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छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग अध्यक्ष ने महिलाओं को झूठे मामले प्रस्तुत करने से बचने की दी गई समझाईश

छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ.श्रीमती किरणमयी नायक द्वारा गुरूवार को बिलासपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर जन-सुनवाई की गई। दो दिवसीय सुनवाई के प्रथम दिन में 20 प्रकरण रखे गये थे जिसमें 7 प्रकरणों का निराकरण मौके पर ही किया गया। डॉ.श्रीमती नायक ने महिलाओं को झूठे मामले प्रस्तुत करने से बचने की समझाईश दी। उन्होंने कहा कि कानूनों का दुरूपयोग करने पर उनका लाभ नहीं मिल पाता है।  
प्रार्थना सभा भवन में आयोजित सुनवाई में मुख्य रूप से महिलाओं से मारपीट, मानसिक प्रताड़ना, कार्यस्थल पर प्रताड़ना, दहेज प्रताड़ना, टोनही प्रताड़ना, शारीरिक प्रताड़ना से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की गई। बिलासपुर निवासी एक आवेदिका ने अपने सास ससुर के खिलाफ आयोग के समक्ष शिकायत की थी। उनके सास-ससुर द्वारा उनके पति के साथ-साथ उनके मायके वालों को भी धमकाया जा रहा है। क्योंकि उन्होंने अपने पसंद से विवाह किया था। अनावेदक महिला के ससुर ने सुनवाई में उपस्थित होकर बताया कि उन्होंने अपने बेटे को संपत्ति से वर्ष 2013 में ही बेदखल कर दिया है। फिर भी वे दोनों पति-पत्नी उनके घर में घुसकर अधिकार जमाते हैं। आयोग की अध्यक्ष ने इस प्रकरण को गंभीरता से सुना और इस पर निर्णय लेते हुए प्रकरण को नस्तीबद्ध करने का निर्देश दिया। क्योंकि इस प्रकरण में झूठी शिकायत और दबाव से संबंध बनाने का प्रयास किया गया था।
तखतपुर निवासी एक आवेदिका ने अपनी शिकायत में बताया था कि उनके घर के समीप स्थित मजार में जबरन कब्जा कर लिया गया है, जिसका विरोध करने पर उनके पति से झगड़ा किया गया। इस संबंध में तखतपुर थाने में रिपोर्ट भी नहीं लिखी गई। अतः उनकी जान-माल की सुरक्षा की जाए। अध्यक्ष डॉ.श्रीमती नायक के निर्देश पर दोनों पक्षों के बीच सामाजिक समझौता कराने के लिये आयोग की ओर से वक्फ बोर्ड को पत्र भेजा गया और पूरे मामले की जांच कराकर प्रतिवेदन तीन माह के भीतर प्रस्तुत करने के लिये वक्फ बोर्ड के सचिव को कहा गया है। इसी तरह एक अन्य मामले में आवेदिका ने आयोग के समक्ष गुहार लगाई कि उनके पति उन्हें मानसिक एवं शारीरिक रूप से प्रताड़ित करते हैं।