कोरोना से बचने के लिए देश में लगातार टीकाकरण कार्यक्रम जारी है। लेकिन देश के कई राज्य ऐसे भी हैं जहां पर वैक्सीन की बर्बादी भी बहुत हो रही है। वैक्सीन की बर्बादी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे राज्यों के पेच कसते हुए कहा कि टीकाकरण की निगरानी बहुत ज्यादा होनी चाहिए, ताकि वैक्सीन की बर्बादी को रोका जा सके। राज्यों को इसके लिए फुल प्रूफ योजना बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा वैक्सीन की बर्बादी तेलंगाना राज्य में हो रही है। इस राज्य में अब तक 17.6 फीसदी वैक्सीन बर्बाद हो गयी। जबकि दूसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश में वैक्सीन की सबसे ज्यादा बर्बादी हुई। आंकड़ों के मुताबिक इस राज्य में भेजी गयी कुल वैक्सीन की 11.6 फीसदी डोज राज्य के लोगों में तय वक्त पर नहीं लग पाई।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों में तीसरे नंबर पर वैक्सीन की बर्बादी में उत्तर प्रदेश का नाम दर्ज है। आंकड़े बताते हैं यहां अब तक 9.4 फीसदी वैक्सीन बर्बाद हो चुकी है। पूरे देश में चौथे नंबर पर वैक्सीन की बर्बादी में कर्नाटक का नाम आता है। यहां अब तक 6.6 फीसदी वैक्सीन खराब हो चुकी है। इसी तरह जम्मू एंड कश्मीर में अब तक 6.6 फीसदी वैक्सीन की बर्बादी हुई है।पूरे देश में हिमाचल प्रदेश में सबसे कम वैक्सीन खराब हुई है। इस राज्य में अब तक 1.4 फीसदी वैक्सीन खराब हुई। जबकि उत्तराखंड में अब तक लगाई जाने वाली कुल वैक्सीन में 1.6 फीसदी वैक्सीन बर्बाद हो गईं। त्रिपुरा में वैक्सीन के खराब होने का प्रतिशत 2.2 फीसदी रहा।दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान में इस तरह खराब हो रही वैक्सीन को लेकर प्रधानमंत्री खफा हैं। मोदी ने ऐसे राज्यों को नसीहत दी है कि इस अभियान के लिए बहुत गंभीर होना ही होगा। मोदी ने कहा कि वैक्सीन को लेकर लगातार मॉनिटरिंग जरूरी है और राज्यों को इस तरफ ध्यान देना चाहिए कि आखिर वैक्सीन की बर्बादी क्यो हो रही है। इसको रोकने के लिए बेहतर तरीका यह है कि रोजाना शाम को बैठक की जाए और उन लोगों को इस अभियान से जोड़ा जाए जो बहुत एक्टिव हैं। इस अभियान में सहयोग करने वाले सभी लोगों को साथ लेकर चलने से ही टीकाकरण न सिर्फ सफल होगा बल्कि कोरोना से जंग जीतने में सफलता मिलेगी।वैक्सीन की बर्बादी में सबसे ज्यादा समस्या तब आती है, जब लोग कोरोना वैक्सीन के लिए नामांकन कराने के बाद भी उसे लगवाने के लिए नहीं पहुंचते हैं। देश के अलग-अलग प्रदेशों के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सभी जिला अस्पतालों से लेकर अन्य चयनित स्वास्थ्य केंद्रों पर वैक्सीन भेजी जाती है। समस्या तब आ जाती है जब लोग लगवाने नहीं आते हैं। ऐसे में कोल्ड चेन स्टोर से भेजी जाने वाली वैक्सीन स्वास्थ्य केंद्रों पर तो पहुंच जाती है, लेकिन वहां पर लगवाने वालों की कमी के चलते उसका इस्तेमाल नहीं हो पाता है और वैक्सीन खराब हो जाती है।विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीन की बर्बादी को रोकने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रेरित किया जाना चाहिए। इसके अलावा जिन लोगों ने वैक्सीन लगवाने के लिए नामांकन किया है या जिन लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए सेंटर पर आना है उसकी सही से निगरानी होनी चाहिए। उनसे एक दिन पहले ही संपर्क किया जाना चाहिए। ताकि लोग वक्त पर आ सकें और उनका टीकाकरण हो सके।
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