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बुधवार को दोपहर बाद दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में अगस्ता वेस्टलैंड मामले के बिचौलिये क्रिश्चियन मिशेल को पेश किया गया. इसके बाद उन्हें 5 दिन के लिए केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के हिरासत में भेज दिया गया है. इस बीच कोर्ट ने कहा है कि बिचौलिए मिशेल से उनके वकील एक घंटा सुबह और एक घंटा शाम में मिल सकते हैं.
उन्हें मंगलवार देर रात गल्फस्ट्रीम जेट से भारत लाया गया था. ऐसा माना जा रहा है कि क्रिश्चियन मिशेल के आने से कई सारे राज खुल सकते हैं. मिशेल के आने पर भारतीय जांच एजेंसियों की पूछताछ में वह उन नेताओं और नौकरशाहों के नाम उगल सकते हैं जिन्हें 3600 करोड़ रुपए के वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे के लिए कथित रूप से रिश्वत दी गई थी.
इससे रफाल डील पर कांग्रेस के आरोपों का सामना कर रही है मोदी सरकार नये सिरे से कांग्रेस पर आक्रामक हो सकती है. ऐसा हो सकता है कि मोदी सरकार कांग्रेस सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार का पता लगाएगी और चुनाव में इसे भुनाने की कोशिश भी करेगी.
हालांकि बिचौलिए क्रिश्चियन की गिरफ्तारी के बाद से राजनीति प्रारंभ हो गयी है. इस मामले में एक मझे हुए राजनीतिक खिलाड़ी की तरह मिशेल का एक बयान भी मीडिया में चल रहा है. उन्होंने यूएई के अधिकारियों को बताया था कि चूकि वे पिछली सरकार के साथ काम किए थे इसलिए वतज़्मान एनडीए की सरकार उसे फंसा रही है और बार-बार पूवज़् प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं सोनियां गांधी का नाम लेने के लिए दबाव बना रही है.
दरअसल ऐसी संभवाना इसलिए भी व्यक्त की जा रही हैं क्योंकि बीते कुछ समय से राफेल सौदे को लेकर मोदी सरकार जहां बैकफुट पर नजर आ रही है, वहीं कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष सरकार पर हमलावर है. यही वजह है कि मिशेल को भारत लाया जाना मोदी सरकार के लिए किसी अच्छे संकेत से कम नहीं है. हो सकता है कि मोदी सरकार 2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इसे अपना चुनावी हथियार बना ले और कांग्रेस के खिलाफ इसे एक अस्त्र के रूप में इस्तेमाल करे. क्योंकि अगस्ता वेस्टलैंड मामले में इस बिचौलिये की मदद से कई खुलासे हो सकते हैं.
जानकारी के मुताबिक, मिशेल ने कुछ लोगों को इस डील के दौरान घूस दी थी जिसके नाम उसने कोड वडज़् में लिखे थे उसका खुलासा यही कर सकता है. यूएई की सुरक्षा एजेंसियों ने फरवरी 2017 में मिशेल को गिरफ्तार किया था और इसके बाद से ही उसके प्रत्यपज़्ण की कोशिशें चल रही थीं. मिशेल को भारत प्रत्यपिज़्त कराने के लिए भारतीय एजेंसियों केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) एवं प्रवतंज़्न निदेशालय ने यूएई का कई बार दौरा किया. इस दौरान एजेंसियों ने यूएई के अधिकारियों एवं न्यायालय के साथ घोटाले से जुड़े आरोपपत्र, गवाहों के बयान और अन्य साक्ष्य एवं दस्तावेज साझा किए थे.
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