नोएडा4 साल के संघर्ष के बाद अब काम शुरू होने की उम्मीद लगाए बैठे जेपी इंफ्राटेक के होम बायर्स को बुधवार को झटका लगा है। इस मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बायर्स बेहद निराश हैं। उनका कहना है कि हम फिर से उसी जगह खड़े हो गए हैं जहां 2017 में खड़े थे। नए सिरे से बिडिंग और वोटिंग की प्रक्रिया होने के बाद ही अब तय हो पाएगा कि जेपी के अधूरे प्रॉजेक्ट कौन पूरे करेगा।सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जेपी इंफ्राटेक में फंसे 22 हजार बायर्स से संबंधित फैसला जारी कर दिया। करीब 5 महीने से यह फैसला सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व रखा हुआ था। आदेश के मुताबिक, एनसीएलटी के पास रखे जेपी ग्रुप के 750 करोड़ रुपये जेपी इंफ्राटेक के अधूरे प्रॉजेक्ट पूरे करने में इस्तेमाल नहीं किए जा सकते।फिर से होगी बिटिंगजेपी असोसिएट को यह पैसा कैसे मिलेगा। इस पर आगे फैसला लिया जाएगा। साथ ही कोर्ट के आदेश के अनुसार अब फिर से अगले 45 दिन में वोटिंग के माध्यम से यह तय किया जाएगा कि जेपी के अधूरे प्रॉजेक्ट कौन बनाएगा। इसके लिए नए सिरे से बिडिंग होगी, जिसमें एनबीसीसी और सुरक्षा एजेंसी दोनों अपने-अपने प्रस्ताव रखेंगी। फिर वोटिंग के बाद किसी एक एजेंसी को चुना जाएगा। बता दें कि 22 हजार बायर्स ने 2010-11 में जेपी इंफ्राटेक में घर लिए थे। इसके बाद ये प्रॉजेक्ट फंस गए। 2017 से यह केस सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में है। 2क्या कहते हैं बायर्स11 साल से संघर्ष कर रहे बायर अजय कौल का कहना है कि हम लोग फिर से 2017 में जहां थे वहीं खड़े हो गए हैं। बायर उमेश का कहना है कि वोटिंग के माध्यम से नए सिरे से एजेंसी का चयन होना इतना आसान नहीं है। पिछली बार इस प्रक्रिया को सफल होने में ढाई साल लग गए। बायर प्रमोद का कहना है कि जेपी के बायर्स को इस फैसले से बड़ा झटका लगा है। हम सभी को उम्मीद थी अब काम शुरु होगा लेकिन 22 हजार बायर्स फिर से 2017 के स्टेटस पर जाकर खड़े हो गए हैं।
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