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ब्रज क्षेत्र के मथुरा-वृंदावन में जिस तरह होली की धूम रहती है, उसी से प्रेरित होकर पिछले 200 साल से छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भगवान के संग भक्तों द्वारा होली खेलने की परंपरा निभाई जा रही है। इसकी खासियत यह है कि 40 दिनों तक यह परंपरा निभाई जाती है, जो वसंत पंचमी से शुरू होकर धुलेंडी यानी रंगों के पर्व होली तक लगातार चलती है।
शुरुआती दिनों में मात्र एक रंग वाला अबीर, गुलाल भगवान के चरणों में समर्पित किया जाता है। इसके बाद कुंज एकादशी से यह रंग बढ़ता जाता है। एक से दो, फिर तीन और फिर सारे रंगों से होली खेली जाती है। गोकुल चंद्रमा मंदिर की सेवादार मीना एवं भागवत साहू ने बताया कि बूढ़ापारा में 1820 के आसपास भगवान के परम भक्त पुष्टि मार्गीय संप्रदाय को मानने वाले पुरोहित परिवार ने ब्रज क्षेत्र के कामन गांव में स्थित मूल मंदिर से भगवान श्रीकृष्ण के गोकुल चंद्रमा स्वरूप का प्रतिरूप लाकर प्रतिष्ठापित किया था।
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