नगर निगम ने देश के पहले ग्रीन म्युनिसिपल बॉन्ड जारी करने की तैयारी कर ली है। ग्रीन म्युनिसिपल बॉन्ड जारी करने के क्रम में निगम ने सभी अनुबंधों पर हस्ताक्षर कर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) की अनुमति हासिल कर बॉंन्ड इश्यू को मुंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के इलेक्ट्रॉनिक बिडिंग प्लेटफॉर्म (ईबीपी) पर शुक्रवार को अपलोड कर दिया । अब 31 मार्च 2021 बिडिंग की तिथि निर्धारित की गई है। बॉंन्ड के जरिए 150 करोड़ रुपए जुटाए जाएंगे।नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने बताया कि नगर निगम ने राज्य सरकार, एसक्रो बैंकर एचडीएफसी बैंक लिमिटेड, मर्चेंट बैंकर एके कैपिटल सर्विस लिमिटेड और एचडीएफसी बैंक लिमिटेड के साथ सभी करार संबंधी कार्रवाई पूरी कर ली हैं। पूरी प्रक्रिया में लीगल काउंसिल एमवी किनी का महत्वपूर्ण योगदान रहा। महापौर आशा शर्मा ने बताया कि बॉन्ड जारी करने की निगम की इस प्रक्रिया से शहर को जल संरक्षण और जल उपलब्धता में मदद मिलेगी। इससे शहर की औद्योगिक इकाइयों को औद्योगिक स्तर के जल की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाएगी। मार्च आखिरी तक नगर निगम म्यूनिसिपल बॉंन्ड जारी करेगा। बॉन्ड के जरिए जुटाई जाने वाली राशि को औद्योगिक क्षेत्र साइट-4 पर खर्च किए जाने की योजना तैयार की गई है। योजना लागू होने के बाद साइट चार को पानी के संकट से निजात मिल जाएगी। साथ ही बॉंन्ड के जरिए मिलने वाले पैसे से शहर के विकास को पंख लगेंगे। सीवरेज शोधन के लिए लगाया जाएगा प्लांट नगर निगम म्युनिसिपल बॉन्ड के जरिए मार्केट से 150 करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी कर रहा है। इस रकम को सीवरेज के शोधन का प्लांट लगाने पर खर्च किया जाएगा। नगर निगम एसटीपी के पानी को शोधित कर इंडस्ट्रीज में सप्लाई करने की योजना बना रहा है। इस योजना के लिए नगर निगम गुजरात की एक फर्म से डीपीआर भी तैयार करा चुका है। योजना के लागू हो जाने से उद्योगों की ग्राउंड वाटर पर निर्भरता खत्म हो जाएगी। जल दोहन पर भी रोक लगेगी। नगर निगम को इस प्रोजेक्ट से आमदनी भी होगी। नगर निगम उद्योगों को पानी की आपूर्ति के बदले यूजर चार्ज लेगा।2019 में लखनऊ, गाजियाबाद निगम को दी थी मंजूरी प्रदेश सरकार की ओर से साल 2019 में लखनऊ और गाजियाबाद नगर निगम को बॉन्ड जारी करने की मंजूरी दी गई थी। इसके बाद सेबी से अधिकृत एजेंसी से क्रेडिट रेटिंग कराई जा चुकी है। निगम अधिकारियों का दावा है कि गाजियाबाद नगर निगम को ए-प्लस क्रेडिट रेटिंग मिली है। किसी भी नगर निगम को बॉन्ड जारी करने से पहले उसकी तीन साल की बैलेंस शीट देखी जाती है। उसमें देखा जाता है कि बीते तीन साल में उसकी आमदनी नेगेटिव तो नहीं रही है।
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