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पाकिस्तानी सेना ने यह काम आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहीद्दीन को सौंपा है. भारत के खुफिया विभाग की जानकारी के अनुसार पाकिस्तानी सेना के रावलपिंडी जनरल हेडक्वार्टर में अगस्त 2019 से लश्कर और जैश के साथ तालमेल बनाने का काम कर रहा है, जो पूरा हो गया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अब भारत में आतंक फैलाने के लिए पाकिस्तानी सेना जैश, लश्कर और हिजबुल की मदद लेगी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि खुफिया विभाग और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा तैयार किये गये एक डोजियर के अनुसार प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के कमांडर मुफ्ती मोहम्मद असगर खान के नेतृत्व में लश्कर और हिजबुल सहित तालिबानी संगठनों के प्रमुखों की कई बैठकें हुई हैं.
बताया जा रहा है कि जब से भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 को समाप्त किया है, तभी से पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी आईएसआई इन आतंकी संगठनों के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमले की तैयारी कर रहा है.
इंटेलिजेंस इनपुट्स के अनुसार पहली बैठक 27 दिसंबर 2019 को हुई, जब लश्कर के पेरेंट संगठन जमात-उद-दावा के कमांडर आमिर हमजा ने मार्कज सुभान अल्लाह और जेएम के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ मुलाकात की. बहावलपुर में संसाधनों को साझा करने और भारत के खिलाफ संचालन को तेज करने के लिए एक संयुक्त रणनीति बनाने के लिए ये बैठक हुई थी.
पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी भारत में घुसपैठ के लिए दो नये रास्तों का इस्तेमाल कर सकते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय खुफिया विभाग और सुरक्षा एजेंसियों ने दो रास्तों की पहचान की है जिसका इस्तेमाल आतंकी भारत में घुसपैठ के लिए कर सकते हैं. पूर्व में भी इन रास्तों का इस्तेमाल घुसपैठ के लिए किया गया है. ये रास्ते सियालकोट-शकरगढ़ और भीम्बर-समानी सेक्टर हैं.
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