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बरेली: सरकारी अस्पताल में भर्ती के लिए कर्मचारियों ने बिछाया जाल, 50 बेरोजगारों से डेढ़ करोड़ की ठगी

हाइलाइट्स:बरेली के 300 बेड के सरकारी अस्पताल में फर्जी भर्ती का जाल बुन डाला सुपरवाइजर, कम्प्यूटर ऑपरेटर, लैब टेक्नीशियन, जेएनएम, वॉर्ड आया और चपरासी के पदों पर नौकरी निकालीपुलिस का दावा, नौकरी के नाम पर बेरोजगारों से ठगी में और भी लोग शामिल हो सकते हैंबरेलीस्वास्थ्य विभाग के तीन कर्मचारियों ने कुछ महीने पहले ही शुरू किए गए बरेली के 300 बेड के सरकारी अस्पताल में फर्जी भर्ती का जाल बुन डाला और नौकरी दिलाने के नाम पर 50 बेरोजगारों से डेढ़ करोड़ रुपये की ठगी कर ली। पैसे देने वाले बेरोजगारों को जब ठगे जाने का अहसास हुआ तो उन्होंने इस मामले में पुलिस की शरण ली। नतीजतन, पुलिस ने तीनों ही कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया। इस प्रकरण से बरेली के स्वास्थ्य विभाग की काफी किरकिरी हुई है। यह मामला शासन तक पहुंचा है और माना जा रहा है कि अब इसमें बड़े स्तर पर जांच बैठाई जाएगी।यह है मामलास्वास्थ्य विभाग ने बरेली शहर में 300 बेड का अस्पताल पिछले साल कोविड अस्पताल के रूप में शुरू किया था। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई भर्ती के लिए विज्ञापन जारी नहीं किया गया था। इसके बावजूद गुपचुप तरीके से अस्पताल में सुपरवाइजर, कम्प्यूटर ऑपरेटर, लैब टेक्नीशियन, जेएनएम, वॉर्ड आया और चपरासी के पदों पर नौकरी के खेल किया जाने लगा। बरेली के पड़ोसी जनपद पीलीभीत के थाना सुनगढ़ी क्षेत्र के सोमेश, महेश कश्यप, आकाश कश्यप समेत करीब 40 लोगों ने एसएसपी से शिकायत की थी कि जिला महिला अस्पताल के बड़े बाबू कुलदीप शर्मा, वॉर्ड ब्वॉय ताहिर उर्फ बाबू और विकास यादव ने उनसे तीन से पांच लाख रुपये लेकर 300 बेड के सरकारी अस्पताल में भर्ती करने का झांसा दिया। इस तरह सबसे करीब डेढ़ करोड़ रुपये वसूला गया। लेकिन नियुक्तिपत्र नहीं दिए जा रहे हैं। एसएसपी के निर्देश पर सीओ सिटी ने सभी भुक्तभोगियों के बयान दर्ज किए और उसके बाद बरेली कोतवाली में स्वास्थ्य विभाग के तीनों आरोपी कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।फरार हो गए थे कर्मचारीमुकदमा दर्ज होने के बाद स्वास्थ्य विभाग के तीनों कर्मचारी फरार हो गए थे। कोतवाली पुलिस ने आरोपी बड़े बाबू कुलदीप शर्मा को दबिश देकर गिरफ्तार किया। वॉर्ड ब्वॉय विकास यादव को पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर स्थित उसकी ससुराल से गिरफ्तार करके लाया गया। तीनों को पुलिस ने जेल भेज दिया है।ऐसे की गई बेरोजगारों से ठगीपुलिस ने तीनों आरोपी स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों से पूछताछ की तो खुलासा हुआ कि 300 बेड के अस्पताल में नौकरी के नाम पर ठगी का पूरा प्लान बड़े बाबू कुलदीप शर्मा और वार्ड ब्वॉय ताहिर उर्फ बॉबी ने ही बनाया था। उन्होंने अस्पताल में निजी तौर पर काम करने वाले आठवीं पास विकास को फर्जी नौकरी के लिए ग्राहकों को फंसाने की जिम्मेदारी दी थी। विकास ने अपने जानने वालों को बताया और फिर कई लोगों से ठगी की। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी और अन्य पदों पर भर्ती के लिए अलग-अलग रकम निर्धारित की गई। किसी से 20 हजार तो किसी से 40 हजार रुपये एडवांस लिए गए और बाकी रकम नौकरी लगने के बाद लेने का झांसा दिया। विकास ने सबसे पहले पीलीभीत के रहने वाले सुरेश कश्यप को अपने झांसे में लिया। उसके बाद जानने वाले अली बख्स और दिनेश मौर्या से भी संपर्क किया। अली बख्स ने अपने परिवार के आठ लोगों की नौकरी के लिए रुपये दे दिए। उसके बाद कई और लोगों को फंसाया गया। आरोपियों ने पूछताछ में भी 18 लोगों के नाम बताए हैं। पुलिस की अब तक की जांच में 28 लोगों से ठगी की पुष्टि हुई है।जिन्हें ठगा उनका मेडिकल भी करायापुलिस पूछताछ में सामने आया है कि जिन लोगों से नौकरी के लिए ठगी की गई, उनके फर्जी मेडिकल भी कराए गए थे। यह मेडिकल ताहिर ने ही सामान्य प्रक्रिया के तहत अस्पताल से करा लिए थे। किसी को यह नहीं बताया गया था कि यह मेडिकल 300 बेड में नौकरी के लिए बनवाए जा रहे हैं। पूछताछ में बताया कि चतुर्थ श्रेणी के पद पर भर्ती के लिए तीन लाख और क्लर्क के पद के लिए पांच लाख रुपये तय किए गए थे। 5 लाख रुपये ठगने पर एक लाख रुपये विकास को दिए जाते और अन्य रुपये कुलदीप और ताहिर अपने पास रख लेते। अब पुलिस ताहिर और कुलदीप के बैंक खातों की भी डिटेल खंगालेगी। पुलिस ठगी की रकम को वापस लाने के लिए कोर्ट में रिपोर्ट पेश करेगी।कई और लोगों की गिरफ्तारी संभवपुलिस यह भी मान रही है कि नौकरी के नाम पर बेरोजगारों से ठगी में और भी लोग शामिल हो सकते हैं, इसलिए पुलिस पूरी पड़ताल में लगी हुई है। एसएसपी रोहित सिंह सजवाण के मुताबिक, पुलिस हर पहलू से जांच कर रही है। जांच में यदि किसी और की संलिप्तता पाई गई तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। वहीं, फिलहाल इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है। उनका कहना है कि पुलिस मामले की जांच कर ही रही है। हालांकि, माना जा रहा है कि इस मामले में विभागीय जांच भी की जा सकती है। मामला बड़ा होने की वजह से शासन तक गया है। वहां से भी उच्चस्तरीय जांच कराने के कयास लगाए जा रहे हैं।