पर्यटकों को जशपुर की परंपराओं और संस्कृति की शानदार झलक देखने को मिलती है मेले में, ​जानिए क्या है इतिहास – Lok Shakti

Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

पर्यटकों को जशपुर की परंपराओं और संस्कृति की शानदार झलक देखने को मिलती है मेले में, ​जानिए क्या है इतिहास

जशपुर की कोटेबिरा एब नदी की खूबसूरती पर्यटकों को मन मोह लेती है। वहीं पास में ही एक खूबसूरत पहाड़ी है। दूर से देखने पर यह पहाड़ी अधूरे बांध की तरह दिखाई देती है। स्थानीय कथाओं के अनुसार यह माना जाता है कि एक बार यहां एक देव प्रकट हुए थे और उन्हें यह नदी बहुत पसंद आई। उन्होंने इस नदी की सुन्दरता को बढ़ाने के लिए इस पर एक रात में बांध बनाने का प्रयास किया, लेकिन यह प्रयास पूरा नहीं हो पाया और बांध अधूरा ही रह गया। नदी के पास ही हर वर्ष भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है। इस मेले में पर्यटक जशपुर की परंपराओं और संस्कृति की शानदार झलक देख सकते हैं।

कैलाश गुफा : समरबार संस्कृत महाविद्यालय के पास स्थित कैलाश गुफा बहुत खूबसूरत है। यह महाविद्यालय देश का दूसरा महाविद्यालय है और जंगलों में स्थित है। कैलाश गुफा का निर्माण पहाड़ियों को काटकर बडी ही खूबसूरती के साथ किया गया है। गुफा के पास मीठे पानी की जलधारा है। जहां पर पर्यटक अपनी प्यास बुझा सकते हैं। पर्यटकों में यह गुफा बहुत लोकप्रिय है। इसे देखने के लिए पर्यटक प्रतिदिन यहां आते हैं।

महागिरजा घर कुनकुरी : एशिया का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण चर्च महागिरिजाघर जशपुर में स्थित है। इसका निर्माण 1962 ई. में आरम्भ हुआ था और श्रद्धालुओं के लिए इसे 27 अक्टूबर 1979 ई. को खोला गया था। इस चर्च में लोहे के सात पवित्र चिन्ह भी बने हुए हैं, जो पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं। स्थानीय लोगों में इस चर्च के प्रति बड़ी श्रद्धा है और वह पूजा करने के लिए प्रतिदिन यहां आते हैं। यह चर्च बड़ा खूबसूरत है। इसकी सुन्दरता को निहारने के लिए पर्यटक यहां आते हैं और इसके खूबसूरत दृश्यों को अपने कैमर में कैद करके ले जाते हैं।

दनगरी झरना : जशपुर के जंगलों में स्थित दनगरी झरना बहुत खूबसूरत है। जंगलों की सैर के दौरान पर्यटक इस झरने के खूबसूरत दृश्य देख सकते हैं। यह झरना जशपुर से मात्र दो घंटे की दूरी पर है। पर्यटकों की सुविधा के लिए छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में हवाई अड्डे का निर्माण किया गया है। यहां से पर्यटक बसों व टैक्सियों द्वारा आसानी से 450 किमी दूर जशपुर तक पहुंच सकते हैं।