ष चुनाव के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन मेनका गांधी के संसदीय क्षेत्र सुलतानपुर में लेखपालों ने 2015 में जिन जातियों के जाति प्रमाण पत्र जारी किए थे, उसको सिरे से अवैध घोषित कर चुनाव आयोग के निष्पक्ष चुनाव के दावों को चुनौती दे डाला है। हालांकि, पूरे मामले में डीएम से शिकायत हुई है और डीएम ने तहसीलदार को जांच के निर्देश दिए हैं।सुलतानपुर तहसील का मामलादरअसल, ये प्रकरण सुलतानपुर तहसील के कूरेभार ब्लाक अंतर्गत आने वाले सैफुल्लागंज गांव के निवासी किसान नेता शकील अहमद से जुड़ा है। शकील का कहना है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में दावेदारी को लेकर उन्होंने 10 मार्च को जाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था। हलका लेखपाल ने लिखा कि जाति गलत है और उनका प्रमाण पत्र जारी करने के बजाय निरस्त कर दिया। शकील के अनुसार, वो कुरैशी जाति के हैं, 15 जुलाई 2015 को उनका तहसील सुलतानपुर से जाति प्रमाण पत्र जारी हो चुका है। जिसका प्रमाण पत्र सं. 490431507446 है। इसके अतिरिक्त उनके सरकारी दस्तावेज अव्वल, दोयम और सोयम में भी उनकी जाति (कुरैशी) का उल्लेख है।UP Panchayat Chunav 2021 Schedule: यूपी पंचायत चुनाव की तारीखों का ऐलान, चार चरणों में होंगे मतदान, 2 मई को आएंगे नतीजे, पढ़ें पूरी डीटेलतहसीलदार बोले-जारी है जांचइस मामले में किसान नेता शकील ने शुक्रवार को डीएम रवीश गुप्ता से मिलकर एक पत्र सौंपा। शकील ने डीएम को अवगत कराया कि लेखपाल चंद्रदेव सिंह मुसहर में पोस्टेड हैं। सैफुल्लागंज में तैनात रहे लेखपाल योगेंद्र श्रीवास्तव को हाई कोर्ट के निर्देश पर हटा दिया गया तो चंद्रदेव ने चार्ज ले लिया। अब दोनों मिलकर ग्रामीणों को सता रहे हैं। इस पर डीएम ने तहसीलदार जितेंद्र गौतम को पूरे मामले की जांच सौंपी है। तहसीलदार ने बताया कि जांच कराई जा रही है। जल्द ही रिपोर्ट डीएम को भेज दी जाएगी।
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