कोरोना के एक साल हो गए। 24 मार्च 2020 को लॉकडाउन लगा तो ट्रेनों की रफ्तार भी थम गई थी, अभी भी रेलवे 65 फीसदी ट्रेनों का ही संचालन कर रहा है। सालभर बाद भी आधा दर्जन ट्र्रेनों का संचालन नहीं शुरू हो पाया है। वाराणसी-नई दिल्ली के बीच चलने वाली काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस, वाराणसी-लखनऊ के बीच वरुणा एक्सप्रेस, वाराणसी-बरेली के बीच बरेली एक्सप्रेस, वाराणसी-इंदौर के लिए चलने वाली काशी महाकाल एक्सप्रेस सहित अन्य पैसेंजर ट्रेनों के पहिए थमे हैं। लोग एक साल से इन ट्रेनों के संचालन की उम्मीद कर रहे हैं। इसके लिए कई बार रेल मंत्रालय को पत्र भी लिखा गया।लॉकडाउन घोषित हुआ था तो कैंट स्टेशन से चलने वाली सभी ट्रेनें रुक गई थीं, एक मई से श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलीं। रेलवे ने फंसे श्रमिकों, विद्यार्थियों व अन्य लोगों के लिए इनका संचालन शुरू किया था और एक जून 2020 से यात्रियों के लिए स्पेशल ट्रेनें चलीं। बनारस में भी पांच ट्रेनों का संचालन एक जून से शुरू हुआ था।इसमें कैंट स्टेशन से मुंबई के लिए कामायनी एक्सप्रेस, महानगरी एक्सप्रेस, महामना, साबरमती, मंडुवाडीह स्टेशन से शिवगंगा एक्सप्रेस ट्रेनें शामिल थी। इसके बाद अन्य ट्रेनों का संचालन शुरू हुआ था। ट्रेनों में अब भी तकिया, चादर व तौलिया यात्रियों को नहीं मिल रहा है। पका पकाया भोजन भी ट्रेनों में मिलना बंद हो गया था। जनरल टिकट काउंटर भी अब तक बंद है। सिर्फ प्रतापगढ़-वाराणसी एक्सप्रेस का टिकट काउंटर 11 माह बाद फरवरी में खोला गया है। लखनऊ के लिए वरुणा, बरेली एक्सप्रेस महत्वपूर्ण ट्रेन
काशी सहित पूर्वांचल के लोगों के लखनऊ आवाजाही करने के लिए सुबह वरुणा और रात में बरेली एक्सप्रेस सबसे महत्वपूर्ण ट्रेन है। लेकिन ये ट्रेनें साल भर से बंद हैं। काशी से उज्जैन के लिए काशी महाकाल एक्सप्रेस के डेढ़ माह संचालन के बाद ही लॉकडाउन में बंद हुआ तो फिर अब तक नहीं शुरू हो सका। काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस, खजुराहो के लिए लिंक एक्सप्रेस भी एक साल से बंद चल रही है। अहमदाबाद-गोरखपुर ट्रेन भी बंदअनलॉक के दौरान वाराणसी से होकर अहमदाबाद-गोरखपुर के लिए चली ट्रेन संख्या 09089-09090 अहमदाबाद-गोरखपुर एक्सप्रेस अब बंद कर दी गई है। सबसे महत्वपूर्ण ट्रेनें बंद होने से इस रूट के यात्रियों की भी परेशानी बढ़ गई है।
कोरोना के एक साल हो गए। 24 मार्च 2020 को लॉकडाउन लगा तो ट्रेनों की रफ्तार भी थम गई थी, अभी भी रेलवे 65 फीसदी ट्रेनों का ही संचालन कर रहा है। सालभर बाद भी आधा दर्जन ट्र्रेनों का संचालन नहीं शुरू हो पाया है। वाराणसी-नई दिल्ली के बीच चलने वाली काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस, वाराणसी-लखनऊ के बीच वरुणा एक्सप्रेस, वाराणसी-बरेली के बीच बरेली एक्सप्रेस, वाराणसी-इंदौर के लिए चलने वाली काशी महाकाल एक्सप्रेस सहित अन्य पैसेंजर ट्रेनों के पहिए थमे हैं। लोग एक साल से इन ट्रेनों के संचालन की उम्मीद कर रहे हैं। इसके लिए कई बार रेल मंत्रालय को पत्र भी लिखा गया।
लॉकडाउन घोषित हुआ था तो कैंट स्टेशन से चलने वाली सभी ट्रेनें रुक गई थीं, एक मई से श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलीं। रेलवे ने फंसे श्रमिकों, विद्यार्थियों व अन्य लोगों के लिए इनका संचालन शुरू किया था और एक जून 2020 से यात्रियों के लिए स्पेशल ट्रेनें चलीं। बनारस में भी पांच ट्रेनों का संचालन एक जून से शुरू हुआ था।
इसमें कैंट स्टेशन से मुंबई के लिए कामायनी एक्सप्रेस, महानगरी एक्सप्रेस, महामना, साबरमती, मंडुवाडीह स्टेशन से शिवगंगा एक्सप्रेस ट्रेनें शामिल थी। इसके बाद अन्य ट्रेनों का संचालन शुरू हुआ था। ट्रेनों में अब भी तकिया, चादर व तौलिया यात्रियों को नहीं मिल रहा है। पका पकाया भोजन भी ट्रेनों में मिलना बंद हो गया था। जनरल टिकट काउंटर भी अब तक बंद है। सिर्फ प्रतापगढ़-वाराणसी एक्सप्रेस का टिकट काउंटर 11 माह बाद फरवरी में खोला गया है।
लखनऊ के लिए वरुणा, बरेली एक्सप्रेस महत्वपूर्ण ट्रेन
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