‘हमारे कारोबारी रिश्ते सीमा विवाद से अलग रखिए’, मोदी सरकार के आर्थिक प्रहार से चीन हुआ पस्त] – Lok Shakti

Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

‘हमारे कारोबारी रिश्ते सीमा विवाद से अलग रखिए’, मोदी सरकार के आर्थिक प्रहार से चीन हुआ पस्त]

पिछले वर्ष के गलवान घाटी वाकये के बाद से ही भारत चीन के बीच एक आर्थिक युद्ध देखने को मिल रहा है। भारत ने एक के बाद चीन के खिलाफ ऐसे फैसले लिए, जिसने चीन को बड़ा आर्थिक नुकसान पहुंचाया। भारत ने एक तरफ़ चीन के सैकड़ों Apps बैन कर दिये, तो वहीं चीनी निवेशकों को भारतीय बाज़ार से दूर करने के लिए भी कई सारे नीतिगत बदलाव किए गए। भारत की आर्थिक आक्रामकता के सामने अब घुटने टेकते हुए चीन को कहना पड़ा है कि दोनों देशों को आपसी रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए सीमा तनाव के मुद्दे को द्विपक्षीय रिश्तों से इतर रख कर देखना चाहिए! आसान भाषा में कहा जाये तो भारत-चीन का सीमा विवाद अब चीनी सरकार के लिए गले की फांस बन गया है, और चीन जल्द से जल्द भारत के साथ अपने आर्थिक रिश्तों को बहाल करना चाहता है।

शुक्रवार को चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान के अनुसार “सीमा का मुद्दा भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों से जुड़ा नहीं होना चाहिए। यह पिछले दशकों में दोनों देशों के प्रयासों के माध्यम से सीखा गया एक महत्वपूर्ण सबक है, जिससे हमारे संबंधों को आगे बढ़ाया जा सके।” बता दें कि इससे पहले भारत यह साफ कर चुका है कि सीमा विवाद को द्विपक्षीय रिश्तों से अलग करके नहीं देखा जा सकता। पिछले वर्ष सितंबर में जयशंकर ने एक बयान देते हुए कहा था ““बॉर्डर पर की स्थिति को दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों से अलग करके नहीं देखा जा सकता। चीन जैसा व्यवहार बॉर्डर पर करेगा, उसका असर दोनों देशों के आर्थिक और सांस्कृतिक रिश्तों पर भी पड़ेगा।”

जयशंकर के इस बयान से स्पष्ट हो गया था कि, भारत के मन में चीनी नीति को लेकर अब कोई संशय नहीं है, और बॉर्डर पर चीन जैसा व्यवहार करेगा, उसका असर नई दिल्ली में देखने को मिलेगा। तभी तो जब-जब बॉर्डर पर चीन ने भारत के खिलाफ कोई आक्रामकता दिखाने का प्रयास किया है, तब-तब नई दिल्ली की ओर से भी चीन के खिलाफ बड़े आर्थिक कदम उठाए गए हैं। अब तक भारत खुलकर चीन के खिलाफ कोई भी कदम उठाने से हिचकिचाता था। दशकों से भारत और चीन के बीच बॉर्डर विवाद चलता आ रहा है, जिसे अब तक सुलझाया नहीं जा सका है। चीन इसी का फायदा उठाकर हर साल भारत के इलाकों में घुसपैठ करता था। वर्ष 2017 में भारत-चीन के बीच विवाद तब बढ़ गया था जब डोकलाम में चीनी सेना ने सड़क बनाने का काम शुरू कर दिया था। हालांकि, इस सबके बावजूद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वर्ष 2018 में वुहान में और वर्ष 2019 में चेन्नई में “Informal Summit” का आयोजन किया गया था।

वर्ष 2014 से पहले UPA सरकार के दौरान भी यही हाल रहा था। यूपीए सरकार ने कभी चीन के साथ अपने बॉर्डर को गंभीरता से लिया ही नहीं। वर्ष 2013 में चीन ने दुस्साहस करते हुए भारत की 640 वर्ग किमी ज़मीन हड़प ली थी। उस वक्त के रक्षा मंत्री एंटनी ने संसद में एक बयान देने के अलावा चीन के खिलाफ कोई कार्रवाई करने की सोची भी नहीं। सरकार उस वक्त कुछ नहीं कर पाई। कुछ लोग कांग्रेस और CCP के मजबूत रिश्तों को भी इस बात का कारण मानते हैं कि भारत उस वक्त चीन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाया था।

हालांकि, अब कहानी बदल गयी है। 15 जून को भारत-चीन के बीच गलवान में हुए खूनी संघर्ष के बाद नई दिल्ली ने बड़ा आर्थिक कदम उठाया था। भारत ने तब Tiktok सहित 59 चीनी apps को प्रतिबंधित करने का फैसला लिया था। इसी प्रकार जब 29-30 अगस्त की रात को चीन ने भारत के खिलाफ पैंगोंग में आक्रामकता दिखाने की कोशिश की, तो ना सिर्फ भारत ने सीमा पर pre-emptive एक्शन लिया, बल्कि PubG समेत चीन के और 118 apps पर पाबंदी लगाने का ऐलान कर दिया। इसके अलावा एनर्जी सेक्टर, इनफ्रास्ट्रक्चर, निवेश और रेलवे जैसी महत्वपूर्ण सेक्टर्स से भी चीन को लेकर सफाई अभियान जारी है। भारत सरकार के इन actions से साफ है कि अब भारत बॉर्डर पर तैनात अपने सैनिकों से ठीक पीछे खड़ा है, और चीन ने लद्दाख में उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने का दुस्साहस किया, तो यह लड़ाई सिर्फ बॉर्डर तक सिमट कर नहीं रहेगी, बल्कि नई दिल्ली और बीजिंग के बीच सीधे-सीधे लड़ी जाएगी। इसीलिए अब China बड़ी बेसब्री से भारत सरकार से यह गुजारिश कर रहा है कि वह सीमा विवाद के मुद्दे को परे रख कर China के साथ अपने रिश्तों को सुधारने की नीति अपनाए!