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पार्थिव शरीर के प्रबंधन एवं निस्तारण के लिए प्रोटोकॉल का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज

10 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें केन्द्र को देशभर में वैश्विक महामारी के दौरान और सामान्य दिनों में पार्थिव शरीर के प्रबंधन एवं निस्तारण के लिए राष्ट्रीय प्रोटोकॉल बनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

दिल्ली के एक निवासी ने यह याचिका दायर करते हुए कहा था कि अस्पताल की लापरवाही के कारण उसकी मां का शव किसी अन्य कोविड-19 पीड़ित के परिवार को सौंप दिया गया था।

याचिकाकर्ता ने कहा था कि उनको अपनी मां का अंतिम संस्कार करने के अधिकार से वंचित किया गया, जो कि कोरोना वायरस से संक्रमित भी नहीं थी और ऐसा अस्पताल की ‘‘असंवेदनशील कार्रवाई’’ की वजह से हुआ। न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायामूर्ति आर. एस. रेड्डी की एक पीठ ने याचिका पर सुनवाई की।

पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील मनोज वी. जॉर्ज से कहा, ‘‘ आप स्वत: संज्ञान मामले में हस्तक्षेप कर सकते हैं। आप उचित हस्तक्षेप याचिका दाखिल कर सकते हैं। स्वत: संज्ञान जनहित याचिका में इन मुद्दों को उठाया गया है। हमें एक नई याचिका पर सुनवाई क्यों करनी चाहिए।’’

शीर्ष अदालत ने पिछले साल देश में कोविड-19 रोगियों के शवों के अनुचित तरीके से अंतिम संस्कार करने की खबरों पर स्वत: संज्ञान लिया था। जॉर्ज ने याचिका खारिज करने वाली पीठ से कहा, ‘‘ यह प्रतिकूल याचिका नहीं है। मेरे याचिकाकर्ता की मां का शव बदल गया और उसे अंतिम संस्कार करने का अधिकार भी नहीं मिला। यह किसी के साथ भी हो सकता है।’’