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छत्तीसगढ़ राज्य का एक ऐसा विश्वविद्यालय भी है जिसने पहले बड़ी संख्या मे छात्रों को अनुत्तीर्ण कर दिया जब फिर से मूल्यांकन किया गया तो एक तिहाई छात्र उत्तीर्ण हो गए. इस अजीबोगरीब परीक्षा परिणाम जानी होने के कारणों पर विश्वविद्यालय का वही एक जवाब लिपकीय त्रृटी से ऐसा हुआ.
सवाल यहां पर त्रुटि का नहीं बल्कि छात्रों के भविष्य के साथ जुड़ा हुआ है. एकत्रुटि बताकर पल्ला झाड़ लेने से बात बनती नहीं है बात उस समय बनेगी जब इस प्रकार की होने वाली त्रृटियों पर पूरी तरह से अंकुश लग जाये और फिर दोबार ीविष्य में कभी भी इसकी पुनरावृत्ती न हो. बिलासपुर के अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय ने जो परीक्षा परिणाम जारी किए उसके अनुसार 3670 छात्र फेल हो गए और जब दुबारा आतंरिक मूल्यांकन हुआ तो 2500 छात्र दोबारा पास हो गए,याने अनुत्तीर्ण व पूरक की पात्रता के कोटे में 12 सौ छात्र भी नहीं आ पाये. जो जानकारी मिली है यदि उसे सही माना जाये तो विश्वविद्यालय ने नियमित के प्रमोटेड 50 हजार 389 छात्रों का परिणाम घोषित किया. जिसमें 46 हजार 708 छात्र पास हो गए थे लेकिन 3670 छात्रों को फेल बता दिया गया था. बताया जा रहा है कि इन छात्रों को आंतरिक परीक्षा में नंबर कम दिए गए थे, वहीं कई छात्र परीक्षा में ही अनुपस्थित थे.
जैसे ही रिजल्ट जारी हुआ छात्रों ने विश्वविद्यालय के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. बताया जा रहा है कि केवल भंवर सिंह पोर्ते कॉलेज के 80 प्रतिशत छात्र फेल हो गए थे. छात्रों की नाराजगी को देखते हुए जब दुबारा आंतरिक परीक्षा का नंबर मांगा और रिजल्ट जारी किया. इस नए रिजल्ट में 3670 में से 2500 छात्र पास हो गए हैं. जिन छात्रों का रिजल्ट अभी जारी नहीं हुआ है उनका कॉलेजों ने नंबर नहीं भेजा है. वहीं जिन कॉलेजों ने यूनिवर्सिटी को नंबर भेजा है, उसमें ये बताया गया है कि छात्रों के नंबर भरने में त्रुटि हुई थी.
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