सूरजपुर जिला ईस्ट अंडरवाटर कन्जर्वेषन कैटेगिरी में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम पुरस्कार से सम्मानित – Lok Shakti

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सूरजपुर जिला ईस्ट अंडरवाटर कन्जर्वेषन कैटेगिरी में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम पुरस्कार से सम्मानित

भारत सरकार के जलशक्ति मंत्रालय की ओर से सूरजपुर जिले को जल संरक्षण एवं संवर्धन के क्षेत्र में किये गये कार्यो के लिए देष के सर्वश्रेष्ठ जिलों में प्रथम स्थान मिला हैं। कलेक्टर श्री रणबीर शर्मा एवं जिला पंचायत सीईओ श्री आकाष छिकारा के मार्गदर्षन में यह सामूहिक प्रयास से उपलब्धि प्राप्त हुई हैं। केन्द्र सरकार के जलशक्ति मंत्रालय द्वारा जल स्त्रोतों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए जिले को वर्ष 2019 का नेशनल वाटर अवार्ड प्रदान किया गया। इसमें सूरजपुर जिले को ईस्ट अण्डर वाटर कन्जर्वेशन कैटेगरी पर राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया है। विगत 27 अक्टूबर 2020 को भारत सरकार जल शक्ति मंत्रालय, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग द्वारा पुरस्कार की घोषणा की गई थी। द्वितीय राष्ट्रीय जल पुरस्कार में प्रथम स्थान प्राप्त करने का प्रषस्ति पत्र आज जिला प्रषासन को प्राप्त हुआ हैं।
इस उपलब्धि पर कलेक्टर श्री रणबीर शर्मा ने कहा कि यह हमारे सामूहिक प्रयास का प्रतिफल हैं। इससे हमें और अच्छा कार्य करने की प्रेरणा प्राप्त हुई हैं। आने वाले समय में जल संवर्धन एवं संरक्षण सहित अन्य क्षेत्रों में भी जिले के विकास के लिए बेहतर प्रयास किया जायेगा। कलेक्टर ने पूरी टीम को बधाई दी हैं। जिला पंचायत सीईओ श्री आकाष छिकारा ने इस शानदार उपलब्धि के लिए बधाई देते हुए कहा कि वर्तमान में जल संरक्षण हेतु एनजीजीबी के नरवा परियोजना के अंतर्गत जिले में 64 नालों का विकास किया जा रहा है, जिसमें सिंचाई के लिए जल उपलब्धता बढ़ेगी व जल स्तर में भी वृद्धि होगी।
इन उपलब्धियों पर हुआ है जिले का चयन-
ज्ञात हो कि जिले में जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण कार्य कराए गए हैं जिससे कि सिंचाई व्यवस्था के साथ-साथ लोगांे की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हुई है साथ ही जल के स्तर में भी वृद्धि हुई है। जिले में लगभग  एक लाख 48 हजार 32 हेक्टेयर भूमि पर कृषि की जाती है। विभिन्न विभाग एवं मनरेगा के तहत कुछ नाले के स्ट्रक्चर तैयार कर कार्य संभव किया गया है। मनरेगा के तहत लगभग 5 हजार 665 स्ट्रक्चर तैयार किया गया, जिससे की लगभग 15199.8 हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सिंचित करने की संभावना बढ गई हैं। जिसमंे कुआ, तालाब, बांध इत्यादि के कार्य कराए गए हैं। सिंचाई और जल स्तर में वृद्धि करने हेतु विभिन्न स्ट्रक्चर तैयार किया गया।