हाइलाइट्स:नोएडा अथॉरिटी और बिल्डर्स के बीच विवाद के चलते करीब 40 हजार फ्लैट्स की रजिस्ट्री पर उम्मीद जगी हैबिल्डर और बायर्स के मुद्दे पर शनिवार को इंदिरा गांधी कला केंद्र में एक महत्वपूर्ण बैठक हुईबैठक में यह प्रस्ताव रखा गया कि कोर्ट के एक आदेश को आधार मान कर बिल्डर बकाया भुगतान शुरू करेंनोएडाब्याज दर को लेकर नोएडा अथॉरिटी और बिल्डर्स के बीच विवाद के चलते 105 प्रॉजेक्ट के करीब 40 हजार फ्लैट्स की रजिस्ट्री के लिए बीच का रास्ता निकलने की उम्मीद जगी है। बिल्डर और बायर्स के मुद्दे पर शनिवार को इंदिरा गांधी कला केंद्र में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक में यह प्रस्ताव रखा गया कि कोर्ट के एक आदेश को आधार मान कर बिल्डर बकाया भुगतान शुरू करें। अथॉरिटी भुगतान के हिसाब से रजिस्ट्री की मंजूरी दे। फिर सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश आए उसके मुताबिक बकाया और भुगतान का हिसाब अथॉरिटी और बिल्डर करेंगे। बैठक में मौजूद मुख्य सचिव आर के तिवारी ने इस पर नोएडा अथॉरिटी की सीईओ को एक हफ्ते में निर्णय लेने के लिए कहा। साथ ही, बिल्डर्स को भी अथॉरिटी के निर्णय पर सामंजस्य बनाने का सुझाव दिया। अपर मुख्य सचिव अरविंद कुमार भी बैठक में शामिल थे।सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा है105 ग्रुप हाउसिंग के प्रॉजेक्ट में नोएडा अथॉरिटी के हिसाब से बिल्डर पर 9800 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है। वहीं बिल्डर पक्ष का यह कहना है कि अथॉरिटी ने चक्रवृद्धि ब्याज लगाया है। नियम के मुताबिक साधारण ब्याज होना चाहिए। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा है। इनमें 43 ग्रुप हाउसिंग के प्रॉजेक्ट पूरे हो चुके हैं। बिल्डर ने कब्जा भी दे दिया है, लेकिन बकाया भुगतान न होने की वजह से अथॉरिटी रजिस्ट्री को हरी झंडी नहीं दे रही है। इसी तरह जो प्रॉजेक्ट बन रहे हैं उनकी भी रजिस्ट्री का तय नहीं है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला कब तक आए यह तय नहीं है। तब तक फ्लैट खरीदार फंसे रहेंगे। इस लिहाज से बीच के रास्ते पर मंथन शुरू होना भी इन फ्लैट खरीदारों के लिए उम्मीद है। पिछले दिनों अथॉरिटी ने सर्वे भी करवाया था।सीपी और डीएम ने भी दिए सुझावबैठक में पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह व डीएम सुहास एलवाई भी शामिल हुए। सीपी ने फ्लैट खरीदारों के फ्लैट बेचने को लेकर नियम स्पष्ट किए जाने का सुझाव दिया। इसके साथ ही स्ट्रे डॉग्स के शेल्टर बनाने व फायर उपकरण बढ़ाए जाने की जरूरत बताई। रेरा को और मजबूत किए जाने की सिफारिश की। डीएम सुहास एलवाई ने रेरा की आरसी प्रक्रिया के दायरे को बढ़ाए जाने की सिफारिश की। ग्राम समाज की जमीन पर खेल मैदान विकसित किए जाएं। डीएम ने बताया कि यह दोनों प्रस्ताव शासन में भेजे जा चुके हैं।बिल्डर्स की ओर से उठाई गई मांगें- ओखला बर्ड सैंक्चुरी के कारण एनजीटी की ओर से लगाए गए बैन के दायरे में आने वाले प्रॉजेक्ट में जीरो पीरियड का लाभ दिया जाए।- अथॉरिटी की तरफ से आवंटित जमीन पर निर्माण में अगर विवाद होता है तो पूरे प्रॉजेक्ट के क्षेत्रफल पर टाइम एक्सटेंशन चार्ज न लगाया जाए। जो प्रॉजेक्ट बन चुका है उसके क्षेत्रफल को इसके दायरे से बाहर निकाला जाए।-5 दिसंबर 2019 को जीरो पीरियड के लिए शासनादेश में, इंटीग्रेटेड टाउनशिप, कमर्शल और व्यवसायिक प्रॉजेक्ट को भी शामिल किया जाए।-फ्लैट के आधार पर रजिस्ट्री करवाई जाएं। ट्रांसफर चार्ज समाप्त किए जाएं।फ्लैट खरीदारों की मांग-जो फ्लैट खरीदार बिल्डर को भुगतान कर चुके हैं और फ्लैट में रह रहे हैं, उनकी रजिस्ट्री करवाई जाए।-प्रॉजेक्ट किसी कारण लेट होने पर बिल्डर्स को जीरो पीरियड सहित कई लाभ दिए जाते हैं। इसी तरफ फ्लैट खरीदार को भी लाभ दिए जाएं।-पार्ट या कंप्ललीट ओसी ग्राउंड पर सुविधाओं को देखकर ही दिया जाए।-पूरे हो चुके प्रॉजेक्ट एओए को हैंडओवर किए जाने की व्यवस्था है, लेकिन कई बिल्डर्स ऐसा नहीं कर रहे हैं। इसके लिए सख्त नियम बनाया जाए।-2016 के पहले के प्रॉजेक्ट में शिकायत के लिए कोई प्लैटफार्म दिया जाए। ये मामले रेरा में भी नहीं जाते हैं।-रेरा की तरफ से जो आरसी जारी होती है उन पर तत्काल कार्रवाई की जाए।सांकेतिक तस्वीर
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