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अगर मोदी सरकार ने मार्च में लॉकडाउन नहीं लगाया होता तो इतने लाख लोगों की जान जाती

देश में कोरोना के हालात को लेकर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भले ही लगातार मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हों लेकिन अब एक रिपोर्ट में तथ्य सामने आए हैं कि अगर मार्च में केंद्र सरकार ने लॉकडाउन नहीं लगाया होता तो देश को भारी नुकसान उठाना पड़ता। बता दें कि भारत सरकार की Department of Science & Technology द्वारा गठित एक समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि, सरकार ने सही समय पर(मार्च) में ही लॉकडाउन की घोषणा नहीं की होती तो अगस्त तक ही देशभर में 25 लाख से ज्यादा लोग कोरोना की वजह से मौत के मुंह में चले जाते। अब विपक्ष भले ही मोदी सरकार पर आरोप लगाए कि देश में कोरोना के संभालने में सरकार विफल रही हो, लेकिन सच ये है कि मोदी सरकार ने कोरोना को लेकर जिस तरह से कदम उठाया, उसको लेकर पूरी दुनिया में भारत की वाहवाही हो रही है। बता दें कि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर लॉकडाउन सही टाइम पर नहीं होता तो कोरोना के कुल मामले करोड़ों में होते।

कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, अगर लॉकडाउन ना होने की स्थिति में ही जून तक देश में एक्टिव कोरोना वायरस सिम्टोमैटिक मामलों का आंकड़ा 1.40 करोड़ हो सकता था और फरवरी 2021 तक यह आंकड़ा 2.04 करोड़ को पार कर सकता था। लेकिन समय रहते लॉकडाउन ने न सिर्फ कोरोना के संक्रमण को ज्यादा फैलने रोका बल्कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान भी बच सकी।

इतना ही नहीं लॉकडाउन लगाने की टाइमिंग को लेकर भी रिपोर्ट में बताया गया है कि, अगर सरकार सिर्फ पहली अप्रैल से पहली मई के बीच ही लॉकडाउन लगाती तो भी देश में कोरोना को लेकर स्थिति खराब हो सकती थी। रिपोर्ट के मुताबिक ऐसी स्थिति में अगस्त तक देश में 6-10 लाख लोगों की जान जा सकती थी और जुलाई तक कोरोना मरीजों का आंकड़ा 40-50 लाख तक पहुंच चुका होता, इतना ही नहीं ऐसी स्थिति में फरवरी 2021 तक कुल कोरोना मरीजों का आंकड़ा 1.5-1.7 करोड़ के बीच होता।

कोरोना के खतरे को भांपते हुए मोदी सरकार ने जिस तरीके से लॉकडाउन की घोषणा की, उसकी विदेशों में भी तारीफ हो रही है। बता दें कि रिपोर्ट का कहना है कि, समय रहते लॉकडाउन की वजह से ही अब देश में एक्टिव कोरोना मामलों की संख्या 8 लाख से नीचे है और सितंबर तक मौतों का आंकड़ा 1 लाख के करीब था। अगर सरकार ने समय रहते लॉकडाउन नहीं किया होता तो हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर बोझ की वजह से मृत्यु दर को संभालना मुश्किल होता।

हालांकि कोरोना के मौजूदा हालात को लेकर कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी भी कोरोना का खतरा कम नहीं हुआ है और आगे कोरोना से सतर्कता बहुत जरूरी है। रिपोर्ट में कहा गया है ठंड के मौसम में कोरोना का संक्रमण कैसा होगा इसके बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं है।