झारखंड छोड़ सभी 27 राज्यों ने जीएसटी भरपाई के लिए केंद्र सरकार का कर्ज का पहला विकल्प स्वीकार कर लिया है. वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को बयान जारी कर बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने भी राजस्व संग्रह में आयी कमी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार के उधार लेने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है.
केंद्र सरकार कर्ज के मद में अब तक राज्यों को 30 हजार करोड़ रुपये दे चुकी है. अगली बार छत्तीसगढ़ को भी स्पेशल विंडो के तहत 3109 करोड़ रुपये मिलेंगे. गौरतलब है कि कोरोना संकट के कारण राज्यों के राजस्व में 2.35 लाख करोड़ कि कमी आयी है. केंद्र सरकार को जीएसटी मुआवजे के तहत राज्यों को 1.1 लाख करोड़ रुपये देना है, लेकिन कोरोना के कारण टैक्स कलेक्शन न होने के कारण राज्यों को इसका भुगतान नहीं किया गया. जीएसटी मुआवजे के भुगतान के लिए केंद्र ने राज्यों को दो विकल्प दिये थे. पहला – रिजर्व बैंक से सस्ते ब्याज दर पर फंड देने के लिए स्पेशल विंडो और दूसरा – इस साल के 2.35 लाख करोड़ रुपये के पूरे जीएसटी मुआवजे को राज्य रिजर्व बैंक के साथ सलाह मशविरा कर खुद जुटायें. साथ ही पहला विकल्प आजमाने वाले राज्यों की बॉरोइंग लिमिट में अतिरिक्त 0.5 फीसदी की राहत मिलेगी.
शुरुआत में विपक्ष शासित राज्यों ने केंद्र के इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया. लेकिन धीरे-धीरे वे इसे स्वीकार करने लगे. इस तरह इस विकल्प को चुननेवाले राज्यों की संख्या अब 27 हो गयी है. केरल, पंजाब, पश्चिम बंगाल जैसे राज्य पहले ही केंद्र के प्रस्ताव को स्वीकार कर चुके हैं. जबकि, झारखंड ही ऐसा राज्य है, जिसने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया है.
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