पौधरोपण के नाम पर खानपूरी करने और फर्जी वाहन से मिट्टी खुदवाने का मामला प्रधान महालेखाकार कार्यालय की आडिट में पकड़ में आया है। इसमें प्रयागराज और प्रतापगढ़ जिले का नाम भी शामिल है। पौधरोपण के लिए जिन वाहनों के नंबर इन जिलों ने उपलब्ध कराए थे जांच के दौरान वह नंबर मोपेड और स्कूटर के मिले हैं। पीएजी की ओर से संबंधित डीएफओ को पत्र भेजकर जवाब मांगा गया है। पौधरोपण के नाम पर मनमानी की शिकायतें ग्रामीणों की ओर से भी की गईं थीं, लेकिन जिला प्रशासन ने उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया। कुछ की जांच के नाम पर लीपापोती ही की गई।बता दें कि वर्ष 2017, 2018 और 2019 में मार्च माह के मासिक वाउचरों के ऑडिट में 1.07 करोड़ रुपये का यह घपला सामने आया। वन विभाग ने पौधरोपण के लिए गड्ढे खोदने व अन्य संबंधित कामों में जिन जेसीबी और ट्रैक्टर का इस्तेमाल दिखाया, उनके नंबर मोपेड, मोटर साइकिल और स्कूटर के निकले।प्रधान महालेखाकार (पीएजी) की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि पौधरोपण और पौधों की सुरक्षा के लिए गड्ढे व खाई खोदने, मिट्टी का कार्य, पौधों व गोबर का परिवहन, ईंट ढुलाई और पौधों को पानी देने का काम किया गया। बिल वाउचर में बताया गया कि इसके लिए ट्रैक्टर और जेसीबी लगाई गई। ऑडिट में परिवहन विभाग के रिकॉर्ड से जांच में कथित ट्रैक्टर व जेसीबी के नंबर मोटरसाइकिल, जीप, स्कूटर व मोपेड के निकले। इस तरह के फर्जी कुल 662 वाउचर पकड़ में आए। यह फर्जीवाड़ा प्रयागराज, प्रतापगढ़ के अलावा दर्जनभर जनपदों में होने की बात सामने आई है। प्रयागराज और प्रतापगढ़ में तैनात रहे तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारियों को पत्र भेजकर जवाब मांगा गया है। जिस समय का मामला बताया जा रहा है उस समय तैनात रहे डीएफओ का तबादला हो चुका है। 2017 से अब तक लाखों पौधे लगाए जा चुके हैं। हर वर्ष शासन की ओर से जुलाई और अगस्त माह में पौधरोपण अभियान चलाया जाता है। पिछले वर्ष पौधरोपण में जनपद प्रयागराज ने नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए गिनीज बुक आफ वर्ड रिकार्ड में नाम दर्ज कराया था।
पौधरोपण के नाम पर खानपूरी करने और फर्जी वाहन से मिट्टी खुदवाने का मामला प्रधान महालेखाकार कार्यालय की आडिट में पकड़ में आया है। इसमें प्रयागराज और प्रतापगढ़ जिले का नाम भी शामिल है। पौधरोपण के लिए जिन वाहनों के नंबर इन जिलों ने उपलब्ध कराए थे जांच के दौरान वह नंबर मोपेड और स्कूटर के मिले हैं। पीएजी की ओर से संबंधित डीएफओ को पत्र भेजकर जवाब मांगा गया है। पौधरोपण के नाम पर मनमानी की शिकायतें ग्रामीणों की ओर से भी की गईं थीं, लेकिन जिला प्रशासन ने उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया। कुछ की जांच के नाम पर लीपापोती ही की गई।
बता दें कि वर्ष 2017, 2018 और 2019 में मार्च माह के मासिक वाउचरों के ऑडिट में 1.07 करोड़ रुपये का यह घपला सामने आया। वन विभाग ने पौधरोपण के लिए गड्ढे खोदने व अन्य संबंधित कामों में जिन जेसीबी और ट्रैक्टर का इस्तेमाल दिखाया, उनके नंबर मोपेड, मोटर साइकिल और स्कूटर के निकले।
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