शादी के बाद से घर पर चूल्हा-चौका के साथ स्वजनों संग घरेलू कामकाज में ही व्यस्त रहने वाली राजनांदगांव जिले के छुईखदान विकासखंड के ग्राम पेंडरवानी की पेमीन साहू कृषि कार्य कर रही हैं। केला और पपीता की खेती से वह आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रहीं हैं। लगन व मेहनत के साथ ही दृढ़ इच्छाशक्ति ने इस महिला को वनांचल में महिलाओं के लिए आदर्श बना दिया है। पेमीन की खेती की सब्जियां अब महाराष्ट्र भी भेजी जा रहीं हैं। वह हर साल दो लाख रुपए की आय अर्जित कर रहीं हैं।
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बिहान से जुडऩे पर पेमीन के आत्मविश्वास में वृद्धि हुई है और आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। उन्होंने बताया कि वे गृहिणी हैं और उनके पास छह एकड़ जमीन है, जिसमें व स्वजनों की मदद से धान की फसल लगाती थीं। साथ ही घर का पूरा कामकाज भी संभालती थीं। इस कारण दिनभर काम करने के बाद भी उन्हें समय नहीं मिल पा रहा था। मां बम्लेश्वरी रिद्धि-सिद्धि स्वसहायता समूह से जुडऩे पर उनमें परिवर्तन आया। उन्होंने उद्यानिकी फसल लेने के लिए समूह से एक लाख 50 हजार रुपये का ऋण लिया और केले एवं पपीते की खेती प्रारंभ की।
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