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मध्य प्रदेश के मुरैना में जिस कैलारस तहसील को ओडीएफ घोषित किया गया है उसके 12 गांवों में शौचालय का नामो-निशान भी नहीं है. बता दें तहसील के जिन 12 गांवों को ओडीएफ घोषित किया गया है उनमें शौचालय तो दूर इन्हें सरकारी मदद के लिए भी चिन्हित किया गया है. प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी स्वछ भारत योजना में सरकारी कागजों में तो यह सभी गांव ओडीएफ (ओपन डिफेकेशन फ्री) हैं, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है. मुरैना जिले की कैलारस तहसील को एक माह पहले ही जिले के अधिकारियों और प्रभारी मंत्री द्वारा ओडीएफ घोषित किया गया है, लेकिन पड़ताल के बाद पता चला कि यहां के 12 गांवों में से कई गांवों में अभी तक एक भी शौचालय नहीं बना है और जहां बना है वहां उसका काम पूरा नहीं है.
कुछ गांव में शौचालय का निर्माण अधूरा
ऐसे में कैलारस ब्लॉक में खुले में शौच जा रहे इसकी सच्चाई को बयान करने के लिए काफी है. कैलारस ब्लॉक के निरारा , मामचौन सहित एक दर्जन से अधिक गांव ऐसे हैं जिनमे अधिकतर हितग्राहियों के यहां शौचालय का निर्माण नहीं हुआ है और कुछ गांव में शौचालय का निर्माण अधूरा हुआ है और जिन हितग्राहियो के यहां पर शौचालय बनी है उसमें लोग ईंधन भरने का उपयोग कर रहे हैं. ऐसा नहीं है कि सरकार या स्थानीय प्रशासन ने कोई इन गांव को ओडीएफ बनाने में कोई कसर छोड़ी है, लेकिन वास्तविकता में हितग्राही के घर में शौचालय बना ही नहीं है.
शौचालय बनवाने के लिए देने पड़ते हैं पैसे
गांववालों का आरोप है कि शौचालय बनवाने के लिए गांव के सरपंच के द्वारा उनसे दो हजार रुपए लेने की मांग की जाती है. इसके चलते अधिकतर गांव के लोगों ने अपने घरों में शौचालय का निर्माण नहीं कराया है. बता दें कुछ दिनों पहले ही कैलारस ब्लॉक की सभी ग्राम पंचायतो को अधिकारी और प्रभारी मंत्री नारायण कुशवाह के द्वारा को खुले में शौच मुक्त होने का सर्टिफिकेट दिया गया है.
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