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0 रुपये किलो बिक रहे प्याज के कारण पहले से ही आम आदमी परेशान था। इस बीच दिवाली से पहले सरसों तेल की बढ़ी कीमतों ने महंगाई की मार को और बढ़ा दिया है। पंद्रह दिन पहले 120 से 125 रुपये बिक रहा सरसों का तेल अब बाजार में 130 से 135 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। थोक व्यापारी बता रहे हैं कि अभी कीमतों और तेजी आने की संभावना है। पंडरा बाजार समिति के व्यापारी बता रहे हैं कि बाहर से भी माल महंगा आ रहा है।
इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि सरसों का भाव 5500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है। महज आठ दिनों के अंदर 200 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी हुई है। बीते 21 अक्टूबर को इसका भाव 5300 रुपये प्रति क्विंटल था। अपर बाजार के थोक तेल विक्रेता बताते हैं कि सरसों तेल के साथ रिफाइन, मूंगफली और पाम तेल के दामों में भी वृद्धि हुई है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि सरकार के द्वारा विदेश से सोयाबीन और पाम आयात किया जाता था।
मगर कोरोना संक्रमण के कारण इस आयात पर भारी असर पड़ा है। इसके कारण तेल उत्पादन प्रभावित हुआ है। वैसे भी ठंड के दिनों में सरसों तेल के दाम में तीन से पांच रुपये प्रति लीटर का फर्क देखने को मिलता है। इसके साथ माल ढुलाई का भाड़ा बढ़ जाने से भी तेल की कीमतों में तेजी आई है। हालांकि एक महीने के अंदर सरसों तेल के दाम फिर से सामान्य होने की आशा है।
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