केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के किसानों का दिल्ली की सीमाओं पर धरना जारी है। बढ़ती गर्मी और लंबे चलते आंदोलन को देखते हुए किसानों ने बॉर्डर पर अस्थाई मकान बनाने शुरू कर दिए हैं। एक लाख रुपये की लागत से तैयार होने वाले इन अस्थाई घरों में किसानों ने टीवी, फ्रिज और एसी से लेकर तमाम जरुरतों की सुविधाएं जुटा रखी हैं।किसान सोशल आर्मी के संगठन से जुड़े किसानों ने को बताया कि अब तक बॉर्डर पर 25 से ज्यादा घर तैयार कर लिए हैं। अगर सरकार हमारी बातें नहीं मानेगी, तो हम यहां पर करीब 1-2 हजार घर तैयार करेंगे। एक घर को बनाने में 25 से 30 हजार का खर्चा आ रहा है। गर्मियों में भी आंदोलन को सुचारू रूप से चलाए रखने के लिए हम ये तैयार कर रहे हैं।अस्थाई मकान बनाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मकान बनाने की जरूरत इसलिए पड़ रही है क्योंकि गांवों में गेहूं की कटाई शुरु होने वाली है। ऐसे में वहां ट्रैक्टर और ट्रॉली की जरूरत होगी। अब तक हम लोग ट्रॉली में ही गुजर बसर कर रहे थे, लेकिन जब वे गांव चली जाएंगी, तो हम रहेंगे कहां। इस कारण हम किसान भाइयों ने पक्के निर्माण करना शुरू कर दिया है।
फाइबर के घर पांच दिन में कर रहे है तैयार
गर्मी को देखते हुए किसानों ने टिकरी बॉर्डर पर फाइबर ग्लास के घर तैयार किया है। मकान बनाने वाले किसान हिंदुस्तानी ने को बताया कि पक्के मकान की तुलना में ये मकान थोड़े महंगे जरूर हैं, लेकिन टिकाऊ हैं। गर्मी को देखते हुए ये मकान बनाए गए हैं। इसलिए घरों की दीवार और छत फाइबर ग्लास के बनाई गई हैं। इनमें हमने एसी, फ्रिज भी लगवाया है। जल्द ही टीवी भी इनमें लगाएंगे। सभी सुविधा के साथ मकान को तैयार करने में एक लाख का खर्चा आ रहा है। टीवी, फ्रिज और एसी को चलाने के लिए बिजली पास के घरों से किराए पर ले रहे हैं।
गर्मी से बचने के लिए ट्रॉलियों में भी लगाए एसी
प्रदर्शन को लंबा चलता देखते हुए किसानों ने ट्रालियों में भी एसी लगवा लिए हैं। किसानों ने ट्रालियों के ऊपर भी अस्थाई घर तैयार कर लिया है। इस ट्राली में करीब 10 किसानों की सोने की व्यवस्था की गई है। इसमें भी एक छोटा सा एसी लगाया गया है। वहीं ट्रॉली की छत और दीवारें भी फाइबर ग्लास से तैयार की गई हैं। एक ट्राली पर निर्माण का खर्चा करीब 30 से 40 हजार का हुआ है।गौरतलब है कि कृषि कानून के मसले पर किसान संगठनों और भारत सरकार के बीच कई दौर की बातचीत बेनतीजा रही है। सरकार ने किसान संगठनों से कृषि कानूनों को कुछ समय तक टालने की बात कही थी लेकिन किसान संगठन उस पर भी राजी नहीं हुए थे। इसके बाद से ही दोनों पक्षों की तरफ से सख्त रुख अपनाया गया।
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