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अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन से जुड़े घटक संगठन भी पूरे प्रदेश में छ फरवरी को चक्का जाम और धरना प्रदर्शन करेंगे। यह आंदोलन किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने, सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने का कानून बनाने तथा केंद्र सरकार के किसान विरोधी और कॉर्पोरेटपरस्त बजट के खिलाफ किया जाएगा।
26 जनवरी को लाल किले में हुई हिंसा इसी का परिणाम थी, जिसकी आड़ में किसान आंदोलन को बदनाम करने की असफल कोशिश इस सरकार ने की है। उन्होंने कहा कि एक ओर तो सरकार किसान विरोधी तीन कानूनों को डेढ़ साल तक स्थगित करने का प्रस्ताव रख रही है, लेकिन दूसरी ओर अपने बजट प्रस्तावों के जरिये ठीक इन्हीं कानूनों को अमल में ला रही है। इस वर्ष के बजट में वर्ष 2019-20 में कृषि क्षेत्र में किये गए वास्तविक खर्च की तुलना में आठ फीसद की और खाद्यान्न सब्सिडी में 41 फीसद की कटौती की गई है।
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