हमारे समाज में आज भी ऐसे कुछ लोग हैं जो बेटियों को बोझ मानते हैं. हाल ही में मेरठ में नवजात बेटियों से मुंह मोड़कर और उन्हें बेसहारा छोड़कर चले जाने के कई मामले सामने आए. कहीं फूल सी बिटिया को अस्पताल के गेट पर छोड़ गए तो कहीं कपड़े में लपेटकर कूड़े के ढेर में फेंक दिया. समाज की इस भयावह तस्वीर को उजागर करता और रूह को झकझोर देने वाला एक और ऐसा ही मामला गुरुवार को सामने आया. अस्पताल में मां ने बेटी को जन्म दिया तो पिता उस मासूम को गार्ड की गोद में थमाकर फरार हो गया. मां को सेप्टिक हो जाने से तीन सप्ताह से उनका और उनकी बेटी का उपचार अस्पताल का स्टाफ कर रहा है. परिवार वालों से फोन पर बात होती है, लेकिन बच्ची और उसकी मां को लेने के लिए वे तैयार नहीं.
बच्ची की मां ने बताया कि खतौली निवासी सोनवीर उनका पति है और उसने तीन सप्ताह पहले प्रसव पीड़ा होने पर उसे सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया था. सेंटर पर ऑपरेशन की सुविधा नहीं होने पर उसे रेफर कर दिया गया. सोनवीर उसे मेरठ ले आया और हापुड़ रोड स्थित संतोष अस्पताल में भर्ती करा दिया.
मां ने बच्ची को जन्म दिया तो उन्हें सेप्टिक इंफेक्शन हो गया. सोनवीर एक दिन की बच्ची को गार्ड की गोद में थमाकर अस्पताल से गायब हो गया. अस्पताल ने सोनवीर से संपर्क करने की कोशिश की तो उसने बच्ची और उसकी मां को ले जाने से मना कर दिया. उधर, बच्ची की मां ने बताया कि उनके एक बेटी पहले से है. उसे भी उनके पति ने अपनाने से इंकार कर दिया था. चार साल की बड़ी बेटी को मुजफ्फरनगर स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात नर्स ने अपने पास रखा हुआ है. अब नवजात बेटी को भी वही नर्स अपने साथ ले गई. गुरुवार को अस्पताल के स्टाफ बोनिस, उज्जवल वशिष्ठ ने बताया कि अब बच्ची की मां की हालत ठीक है. उन्हें लेने के लिए कोई परिजन नहीं आ रहा है. वहीं, अस्पताल एमडी रविंद्र डागर ने कहा कि अस्पताल को इलाज का खर्च नहीं चाहिए.
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